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प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी ने राष्ट्रपति के अभिभाषण पर लोकसभा में धन्यवाद प्रस्ताव पर हुई चर्चा,बोले PM मांगने के लिए मजबूर करने वाली सोच लोकतंत्र की सोच नहीं हो सकती है....



  प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी ने राष्ट्रपति के अभिभाषण पर लोकसभा में धन्यवाद प्रस्ताव पर हुई चर्चा का आज जवाब दिया। उन्होंने कहाराष्ट्रपति जी के भाषण ने भारत की संकल्प शक्ति को प्रदर्शित किया है। उनके शब्दों ने भारत के लोगों में आत्मविश्वास की भावना बढ़ाई है। श्री मोदी ने सदन के सदस्यों को धन्यवाद दिया। उन्होंने इस बात पर गौर किया कि बड़ी संख्या में महिला सांसदों ने चर्चा में हिस्सा लिया और सदन को अपने विचारों से समृद्ध करने के लिए उन्हें बधाई दी।

   विश्व युद्धों के बाद विश्व व्यवस्था की ऐतिहासिक प्रगति का नक्‍शा खींचते हुएप्रधान मंत्री ने कहा कि कोविड के बाददुनिया बहुत अलग हो गई है। ऐसे समय मेंवैश्विक विचारधारा से अलग-थलग रहने के प्रतिकूल परिणाम होंगे। इसीलिएभारत एक आत्‍मनिर्भर भारत के निर्माण की दिशा में काम कर रहा हैजो आगे विश्‍व के लिए अच्छा काम करना चाहता है। उन्होंने कहाभारत मजबूत हो रहा है और आत्मनिर्भरता दुनिया के लिए अच्छी है। वोकल-फॉर-लोकल किसी नेता विशेषकी सोच नहीं हैबल्कि यह देश के हर कोने में गूंज रही है। प्रधान मंत्री ने कहा कि कोरोना से निपटने का श्रेय 130 करोड़ भारतीयों को जाता है। प्रधानमंत्री ने कहा "हमारे डॉक्टरनर्सकोविडयोद्धासफाई कर्मचारीएम्बुलेंस चलाने वाले ... ऐसे लोग और कई अन्य लोग ऐसे देवदूत बन गएजिन्‍होंने वैश्विक महामारी के खिलाफ भारत की लड़ाई को मजबूत किया"

   प्रधानमंत्री ने कहा कि महामारी के दौरानसरकार ने प्रभावित लोगों की सीधे उनके खातों में लाख करोड़ रुपये के प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण के माध्यम से मदद की। हमारे जन-धन-आधार-मोबाइल (जेएएमट्रिनिटी ने लोगों के जीवन में एक सकारात्मक बदलाव किया। इसने गरीब से गरीब लोगोंअधिकारहीन और दबे कुचले लोगों की मदद की। उन्होंने कहा कि महामारी के दौरान भी सुधार जारी रहे और इससे हमारी अर्थव्यवस्था में नई गति पैदा हो रही है और दोहरे अंक में वृद्धि होने की उम्मीद है।

   किसानों के विरोध पर प्रधानमंत्री ने कहायह सदनसरकार और हम सभी उन किसानों का सम्मान करते हैं जो कृषि विधेयकों पर अपने विचार व्यक्त कर रहे हैं। यही वजह है कि सरकार के शीर्ष मंत्री उनसे लगातार बात कर रहे हैं। हमारे मन में किसानों के लिए बहुत सम्मान है। कृषि से संबंधित कानून संसद द्वारा पारित किए जाने के बाद कोई भी मंडी बंद नहीं हुई है। इसी तरह एमएसपी बना हुआ है। एमएसपी पर खरीद बनी हुई है। बजट में मंडियों को मजबूत करने का प्रस्ताव दिया गया है। इन तथ्यों को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है। श्री मोदी ने जोर देकर कहा कि जो लोग सदन को बाधित कर रहे हैं वे एक सुनियोजित रणनीति के अनुसार ऐसा कर रहे हैं। वे इस बात को पचा नहीं पा रहे हैं कि लोग सच्चाई देख रहे हैं। अपने खेलों सेवे लोगों का विश्वास कभी नहीं जीतसकते हैं। उन्होंने इस दलील का जवाब दिया कि सरकार सुधार क्यों ला रही है,जिसके लिए कहा नहीं गया है। उन्होंने कहा कि यह सब वैकल्पिक हैलेकिन हम ऐसी चीजों के लिए जवाब का इंतजार नहीं कर सकते। समय की मांग के कारण कई प्रगतिशील कानून बनाए गए। वह सोच जो लोगों को सवाल करने या निवेदन करनेके लिए मजबूर करेवह लोकतांत्रिक नहीं हो सकती। हमें जिम्मेदारी लेनी चाहिए और देश की जरूरतों के अनुसार लोगों के कल्याण के लिए काम करते रहना चाहिए। उन्होंने कहा कि हमने देश में बदलाव के लिए काम किया है और अगर इरादा सही हैतो अच्छे नतीजे मिलेंगे।

   कृषि समाज और संस्कृति का हिस्सा है और हमारे त्योहार और सभी अवसर बुवाई और कटाई के साथ जुड़े हुए हैं। हमारी 80 प्रतिशत से अधिक आबादी को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता हैछोटे किसानों को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है। भूमि जोत के विखंडन से एक चिंताजनक स्थिति पैदा हो रही हैजहां किसानों को अपने खेतों से व्यवहार्य लाभ नहीं मिल रहा हैकृषि में निवेश का नुकसान हो रहा है। छोटे किसानों के लिए कदम उठाने की आवश्यकता है। इसलिए हमें अपने किसानों को आत्‍मनिर्भर बनाने के लिए काम करने की जरूरत है और उन्हें अपनी फसल बेचने और फसलों में विविधता लाने की आजादी देने की जरूरत है। उन्होंने जोर देकर कहा कि कृषि में निवेश से अधिक रोजगार पैदा होंगे। प्रधानमंत्री ने कहाहमें अपने किसानों को पर्याप्‍त और समान अवसर आधुनिक तकनीक प्रदान करनी होगी और उनमें आत्मविश्वास जगाने की जरूरत है। इसके लिए सकारात्मक सोच की आवश्यकता होगी क्योंकि पुराने तरीके और पैरामीटर काम नहीं करेंगे।

   श्री मोदी ने कहा कि सार्वजनिक क्षेत्र आवश्यक हैलेकिन साथ ही निजी क्षेत्र की भूमिका भी महत्वपूर्ण है। कोई भी क्षेत्र ले लिया जाएटेलीकॉमफार्माहम निजी क्षेत्र की भूमिका देखते हैं। यदि भारत मानवता की सेवा करने में सक्षम हुआ हैतो यह निजी क्षेत्र की भूमिका के कारण संभव हुआ है।” प्रधानमंत्री ने जोर देकर कहानिजी क्षेत्र के खिलाफ अनुचित शब्दों का उपयोग करने के लिए अतीत में कुछ लोगों को वोट मिल सकते थेलेकिन अब वो समय जा चुका है। निजी क्षेत्र को बुरा-भला कहने की संस्कृति अब स्वीकार्य नहीं है। हम अपने युवाओं का इस तरह अपमान नहीं कर सकते।

   प्रधानमंत्री ने किसान आंदोलन में हिंसा की आलोचना की। मैं किसान आंदोलन को पवित्र मानता हूं। लेकिनजब आंदोलनजीवियों ने पवित्र आंदोलन का अपहरण कर लियागंभीर अपराधों के लिए जेल में बंद लोगों की तस्वीरें दिखाईक्या इससे किसी उद्देश्य की पूर्ति हुईप्रधानमंत्री ने सवाल कियाटोल प्लाजा को काम करने की अनुमति नहीं देनादूरसंचार टावरों को नष्ट करनाक्या यह पवित्र आंदोलन है। आंदोलनकारी और आंदोलनजीवी के बीच अंतर करना जरूरी है। कुछ ऐसे लोग हैं जो सही बातें करते हैं। लेकिन यही वर्गजब सही चीजें करने की बात आती हैतो शब्दों को कार्य में बदलने में विफल होता है। जो लोग चुनावी सुधारों पर बड़ी बात करते हैं वे वन नेशन वन इलेक्शन का विरोध करते हैं। वे लैंगिक न्याय की बात करते हैं लेकिन ट्रिपल तलाक का विरोध करते हैं। प्रधानमंत्री ने इशारा किया कि ऐसे लोगों ने देश को गुमराह किया।

   प्रधानमंत्री ने कहा कि सरकार गरीब और मध्यम वर्ग के लिए नए अवसर पैदा करने के लिए बुनियादी ढांचे को मजबूत करने के लिए काम कर रही है। सरकार देश को संतुलित विकास की ओर ले जाने पर ध्यान केन्‍द्रित कर रही है। प्रधानमंत्री ने कहा कि सरकार पूर्वी भारत के लिए मिशन मोड में काम कर रही है। उन्होंने क्षेत्र में पेट्रोलियम परियोजनाओंसड़कोंहवाई अड्डोंजलमार्गसीएनजीएलपीजी कवरेजनेट कनेक्टिविटी परियोजनाओं का उल्लेख किया।

   प्रधान मंत्री ने यह भी बताया कि सरकार सीमा पर बुनियादी ढांचे की ऐतिहासिक उपेक्षा को समाप्‍त करने के लिए कदम उठा रही है। रक्षा बल हमारी सीमा की सुरक्षा की अपनी जिम्मेदारी पूरी कर रहे हैं। प्रधानमंत्री ने अपनी बहादुरीताकत और बलिदान के लिए सैनिकों की सराहना की।

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