राजगढ़ (धार) म.प्र. । मनुष्य जीवन मिलना बहुत सरल है पर मनुष्य जीवन में सत्संग मिलना दुर्लभ है । पुण्य उदय से ही मानव को सत्संग का लाभ मिलता है । पूर्व जन्म के पाप पुण्य जीवन में आगे-आगे चलते है उसी से व्यक्ति को संसार में सुविधाऐं और असुविधायें मिलती है । इस जन्म में बोऐ हुऐ बीजों का फल अगले जन्म में प्राप्त होता है । उसी से व्यक्ति को सम्पन्नता और निर्धनता प्राप्त होती है । पुण्य कमाने के लिये लाखों रुपये दान देने की जरुरत नहीं है । पुण्य प्राप्ति के लिये शास्त्रों में 9 मार्ग बताये और पाप के 18 स्थान बताये है । पुण्य के 9 स्थानों में अन्नदान, जलदान, मन की पवित्रता, मधुरभाषी, प्रभु की भक्ति, धर्मशाला का निर्माण, जरुरतमंद को बिस्तर कम्बल आदि का दान, कपड़ों का दान, वृक्षारोपण तथा काया से सेवा करें, नमस्कार करें । हाथ जोड़ लेने मात्र से सामने वाले व्यक्ति का अभिमान स्वतः समाप्त हो जाता है । हाथ जोड़ने का अर्थ ही विनय व विनम्रता है । उक्त उपदेश वर्तमान गच्छाधिपति आचार्यदेवेश श्रीमद्विजय ऋषभचन्द्रसूरीश्वरजी म.सा. ने श्री शंकरलालजी पटेल साहब के निवास ग्राम धुलेट पर चरण पगलिये करने के अवसर पर भक्तों को दिये और आपने कहा कि तारे रात में कितने भी क्यों ना टिमटिमाते हो पर सूर्योदय के साथ ही उनका अस्तित्व समाप्त हो जाता है । जीवन परिवर्तनशील है, जीवन के साथ बचपन जवानी और बुढ़ापा लगा हुआ है । संसार के सारे रिश्ते नाते स्वार्थ से भरे पड़े है । जब तक आपके पास सम्पत्ति और सत्ता है तब तक दूर का रिश्तेदार भी स्वयं को आपका नजदीकी रिश्तेदार बतायेगा और जहां सत्ता और सम्पत्ति गई सगा रिश्तेदार भी पहचानने से इंकार कर देगा । यदि हमारी संगति संतो के साथ रही तो हमारी आत्मा की गति सुधर जायेगी क्योंकि जीवन में सत्संग का बहुत प्रभाव होता है ।
श्री मोहनखेड़ा महातीर्थ में श्री मोहनखेड़ा तीर्थ विकास प्रेरक वर्तमान गच्छाधिपति आचार्यदेवेश श्रीमद्विजय ऋषभचन्द्रसूरीश्वरजी म.सा. की पावनतम निश्रा एवं मुनिराज श्री रजतचन्द्रविजयजी म.सा., मुनिराज श्री चन्द्रयशविजयजी म.सा., मुनिराज श्री पुष्पेन्द्रविजयजी म.सा., मुनिराज श्री रुपेन्द्रविजयजी म.सा., मुनिराज श्री जिनचन्द्रविजयजी म.सा., मुनिराज श्री जीतचन्द्रविजयजी म.सा., मुनिराज श्री जनकचन्द्रविजयजी म.सा., मुनिराज श्री जिनभद्रविजयजी म.सा., साध्वी श्री किरणप्रभाश्री जी म.सा., साध्वी श्री सद्गुणाश्री जी म.सा. आदि ठाणा के सानिध्य में पिछले 45 वर्षो से तीर्थ को अपनी सेवा प्रदान कर रहे परम गुरुभक्त श्री शंकरलालजी पटेल के निवास पर आगमन कर नवकारसी के साथ प्रवचन व पगलिये का आयोजन रखा गया जिसमें राजगढ़ नगर के कई वरिष्ठ समाजजनों की उपस्थिति रही । श्री आदिनाथ राजेन्द्र जैन श्वे. पेढ़ी (ट्रस्ट) श्री मोहनखेड़ा तीर्थ की ओर से वरिष्ठ समाजसेवी संतोष नाकोड़ा, मंत्रणा समिति सदस्य संतोष चत्तर, राजेन्द्र खजांची तथा राजकुमार जैन, महाप्रबंधक अर्जुनप्रसाद मेहता आदि ने श्री शंकरलालजी पटेल का बहुमान शाल, श्रीफल व साफा पहनाकर किया । श्री पटेल परिवार की ओर से नवकारसी का आयोजन किया गया था और परिवार ने संघ पूजा की । पटेल परिवार के परिजनों ने आचार्यश्री कामली ओढ़ाकर आशीर्वाद लिया ।