राजगढ़ (धार) म.प्र.। जीवन क्षण भंगुर है यह बात शास्त्रों में कही गयी है और हम भी प्रवचन के माध्यम से सभी को कहते है पर यह बात अब कोरोनाकाल में हर व्यक्ति को स्पष्ट दिखाई देती है । जन्म बार बार होता है व्यक्ति को बीमारियां भी लगती है । व्यक्ति को हमेशा मृत्यु का भय लगा रहता है । मृत्यु शाश्वत सत्य है । सर्दी, जुखाम, बुखार टाईफाईड जैसी बीमारी पहले भी होती थी आज भी होती है पर व्यक्ति सारी बीमारियां भूल चूका है उसे सिर्फ कोरोना याद रह गया है । हमारे देश के प्रधानमंत्री भी आरोग्यता के लिये शारीरिक दूरी व काढा सेवन करने का बोल रहे है और अपने स्वाथ्य और शरीर की रक्षा करने का संदेश दे रहे है । उक्त बात गच्छाधिपति आचार्यदेवेश श्रीमद्विजय ऋषभचन्द्रसूरीश्वरजी म.सा. ने प्रथम महामांगलिक से पूर्व कही और कहा कि प्रतिवर्ष चातुर्मास में चातुर्मासिक पत्रिका का प्रकाशन होता है पर इस वर्ष कोरोना काल के चलते यह प्रकाशन नहीं किया जा रहा है । चातुर्मासिक तप एवं धर्म आराधनाऐं सामान्य तोर पर ही की जाना है, जिसमें मासीधर श्रावण सुदी 4, 24 जुलाई, पक्खीधर 8 अगस्त, पर्युषण पर्व आरम्भ 15 अगस्त से अट्ठाई प्रवचन, कल्पसूत्र वाचन 18 अगस्त से, वीर जन्म वाचन 19 अगस्त को, तेलाधर गणधर वाद 20 अगस्त से, संवत्सरी महापर्व क्षमापना बारसासूत्र वाचन 22 अगस्त को, नवपद ओली द्वितीय आसोज 7, 23 अक्टूम्बर से, धन तेरस 12 नवम्बर, दीपावली 14 नवम्बर, नूतन वर्ष गौतमरास वाचन 15 नवम्बर, ज्ञान पंचमी 19 नवम्बर को मनाकर कार्तिक पूर्णिमा 30 नवम्बर को चातुर्मास की पूर्णाहुति होगी । आचार्यश्री उक्त चातुर्मास में होने वाले पर्व आराधना आदि की तिथियों की घोषणा चातुर्मास प्रथम महामांगलिक श्रावण सुदी एकम के अवसर पर की ।
इस अवसर पर चातुर्मास में विराजित मुनिभगवन्त एवं साध्वीवृंद की उपस्थिति में महामांगलिक का आयोजन हुआ । जिसका हजारों गुरुभक्तों ने फेसबुक एवं युट्यूब के माध्यम से श्रवण किया । महामांगलिक में तीर्थ के मेनेजिंग ट्रस्टी सुजानमल सेठ, ट्रस्टी संजय सराफ, मंत्रणासमिति सदस्य दिलीप भण्डारी सहित पदाधिकारी व तीर्थ के महाप्रबंधक अर्जुनप्रसाद मेहता व श्रावण मास की स्वामीभक्ति के लाभार्थी संतोषकुमार रखबचंदजी देवड़ा नाकोड़ा परिवार विशेष रुप से उपस्थित रहे ।