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श्री मोहनखेड़ा में अक्षय तृतीया पर आचार्यश्री की निश्रा हुऐ वर्षीतप पारणे

 

  राजगढ़ (धार) । दादा गुरुदेव श्री राजेन्द्रसूरीश्वरजी म.सा. की पाट परम्परा के वर्तमान गच्छाधिपति आचार्यदेवेश श्रीमद्विजय ऋषभचन्द्रसूरीश्वरजी म.सा. की पावनतम निश्रा में अक्षय तृतीया के पावन अवसर पर थराद निवासी श्रीमती पुष्पाबेन वाड़ीलालजी गगलदासजी दोषी परिवार थराद मुम्बई द्वारा श्री शत्रुंजयावतार प्रभु श्री आदिनाथ भगवान एवं दादा गुरुदेव श्रीमद्विजय राजेन्द्रसूरीश्वरजी म.सा. की प्रतिमा पर इक्षु रस (गन्ने के रस) से अभिषेक किया गया ।

आचार्य श्री ऋषभचन्द्रसूरीश्वरजी म.सा. ने पारणे के अवसर पर कहा कि भगवान श्री आदिनाथ प्रभु जी ने किसान का बेलों के मुख पर छीका बांधने का जो उपचार फसल के नुकसान से बचाने के लिये बताया था उसके चलते प्रभु को 14 माह तक गोचरी प्राप्त नहीं हो पायी थी । इस कारण प्रभु को 400 दिनों तक उपवास करना पड़ा और उनके पौत्र श्रेयाशकुमार द्वारा इक्षु रस से प्रभु को पारणा करवाया गया था । ठीक उसी प्रकार का काल वर्तमान में चल रहा है । हर तपस्वी अपने मुंह पर मास्क बांधकर सर्दी, गर्मी, बरसात तीनों ऋतुओं में वर्षीतप की तपस्या करते हुये आज अपनी मंजिल अक्षय तृतीया पर पारणा करके अपने तप की पूर्णाहुति कर रहे है ।

श्री आदिनाथ राजेन्द्र जैन श्वे. पेढ़ी ट्रस्ट श्री मोहनखेड़ा महातीर्थ की और से मेजेजिंग ट्रस्टी सुजानमल सेठ, बाबु भाई पिपलीवाला एवं सहप्रबंधक प्रीतेश जैन लाभार्थी परिवार एवं तपस्वीयों का अभिनन्दन पत्र भेंट करके बहुमान किया ।

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