18 वर्षीय देवेश यादव ने एक लेखक के रूप में अपनी पुस्तक द लॉकडाउन - द स्टोरी ऑफ ए फैमिली ’के साथ शुरुआत की। कोरोनोवायरस महामारी लॉकडाउन के बीच उन्होंने यह पुस्तक लिखी। यह पुस्तक एक परिवार से संबंधित है और इसे Google, Amazon पुस्तक में भी चित्रित किया गया है।
देवेश को छोटी उम्र से ही लिखने का शौक रहा है। वह 16 साल की उम्र में एक कविता लेखक बन गए, धीरे-धीरे एक छोटी कविता और कहानी में अपना मार्ग प्रशस्त किया।
महामारी लॉकडाउन के दौरान, उनके आत्मविश्वास और लेखन के प्रति समर्पण ने उन्हें अपनी पहली पुस्तक लिखने के लिए प्रेरित किया। उनकी सरल लेखन शैली और मनोरम कथानक इस कहानी के लिए विशेष रूप से पसंद किए गए थे।
जहां एक ओर लोग लॉकडाउन के प्रभाव में अनुत्पादक और हताश हो रहे थे, वहीं दूसरी ओर इस युवा के दृढ़ संकल्प ने उन्हें कुछ अलग करने में सक्षम बनाया। उन्होंने भारत में सबसे कम उम्र के लेखकों में से एक बनने के लिए अपने कैलिबर और लेखन का उपयोग किया। लेखक के रूप में देवेश की यात्रा जारी है। अपनी पहली लेख के बाद, उन्होंने और भी किताबें लिखी जो Google, Amazon,Apple Books तथा अन्य जगहो पर प्रकाशित है।
अहीर देवेश ने इस विश्वास को सही ठहराया कि प्रतिभा और दृढ़ता से कुछ भी हासिल किया जा सकता है। यह किताब और इसके पीछे की कहानी कई लोगों के लिए प्रेरणा बन गई। युवाओं को प्रोत्साहित महसूस करना चाहिए और सीखना चाहिए कि प्रत्येक व्यक्ति कुछ विशेष करने में सक्षम है।