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कोल्ड्रिंक माफिया पर खाद्य विभाग मौन-


खबर विशेष : शिवराज सरकार मिलावट माफिया पर बड़े दावे करती है लेकिन खाद्य पदार्थों में से एक पेय पदार्थ जिस पर खाद्य विभाग मौन क्यो बैठा है हम बात करते है पेप्सी की जिसके पाउच पर न कंपनी का नाम,न तारीख,ओर बिना लाइसेंस लिये खूब बिकना शुरू हो गई है धार जिले के कई गांवों में धड़ल्ले से बिकना शुरू हो गई है बाजारों में दिख रही रंग बिरंगी पाउचों में पेप्सी कैसे बनी होगी क्या है इसके शुद्धता की ग्यारंटी वही नही ये कोल्ड्रिंग माफिया वर्षों से जमा रहते है लेकिन खाद्य विभाग कुंभकर्ण के नीद सोया होता है या मिलीभगत के साथ बड़ा जखीरा बच निकलता है। 


गर्मी में पेय पदार्थों की आवक बढ़ जाती है और  शीतल पेय पदार्थों का सहारा लेकर राहत लेने की जुगत की जाती है। किंतु इन शीतल पेय पदार्थ की अशुध्दता के चलते लोगों को स्वास्थ्य के साथ खुला खिलवाड़ भी हो सकता है । इन शीतल पेय पदार्थों पर गुणवत्ता विहीन खाद्य पदार्थों एवं मिलावटी वस्तुएं धड़ल्ले से उपयोग हो रहा है। प्रशासन मात्र खानापूर्ति में रहता है। शहर के बस स्टैंड हो या अन्य जगहों पर दूषित पदार्थ बेचने वाले कमाई में मस्त है।

  इनके बनाने में उपयोग किया जाने वाले पानी रंग सेकरीन तथा अन्य पदार्थों की क्वालिटी तथा इनकी शुद्घता तथा पदार्थों की क्वालिटी तथाा इनकी शुद्घता पर ज्यादा ध्यान न देकर कमाई की तरफ ही ज्यादा ध्यान दिया जाता है। जो बच्चों के लिए कभी कभी हानि कारक सिद्ध हो जाते है।

 पाइप के अंदर मीठा पानी की पेप्सी भी कई दिनों पुरानी रहता है। पानी और अन्य सामग्री दूषित रहती है। किंतु बच्चे स्वाद के कारण तथा ठंडा होने से मजे लेकर पीते है। कई बार बीमार हो जाते है। 

  कई व्यापारियों को पता नही होता कि जिस थोक व्यापारी से पेप्सी ले रहे है वह कैसी होगी ओर बड़ा जखीरा देकर व्यापारियों को चला जाता है जिससे छोटे व्यापारी फंन्स जाए।

 अब देखना होगा मिलावट माफिया में चल रही कार्रवाई कोल्ड्रिंग माफियाओं पर होगी या फिर मिलीभगत से यह माफिया बच जायेगे।


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