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बुरे वक्त का भी बुरा वक्त आता है - प्रो डॉ दिनेश गुप्ता- आनंदश्री



( प्रो डॉ दिनेश गुप्ता- आनंदश्री ,अध्यात्मिक व्याख्याता एवं माइन्डसेट गुरु,मुम्बई )

 अंग्रेजी कहावत है बुरा समय नही टिकता लेकिन मजबूत लोग हर चुनौती का सामना करते हुए जीत जाते है। वैश्विक महामारी का भी समय चला जायेगा। यह असमंजस, चुनौती, अनिश्चितता, डर और कठिनाई का दौर भी गुज़र जाएगा।

  घर मे ही रहें, लेकिन डर से नही विश्वास से: हम डर के बेड़ियों से बंधे है। हमें डर से नही विश्वास से बंधना है। शायद इस समय हम में से अधिकांश लोगों के साथ ऐसा ही कुछ हो रहा है कि हम इस वायरस के आधे हिस्से को ही देख पा रहे है। हर कोई वायरस पर मलबे मलबे अधूरे ज्ञान को प्रकट कर रहा है। यह भी सत्य है कि कोरोना की कथित दूसरी लहर या पहली लहर का ही हिस्सा जो भी हो। यह इस समय कष्ट का कारक है।इसलिए दुनियाभर में सभी ने इस संकट को विकट मान लिया है। ऐसे में इस संकट से निपटने के लिए जो सबसे सरल उपाय है वह स्वयं पर अधिकाधिक काम करना। अपने विश्वास को मजबूत बनाओ। इसी के साथ हम में से प्रत्येक को स्वयं को सुरक्षित रखने का प्रयास करना है। ठीक वैसे ही जैसे हवाई जहाज में हवा का दबाव कम होने पर सबसे पहले स्वयं को ऑक्सीजन मास्क लगाकर सुरक्षित रहने की सलाह दी जाती है। वैसा ही इस समय भी करना है, क्योंकि हमारी स्वयं की सुरक्षा ही अप्रत्यक्ष रूप से हमारे प्रियजन और परिजनों की सुरक्षा है।हमारी सुरक्षा ही हमारे समाज की एवं मोहल्ले की सुरक्षा है। सुरक्षा की शुरुवात अपने आप से ही करें।

  अनावश्यक जानकारी से बचें: अनावश्यक जानकारी से बचे। पूरा का पूरा संचार क्षेत्र, इंटरनेट, गूगल, जानकारियों से भरे पड़े है। कोरोना की आवश्यकता से अधिक जानकारी एक सामान्य व्यक्ति के लिए नुकसानदायक सिद्ध हो रही है। हम अपने अधूरे ज्ञान का बखान अपने घर, परिवार और समाज में करके इस बीमारी के प्रति स्वयं तो मानसिक एवं शारीरिक रूप से और अधिक नकारात्मक होते ही जा रहे एवं अपने आसपास के लोगों की मानसिकता को भी दूषित-प्रदूषित कर रहे हैं। जो जरूरी है वह सुने, देखे, समझे और अनुसाशन में लाये जैसे-  घर से बाहर ना निकलना, मास्क लगाना, सैनिटाइजर का उपयोग, साबुन से हाथ धोते रहना, सोशल डिस्टेन्स, भांप लेते रहना आदि।

  अधिक से अधिक सकारात्मक मानसिकता की ओर अपना ध्यान केंद्रित करें: कहते है माइन्डसेट इज एवेरीथिंग। सही मानसिकता , सोच, विचार से यह ससंभव है कि हम सरलता से इस संकट से उबरने में सफल हो जाएंगे। यदि मानसिकता नकरात्मक होगी तो बहुत सारी ऐसी केमिकल रिएक्शन हमारे शरीर के अंदर होंगी, जो भिन्न-भिन्न प्रकार के नकारात्मक हार्मोन का निर्माण करेंगी। इस सबसे हमारी वैचारिक एवं शारीरिक क्रियाएं स्वयमेव नकारात्मक होती चलेंगी। हमको सिर्फ मानवी जीवन के सकारात्मक पक्षों को सतत रूप से स्मरण करना है। याद रखे इस संसार मे स्वाईन फ्लू, प्लेग, चेचक, हैजा, पोलियो, कालरा, सार्स एवं एड्स जैसी अनेक महामारियां आज या तो समाप्त हैं। इस बुरे वक्त का भी बुरा वक्त आ गया था। तो इस कोरोना का भी इलाज है। वैक्सीन भी आ चुकी है, ऐसे में थोड़े से धैर्य के साथ संतुलित रहने की जरुरत है।  सब ठीक हो जाएगा। अलाप, विलाप, रोना धोना से कुछ नही होगा।

    जीत हमारी पक्की है: जो भी समय है परिस्थिति है गुजर जाएगा। आओ विश्वास रखे। इस विकराल सूक्ष्म वायरस मनुष्य जाति से हार जाएगा। जो परिस्थितियां हमारे सामने हैं।उसमें परेशान होने के स्थान पर यह विचार करें कि हम इन परेशानियों को परास्त कर ही लेंगे। मन को शांत रखें, इससे मानसिकता सकारात्मक बनी रहेगी।इस हेतु योग-ध्यान, अच्छी चीजें पढ़ना-सुनना और देखना या ऐसा अन्य कुछ जो हमको हर्षित करे।

    किसी भी प्रकार के मानसिक अवसाद से दूर रहने के समस्त उपक्रम इस समय बहुत काम के हैं।चिकित्सा विज्ञान के अनुसार, मानसिक अवसाद हमारी रोग प्रतिरोधक क्षमता को बहुत क्षति पहुंचाता है। इस समय हर हालत में हमारी मानसिक और शारीरिक रोग प्रतिरोधक क्षमता में वृद्धि की आवश्यकता है। जो समस्या से आगे की देखता है, अन्तोत्गत्वा वही जीत प्राप्त करता है।

    आज समय है, इसका सकारात्मक उपयोग करे। विश्वास करें सब ठीक हो जाएगा।




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