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युवाओं को व्यसन और युवतियों को फैशन बर्बाद कर रही है : मुनि पीयूषचन्द्रविजय



  राजगढ़ (धार) । नवकार आराधना के तीसरे दिन मुनिश्री ने कहा कि नवकार महामंत्र के तीसरे पायदान पर णमो आयरियाणं पद आता है । यह पद गुरु तत्व है इस पद के 36 गुण होते है ओर इसका वर्ण पीला होता है । नवकार महामंत्र चिन्तामणी रत्न के समान है यह महामंत्र जिसके जीवन में स्थापित हो जाता है वह इंसान जैसा चाहता है वैसा उसके साथ घटित होता है । हमने आजतक इसकी महिमा को समझने का प्रयास ही नहीं किया । हमने अन्य मंत्रों के प्रभाव को देखकर इस चिन्तामणी रत्न को कांच का टुकड़ा समझकर छोड़ रखा । इस मंत्र में 9 का अखण्ड आंकड़ा होता है । नवपद है ओर इन नवपदों की पूजा की जाती है । नवकार का न शब्द हमें नरक से बचाता है । शाश्वत सुख प्रदान करने की ताकत इस महामंत्र में विद्यमान है । नवकार रामबाण औषधि है । जन्म जरा मृत्यु तक के रोग को मिटाने में यह महामंत्र सक्षम है । यदि आपके पूण्य प्रबल है तो आपकी संतान योग्य होकर श्रवणकुमार जैसी होगी और पूण्य कमजोर हुये तो संतान कुल का नाम भी खराब कर देती है । पूण्य प्रबल होने पर समृद्धि पीछे-पीछे आती है पूण्य कमजोर होने पर समृद्धि भी साथ छोड़ देती है । युवावस्था में भटकने की संभावना ज्यादा रहती है । इस अवस्था में जो संभल गया उसका जीवन सुधर जाता है । जिसका पैर फिसल गया वह बर्बाद हो जाता है । उक्त बात गच्छाधिपति आचार्यदेवेश श्रीमद्विजय ऋषभचन्द्रसूरीश्वरजी म.सा. के शिष्यरत्न मुनिराज श्री पीयूषचन्द्रविजयजी म.सा. ने राजेन्द्र भवन में कही । आपने कहा कि वर्तमान समय में युवाओं को व्यसन और युवतियों को फैशन ने जकड़ लिया है । युवा पीढ़ी को इस गलत आदत से बचना चाहिये । यदि इस गलत आदत से नहीं बचे तो जीवन बर्बाद होने से कोई नहीं बचा सकता है । फैशन के दुष्परिणाम आज हम देख रहे है कि संस्कारी समाज का पहनावा भी बिगड़ता जा रहा है । आज हर घर में देखा-देखी का माहोल नजर आता है । इस फैशन से हम स्वयं भी नहीं बच पा रहे है और बच्चों के साथ भावी पीढ़ी को भी नहीं बचा पा रहे है । हर व्यक्ति अपने जीवन में समझोता करके जी रहा है । व्यसनी व्यक्ति की शारीरिक, मानसिक और आर्थिक स्थिती पुरी तरह से खराब हो जाती है । धन जाने के बाद व्यक्ति का विवेक शुन्य हो जाता है और इंसान स्वयं पर आत्मघाती हमला करके आत्महत्या तक कर बैठता है । जीवन में ज्ञान का अंहकार नहीं होना चाहिये हमारे द्वारा की गयी भूलों का चिन्तन करके भूल को सुधारने का प्रयास करना चाहिये ।

नवकार महामंत्र के तीसरे दिन एकासने का लाभ श्री भूपेन्द्रकुमार घेवरमलजी कांकरिया परिवार की और से लिया गया । लाभार्थी का बहुमान राजगढ़ श्रीसंघ की ओर से बहुमान के लाभार्थी मेहता परिवार ने किया । मुनिश्री की प्रेरणा से नियमित प्रवचन वाणी का श्रवण कर श्रीमती पिंकी सुमितजी गादिया राजगढ़ ने अपनी आत्मा के कल्याण की भावना से महामृत्युंजय तप प्रारम्भ किया था, आज उनका 25 वां उपवास है ।

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