झाबुआ। स्थानीय श्री ऋषभदेव बावन जीनालय मे चातुर्मास हेतु विराजित पूज्य मुनिराज श्री रजतचन्द्र विजयजी म.सा. और मुनिराज श्री जीतचन्द्र विजयजी म.सा.की पावन निश्रा मे 31अगस्त मंगलवार को दोपहर मे प.पू. गच्छाधिपति परोपकार सम्राट आचार्यदेव श्रीमद्विजय ऋषभचंद्र सुरीश्वरजी महाराजा के स्मृति में दीपक एकासना का आयोजन किया गया जिसका लाभ विणाबेन विमल जी कटारिया परिवार को प्राप्त हुआ । मुनिश्री रजतचंद्र विजयजी ने प्रवचन मे कहाँ की जिस प्रकार से दीपक अंधकार से प्रकाश की और ले जाने वाला होता हे उसी प्रकार दीपक एकासण आपके जीवन मे प्रकाश देगा | तप करने से आत्मा की पुष्टी होती हे | तप भी कई प्रकार के होते हे | छोटे छोटे तप भी जीवन को श्रेष्ठ बनाते हे बस भाव उच्च होना चाहिए | जैसे हमारे पास सिर्फ तलवार ही नही होना चाहिए तलवार चलाना आना चाहिए उसी प्रकार सम्यक ज्ञान भी समझ मे आना चाहिए यह सम्यक ज्ञान आपको दिशा दिखाता हे |यह तप हमे सम्यक ज्ञान की और ले जाता हे | मानव जन्म हमे बार बार नही मिलता हे | दस प्रकार से यह मानव जीवन दुर्लभ हे | इनकी विस्तॄत चर्चा रुपक के माध्यम से समझाया | देवभव मे भी मानव जीवन प्राप्त करना चाहते हे | जीवन प्रेम से और मीठा बोलने के लिये मिला हे | आज मानव अच्छा नही बोल पाता हे बुरा ही बोलता हे | दुष्प्रवृत्ति मे लीन रहता हे | आज दीपक एकासण मे दीपक प्रकट किया गया | ( अंदाजित 15 मी. ) तब तक आहार ग्रहण किया गया /एवं पांच द्रव्य से यह आराधना की गयी | इसमें तीनों समय देववंदन प्रवचन व प्रतिक्रमण किया गया | ऊं ह्लीं श्री महावीर स्वामीने नमः की 20 माला तथा 12 - 12 स्वस्तिक, खमासमणा ,काउसग्ग आदि क्रिया सम्पन्न की गयी |तपस्या के क्रम मे मासक्षमण की तपस्या कु. श्रुति महेश शाह को साता पूर्वक चल रही है,उनके आज 20 वा उपवास चल रहा हे | आज मुम्बई से दर्शन हेतु पधारे श्री विक्रम भाई एवं श्री अजित भाई प्रवीण भाई माहाड का चातुर्मास समिति ने शाल श्री फल तिलक माला से बहुमान किया गया | लाभार्थी परिवार एवं अतिथियों ने गुरुदेव श्री ऋषभचंद्र सूरीजी के चित्र समक्ष दीप प्रज्वलन किया लाभार्थी ने गहूली भी की। दीपक एकासणा के आयोजन हेतु लाभार्थी श्री विमल , विपुल वीणा बेन का चातुर्मास समिति ने बहुमान किया | गौतम स्वामीजी की आरती महाड से आये प्रावीण जी काटारिया ने उतारी |
श्री नाकोड़ा पार्श्वनाथ जैन मंदिर में जिनालय शुद्धिकरण का मंगलमय कार्य प्रातः 8:30 बजे किया गया जिसमें यशवंत जी भंडारी सुभाष जी कोठारी इंद्रसेन जी संघवी आदि उपस्थित थे।