राजगढ़ (धार) । पर्वाधिराज पर्युषण पर्व के चतुर्थ दिन कल्पसूत्र पाट पर विराजित मुनिराज श्री पीयूषचन्द्रविजयजी म.सा. को व्होराया गया । कल्पसूत्र में 24 तीर्थंकर के जीवन परिचय का विस्तृत उल्लेख सभी भवों का आता है । उक्त सूत्र की रचना आचार्य श्री भद्रबाहुस्वामी द्वारा की गयी है ।
कल्पसूत्र ज्ञान की अष्टप्रकारी पूजा भीनमाल निवासी श्री रमेशकुमारजी जोगीलालजी पावा, प्रथम ज्ञान की पूजा श्री भंवरलालजी दरगाजी जोगाणी, द्वितीय ज्ञान पूजा श्री अशोककुमार पारसमलजी रांका, तृतीय ज्ञान पूजा श्री दिनेशकुमार सागरमलजी जैन, चौथी ज्ञान पूजा श्रीमती ममताजी डोसी, पांचवी ज्ञान पूजा श्री रेवाचंदजी सागरमलजी वाणीगोता द्वारा की गई एवं ज्ञान की आरती श्री भंवरलालजी दरगाजी जोगाणी परिवार द्वारा उतारी गयी । कल्पसूत्र श्री ओटमलजी साकलचंदजी जैन बागरा वालों के द्वारा व्होराया गया । ज्ञान की गहुंली भी कल्पसूत्र व्होराने वाले परिवार द्वारा की गयी ।
श्री आदिनाथ राजेन्द्र जैन श्वे. पेढ़ी ट्रस्ट श्री मोहनखेड़ा महातीर्थ के तत्वाधान में गच्छाधिपति आचार्यदेव श्रीमद्विजय ऋषभचन्द्रसूरीश्वरजी म.सा. के आज्ञानुवर्ती मुनिराज श्री पीयूषचन्द्रविजयजी म.सा., मुनिराज वैराग्ययशविजयजी म.सा., मुनिराज श्री जिनचन्द्रविजयजी म.सा., मुनिराज श्री जनकचन्द्रविजयजी म.सा. एवं साध्वी श्री सद्गुणाश्रीजी म.सा., साध्वी श्री संघवणश्रीजी म.सा., साध्वी श्री विमलयशाश्रीजी म.सा. आदि ठाणा की निश्रा में पर्युषण महापर्व की आराधना चल रही है । इस अवसर पर तीर्थ के मेनेजिंग ट्रस्टी सुजानमल सेठ, कोषाध्यक्ष हुकमीचंद वागरेचा, ट्रस्टी मेघराज जैन, तीर्थ के महाप्रबंधक अर्जुनप्रसाद मेहता, सहप्रबंधक प्रीतेश जैन आदि उपस्थित थे ।
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