राजगढ़ (धार) म.प्र. । भगवान महावीर ने चातुर्मासिक आराधना में पौषध और सामायिक पर विशेष बल दिया । 48 मिनिट की सामायिक हमें समता के भाव प्रदान करती है । इस साधना में 48 मिनिट की समयावधि में साधक साधु के समान माना जाता है । इस साधना में संलग्न साधक पुरी तरह से एकाग्र होकर धर्म ध्यान में स्वयं को लीन कर लेता है । उक्त बात गच्छाधिपति आचार्यदेवेश श्रीमद्विजय ऋषभचन्द्रसूरीश्वरजी म.सा. ने प्रवचन देते हुये कही और बताया कि रौद्रध्यान से व्यक्ति के मन में विद्रोह, विद्वेष व बदला लेने की भावना जन्म ले लेती है, जिससे व्यक्ति मन, वचन, काया के साथ कर्मो के बंधन बांध लेता है और वह जाने अनजाने हिंसा का दोषी बन जाता है । यही कर्म बंधन व्यक्ति को नरक गति की ओर ले जाता है ।
इस अवसर पर युवाप्रेरक मुनिराज श्री रजतचन्द्रविजयजी म.सा. ने कहा कि धर्म दो प्रकार से किया जाता है पहला त्याग स्वरुप, दूसरा स्वीकार स्वरुप । अच्छी बातों को स्वीकार करके बुरी आदतों को छोड़ना ही शास्त्रों में धर्म माना गया है । हमें हमेशा जयणा के भाव रखते हुये जीवन जीना चाहिये । पानी हमेशा छान कर पीये । जीवन में कुछ ना कुछ व्रत नियम होने चाहिये । साधना में साधु की तपस्या जैसा लाभ श्रावक को भी मिल सकता है । उसके लिये रात्रि भोजन निषेध, कंदमूल का त्याग आदि नियम का पालन करना चाहिये । सामायिक हमारे नरक गति के बंधन कम करती है । चातुर्मास के प्रथम दिन प्रवचन में बागरा निवासी विनेशकुमार जैन परिवार की ओर से सामुहिक सामायिक का आयोजन किया गया ।
श्री मोहनखेड़ा महातीर्थ पर श्री आदिनाथ राजेन्द्र जैन श्वे. पेढ़ी ट्रस्ट एवं आचार्य ऋषभचन्द्रसूरि चातुर्मास समिति के तत्वाधान में दादा गुरुदेव श्रीमद्विजय राजेन्द्रसूरीश्वरजी म.सा. की पाट परम्परा के अष्टम पट्टधर वर्तमान गच्छाधिपति आचार्यदेवेश श्रीमद्विजय ऋषभचन्द्रसूरीश्वरजी म.सा. व साधु-साध्वी मण्डल का चातुर्मास 2020 के आयोजन का शुभारम्भ हुआ । आचार्यश्री ने कहा कि रविवार को प्रातः 11 बजे गुरु पूर्णिमा महोत्सव का आयोजन होगा । इसका सीधा प्रसारण यू ट्युब व फेसबुक पर किया जावेगा । प्रातः 10 से 11 बजे तक प्रवचन उसके पश्चात् गुरु चरण पूजन आदि कार्यक्रम शासन द्वारा निर्धारित गाईड लाईन का पालन करते हुये किया जावेगा ।