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प्रभु की वाणी का श्रवण आत्मा के लिये कल्याणकारी : मुनि पीयूषचन्द्रविजय

 

prabhu vani प्रभु की वाणी प्रभु वाल्मीकि वाणी प्रभु जी की वाणी प्रभु  प्रभु परमात्मा की वाणी प्रभु जी की वाणी सुनाओ इ प्रभात मीरा प्रभु की वाणी ललित प्रभु की वाणी सुनो जिनवाणी प्रभु की वाणी प्रभु की सात वाणी

 राजगढ़ (धार) । प्रभु की वाणी को श्रवण करके सभी लोग अपने जीवन में आ रहे अवरोधों को समाप्त कर लेते है । इसी लक्ष्य को लेकर समाजजन इस धर्मवाणी का श्रवण कर रहे है । किसी भी सूत्र को समझने के लिये सबसे पहले उसकी भूमिका को समझना नितांत आवश्यक है । प्रभु ने 16 प्रहर याने 48 घण्टे तक निरन्तर देशना प्रदान की थी । इस बात का उल्लेख प्रभु की नवांगी पूजा में भी आता है । प्रभु के कंठ की केसर पूजा करते समय जो दोहा बोला जाता है उसमें भी 16 प्रहर का उल्लेख आता है । जयवियराय सूत्र में हम प्रभु की अंतर आत्मा से प्रार्थना करते है इस वजह से सभी को हाथ जोड़ने का कहा जाता है । जयवियराय सूत्र में 13 गाथाऐं है । उक्त बात श्री राजेन्द्र भवन राजगढ़ में 50 दिवसीय प्रवचन माला में गच्छाधिपति आचार्य देवेश श्रीमद्विजय ऋषभचन्द्रसूरीश्वरजी म.सा. के शिष्यरत्न मुनिराज श्री पीयूषचन्द्रविजयजी म.सा. ने कही । आपने कहा कि प्रभु के 34 अतिशय और वाणी के 35 गुण होते है । समवशरण में हर जीव को उसकी भाषा में प्रभु की वाणी समझ आती है । जैन शासन में दीक्षा दो प्रकार की होती है । द्रव्य दीक्षा और भाव दीक्षा । द्रव्य दीक्षा व्यक्ति वस्त्र, रजोहरण लेकर दीक्षीत रुप में दिखाई देता है वही भाव दीक्षा में व्यक्ति अपने भावों के साथ दीक्षीत होकर अपनी आत्मा के कल्याण का मार्ग प्रशस्त करता है । एक घण्टे का संयम भी आत्मा का कल्याण करता है । संसार में झूठ प्रकट होने पर अपमान सहन करना पड़ता है । जिस प्रकार स्वयं को तीर्थंकर कहलाने वाले गौशालक का झूठ अन्त में प्रकट होने पर उसे अपमानित होना पड़ा । ‘‘विनाशकाले विपरित बुद्धिः‘‘ विनाशकाल के समय इंसान की बुद्धि भी विपरीत हो जाती है । उपकारी का उपकार हमेशा मानना चाहिये । जीवन में हमेशा संवाद होना चाहिये संवाद से कई समस्याओं का निदान सम्भव है । संवाद में यदि विवाद आ जाये तो बनती हुई बात भी बिगड़ जाती है ।

मुनिश्री ने धन्यकुमार चरित्र का विश्लेषण करते हुए कहा कि धन्यकुमार का जीवन चक्र दान पर आधारित रहा है । इस चरित्र को समझने से पहले हमें दान की महिमा को विस्तार से समझना होगा । दान, शील, तप और भाव पर आधारित यह चरित्र व्यक्ति के जीवन में कई सुधार ला सकता है ।

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