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आचार्यश्री ऋषभचन्द्रसूरिजी म.सा. की प्रथम मासिक पूण्यतिथि मनायी

आचार्य श्री ऋषभचंद्र सूरी महाराज साहब की प्रथम पुण्यतिथि कब मनाई गई,आचार्य श्री की महा मांगलिक,आचार्य श्री ऋषभचंद्र सूरी जी के प्रवचन,ऋषभचंद्र सूरी आचार्य कब बने,ऋषभचंद्र सूरी की दीक्षा कब और कहा हुई,मोहनखेड़ा महातीर्थ,madhya-pradesh,dhar,acharya devesh rishabhchand -mohankheda-jain-tirth


  राजगढ़ (धार) म.प्र. । श्री आदिनाथ राजेन्द्र जैन श्वे. पेढ़ी ट्रस्ट श्री मोहनखेड़ा महातीर्थ के तत्वाधान में प.पू. गच्छाधिपति आचार्य देवेश श्रीमद्विजय ऋषभचंद्रसूरीश्वरजी म.सा. की प्रथम मासिक पूण्यतिथि आषाढ़ वदी दशमी 4 जुलाई को मुनिराज श्री पीयूषचन्द्रविजयजी म.सा., मुनिराज श्री रजतचन्द्रविजयजी म.सा., मुनिराज श्री वैरागयशविजयजी म.सा., मुनिराज श्री जिनचन्द्रविजयजी म.सा., मुनिराज श्री जीतचन्द्रविजयजी म.सा., मुनिराज श्री जनकचन्द्रविजयजी म.सा. एवं साध्वी श्री सद्गुणाश्री जी, साध्वी श्री संघवणश्री जी, साध्वी श्री विमलयशाश्री जी म.सा. आदि ठाणा की निश्रा में मनायी गयी ।


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इस अवसर पर मुनिराज श्री रजतचन्द्रविजयजी म.सा. ने कहा कि आचार्यश्री ने अपने सम्पूर्ण जीवन काल में परोपकार की भावना रखते हुये मानव व जीवों के प्रति हमेशा करुणा के भाव रखे और इसी भावनाओं के साथ अपना पुरा जीवन श्री मोहनखेड़ा महातीर्थ के विकास को समर्पित कर दिया । अपनी बिमारीयों का भी ख्याल न रखकर हमेशा लोगों की चिन्ताओं के चिन्तन में लगे रहते थे । मुनिराज श्री जीतचन्द्रविजयजी म.सा. ने कहा कि आचार्यश्री के पास जब में आया तब में अज्ञानी था पर आचार्यश्री ने मेरा पूरा जीवन परिवर्तित कर दिया । आचार्यश्री ने हमें हमेशा एकता में रहने का संदेश दिया है और हम उस संदेश को अपने जीवन में गुरु मंत्र समझकर अंगीकार करते है । उनकी भावनानुसार तीर्थ विकास में अपना पुरा योगदान देगें । तीर्थ के मेनेजिंग ट्रस्टी सुजानमल सेठ ने कहा कि आचार्य श्री ऋषभचन्द्रसूरीश्वरजी म.सा. करुणा की मूर्ति थे आपने अपने जीवन काल में परोपकार की भावना रखते हुये मानव सेवा, जीवदया के साथ समाज के उत्थान में कई कार्य किये साथ ही श्री मोहनखेड़ा तीर्थ के विकास में आपका योगदान भुलाया नहीं जा सकता । आज का दिवस बड़ा ही पूण्य दिवस है आज ही के दिन दादा गुरुदेव राजेन्द्रसूरीश्वरजी म.सा. ने यति पद का त्याग कर त्रिस्तुतिक जैन परम्परा में शुद्ध साधवाचार का पालन करते हुये क्रियोद्धार किया । आज क्रियोद्धार दिवस भी है साथ ही दादा गुरुदेव के अंतिम शिष्य मुनिराज श्री हर्षविजयजी म.सा. का पूण्य दिवस भी है । कार्यक्रम में ट्रस्टी मेघराज जैन ने कहा कि आचार्यश्री आज हमारे बीच में प्रत्यक्ष रुप में नहीं है पर अप्रत्यक्ष रुप से वे हरपल हमारे साथ है । उनके द्वारा दिये गये आदेशों का हम पूर्ण कर्तव्य निष्ठा के साथ पालन करेगें । कार्यक्रम में मेनेजिंग ट्रस्टी सुजानमल सेठ, ट्रस्टी मेघराज जैन, तीर्थ के महाप्रबंधक अर्जुनप्रसाद मेहता, सहप्रबंधक प्रीतेश जैन, राजगढ़ श्रीसंघ से राजेन्द्र खजांची, अरविंद जैन व भोजराज कमेडि़या, सहित वरिष्ठ समाजसेवी उपस्थित थे ।

प्रातः की वेला में मुनिराज श्री रजतचन्द्रविजयजी म.सा. द्वारा रचित सूरि ऋषभ इक्कीसा पाठ के साथ आरती श्री राकेशकुमारजी कुन्दनमलजी बोराना परिवार द्वारा उतारी गयी । इसके पश्चात् सामुहिक सामायिक का आयोजन हुआ । सामायिक के पश्चात् गौशाला में गायों को गुड़ लापसी, हरी घांस, कबुतरों को दाना परोसा गया । इस अवसर पर गुरुभक्तों ने बढ़ चढ़कर गौशाला में जीवों के प्रति करुणा के भाव रखते हुये मुक्त हस्त से दान राशी की घोषणा की ।

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