होम्योपैथी में कोई भी दवा पोटेंसी के हिसाब से ही दोहरायी जाती
है. वैसे तो हर पोटेंसी के हिसाब से कुछ स्टैंडर्ड प्रैक्टिस के नियम तय हैं, लेकिन रोग की स्थिति और प्रकृति के हिसाब से डॉक्टर अपने विवेक से
उसमें बदलाव कर लेते हैं.
सामान्य तौर पर 30 पोटेंसी की दवा दिन में चार बार देने की सलाह दी जाती है. इसी तरह 200 पोटेंसी दिन में एक-दो बार तो 1000 या 1M सात दिन बाद दोहराने का नियम है. इससे
ज्यादा शक्तियों की दवाएं महीने में एक बार और छह-छह महीने बाद भी दोहराये जाने का
प्रचलन है. 30 पोटेंसी की ही तरह 6 पोटेंसी की दवा तीन-तीन घंटे पर दी जा सकती है
लेकिन जरूरत के
हिसाब से होम्योपैथ इसे दो-दो घंटे या फिर एक-एक घंटे के अंतर से लेने की सलाह भी
देते हैं. मदर टिंक्चर या मूल अर्क में कोई
पोटेंसी नहीं होती, इसलिए उन्हें जल्दी जल्दी दोहराया जा
सकता है.
एक बार में कितनी गोली…
होम्योपैथी से इलाज कराते वक्त लोगों के मन में अक्सर सवाल होते
हैं कि एक खुराक में कितनी गोलियां लेनी ठीक रहेंगी?
इस बात को ऐसे समझा
जा सकता है कि उतनी गोली जो दो बूंद दवा सोख ले एक खुराक के लिए काफी होती है. आज
कल 30 नंबर की गोलियां प्रचलन में हैं जिनकी
चार गोली बड़ों के लिए और दो गोली बच्चों के लिए ठीक समझी जाती है.
इसमें खास बात ये
है कि अगर चार की बजाय पांच या छह गोली हो जाय या तीन ही गोली हो तो भी कोई
मुश्किल नहीं होने वाली – पूरे यकीन के साथ दवा लें. दवा
निश्चित तौर पर फायदा करेगी अगर रोगी के हिसाब से चयन ठीक है तो.
कितनी बूंद दवा….
दो बूंद जिंदगी के – ये लाइन तो हर किसी के मन में अपने आप
आ जाती है. होम्योपैथी में ये प्रैक्टिस इसकी शुरुआत से ही है. अक्सर देखा जाता है
कि डॉक्टर मरीज की जीभ पर दवा की दो बूंद डाल देते हैं. कई डॉक्टर और मरीज तो ऐसे
हैं कि जब तक दो बूंद जीभ पर न पड़े दोनों को लगता है कि कुछ कमी रह गयी है.
असल बात तो ये है
कि एक बूंद ही काफी है, लेकिन दो बूंद की सलाह इसलिए दी जाती
है कि अगर एक बूंद अंदर नहीं गया तो दूसरा उसे कवर कर लेगा.
अगर दवा dilution यानी लिक्विड में लेनी हो तो उसे सीधे जीभ पर या आधे कप पानी में
मिला कर लिया जा सकता है. बच्चों को शूगर से बनी किसी मिठायी, जिससें किसी तरह की सुगंध न हो, में भी दी जा सकती है. पशुओं को तो
रोटी या उनके खाने की किसी चीज के साथ दी जाती है.
दवा की शीशियां ठंडी व अँधेरी जगह पर , तेज खुश्बू वाली चीजों से दूर , अछि तरह ढक्कन लगा कर रखनी चाहिये l होमियोपैथी दवाएं हमेशा किसी विश्वसनीय दुकान से हीं खरीदें l क्योंकि दवा ठीक न होने से रोग ठीक नहीं होगा , रोगी का कष्ट बढ़ता जायेगा और आप समझेगें की होमियोपैथी बेकार है l
दवा लेने के आधा घंटा पहले व आधा घंटा बाद तक कुछ न खाएं l कुछ दवाओं के साथ प्याज , लहसुन , कॉफ़ी आदि का परहेज जरुरी है l खाने पीने में शाकाहारी भोजन सर्वोतम है l यदि किसी खास वस्तु के खाने से परेशानी होती हो तो उसे न खाएं l
डॉ.रजनीश जैन
(श्री आर के होम्योपैथिक हॉस्पीटल
सागवाड़ा पेट्रोल पम्प के सामने पहली मन्जिल डुंगरपूर रोड सागवाड़ा) द्वारा जन हित में जारी…..