झाबुआ। समाजजन की विशेष उपस्थिति मे पूज्य मुनिराज श्री रजतचन्द्र विजयजी और मुनिश्री जीतचन्द्र विजयजी द्वारा खड़े-खड़े 4 घंटे मे बारसा सूत्र की 1215 गाथा का वांचन किया गया | सुबह 8 बजे से किया वांचन प्रारम, 12 बजे तक चला कार्यक्रम संवत्सरी प्रतिक्रमण कर वर्षभर मे हुई त्रुटि के लिये एक दूसरे से क्षमा माँगी। स्थानीय श्री ऋषभदेव बावन जिनालय मे पर्युषण महापर्व के अंतिम दिवस शुक्रवार को संवत्सरी पर्व के रुप मे समाजजनो ने मनाया | सुबह 7: 30 बजे महान ग्रंथ 'बारसा सूत्र ' को लाभार्थी परिवार श्रीमती लीलाबेन शांतिलाल भंडारी द्वारा आदिनाथ प्रभु की जिनालय में 3 प्रदक्षिणा देकर मंत्रोंच्चार के साथ विधि पूर्वक पूज्य मुनिराज रजतचन्द्र विजयजी म.सा. को वोहराया गया | सैकड़ों पौषार्थी सहित मुनिश्री ने सर्वप्रथम आचार्य श्री ऋषभचंद्र सूरीश्वरजी के चित्र समक्ष वंदन किया। इसके पश्चात सूत्रजी की ज्ञान पूजा वासाक्षेप से प्रथम लाभार्थी डा प्रदीप रखबचन्द्र संघवी परिवार , दूसरी पूजन धर्मचंद्र मेहता , तीसरी पूजन योगेश जैन चौथी पूजन अमित सकलेचा और पाँचवी पूजन उमेश मेहता की और से की गयी | इसके पश्चात सूत्रजी को मोती , चाँदी और अक्षत से राजेन्द्र कटारिया परिवार ने वधाया गया | इसके पश्चात सूत्रजी की अष्टप्रकारी पूजन लाभार्थी यशवंत भंडारी परिवार द्वारा की गयी | और आरती लाभार्थी मनोज जैन नाकोंडा द्वारा उतारी गयी | इसके पश्चात पूज्य मुनिराज़ रजत विजयजी म.सा ने बारसा सूत्र का वांचन प्रारंभ किया | उन्होने इस अवसर पर कहाँ की जो भी श्रावक श्राविकाऐ वारसा सूत्र का श्रवण श्रध्दा से श्रवण करता हे वह मोक्ष मार्ग को पा जाता हे | मुनिश्री ने बताया की बारसा सूत्र मे तीर्थंकरों के सम्पूर्ण शिक्षा , दीक्षा आदि का वर्णन आता हे ,यू मानो की इस सूत्र मे कल्पसूत्र का सार छिपा हुआ हे | इसके बाद मुनिद्वय ने 1215 गाथा का वांचन प्रारम्भ किया जो 11:30 बजे तक चला | इसके पश्चात 31,21,16,11,9,और 8 उपवास के लगभग 50 तपस्वियों को अक्षत मोती चाँदी आदि से लाभार्थी हस्तीमल जयेश संघवी परिवार ने भाव पूर्वक वधाया | संध्या को संवत्सरी प्रतिक्रमण कर एक दूसरे से क्षमायाचना की |
प्रातः 8:00 बजे भंडारी परिवार द्वारा सभी तपस्वी का पारणा होगा। उसके पश्चात 10:00 बजे से 11:30 बजे तक धर्मसभा एवं तपस्वी बहुमान होगा। उसके बाद समाज रत्न सुभाषजी कोठारी एवं कमलेश जी कोठारी की ओर से श्रीमती उषा बहन कोठारी के उग्र तपस्या निमित्ते श्री संघ का स्वामीवात्सल्य रखा गया है।