BREAKING NEWS
latest
Times of Malwa Digital Services
Promote your brand with positive, impactful stories. No accusations, no crime news—only inspiring and constructive content through Google Articles.
📞 9893711820   |   📧 akshayindianews@gmail.com

गैर कृषि उपभोक्ताओं को एक रूपये प्रति यूनिट और कृषि उपभोक्ताओं को आधी दर पर बिजली


  

 BHOPAL: एक साल पहले तक मध्यप्रदेश की विद्युत कंपनियाँ पर कुल 37 हजार 963 करोड़ का ऋण और लगभग 44 हजार 975 करोड़ का संचयी घाटा था। बीते एक साल में राज्य सरकार ने कम्पनियों को खस्ताहाल वित्तीय स्थिति से छुटकारा दिलाने के प्रयास शुरू कर दिये हैं। साथ ही, इंदिरा गृह ज्योति योजना लागू कर आम उपभोक्ताओं को 100 यूनिट तक बिजली एक रूपये प्रति यूनिट देने का काम किया है। इसके अलावा इंदिरा किसान ज्योति योजना लागू कर किसानों के लिये 10 हार्स पावर तक के पंपों पर विद्युत शुल्क 1400 रूपये से घटाकर 700 रूपये प्रति हार्स पावर प्रतिवर्ष कर दिया।
इंदिरा गृह ज्योति योजना
  इस वर्ष फरवरी माह में इंदिरा गृह ज्योति योजना लागू की गई। इसमें संबल योजना के पात्र घरेलू उपभोक्ताओं को 100 यूनिट तक की मासिक खपत पर 200 रूपये के स्थान पर अधिकतम 100 रूपये का बिल दिया जा रहा था और शेष राशि राज्य सरकार द्वारा वहन की जा रही थी। सरकार ने इंदिरा गृह ज्योति योजना का विस्तार करते हुए इस योजना को संबल योजना से असंबद्ध किया। अब ऐसे सभी घरेलू उपभोक्ताओं को जिनकी मासिक खपत 30 दिन की रीडिंग में 150 यूनिट हो, को भी योजना में शामिल किया गया है। गरीबी रेखा से नीचे जीवन-यापन करने वाले अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के घरेलू उपभोक्ताओं को 30 यूनिट तक की मासिक खपत के लिए मात्र 25 रूपये देने पड़ रहे हैं। इसमें 4 माह में एक बार 100 रूपये लेने की व्यवस्था की गई। इस योजना से लगभग 97 लाख घरेलू उपभोक्ता लाभांवित हो रहे हैं- जो कुल उपभोक्ताओं का 83 प्रतिशत है। योजना में प्रतिवर्ष लगभग 3400 करोड़ रूपये की सब्सिडी राज्य शासन द्वारा बिजली कम्पनियों को दी जाएगी। 
  इंदिरा गृह ज्योति योजना और संबल योजना की तुलना करें तो इंदिरा गृह ज्योति योजना में जहाँ लगभग 97 लाख अर्थात 83 प्रतिशत उपभोक्ता लाभान्वित हो रहे हैं, वहीं पूर्ववर्ती सरकार की संबल योजना से लगभग 42 लाख अर्थात मात्र 35 प्रतिशत उपभोक्ताओं को ही लाभ मिला था। इंदिरा गृह ज्योति योजना में 100 यूनिट तक की खपत पर 100 रूपये बिल आ रहा है, जो पहले 200 रूपये मासिक था।


इंदिरा किसान ज्योति योजना
  इंदिरा किसान ज्योति योजना में पूर्व प्रचलित कृषि पंप कनेक्शन के लिए देय 1400 रूपये प्रति एच.पी. प्रतिवर्ष के शुल्क को आधा करते हुए 10 एच.पी.तक के पंप उपभोक्ताओं को 700 रूपये प्रति एच.पी. प्रति वर्ष की दर से दो समान किश्तों में देय है। साथ ही 10 एच.पी.तक के मीटर युक्त स्थाई एवं अस्थाई कृषि पंप कनेक्शनों को भी ऊर्जा प्रभार में 50 प्रतिशत की छूट दी गई है। योजना में कृषक उपभोक्ता को 2 किश्तों में राशि देने का भी प्रावधान किया गया है। योजना से 19 लाख 91 हजार कृषक लाभान्वित हो रहे हैं। राज्य सरकार द्वारा इस योजना में 8 हजार 760 करोड़ रूपये की सब्सिडी दी जाएगी। साथ ही इंदिरा किसान ज्योति योजना के अतिरिक्त एक हेक्टेयर तक की भूमि वाले 8 लाख अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के कृषकों को 5 हार्स पॉवर तक के कृषि पंप कनेक्शनों के लिए नि:शुल्क बिजली दी जा रही है। इसके एवज में सरकार बिजली कंपनियों को 3800 करोड़ रूपये की वार्षिक सब्सिडी देगी। किसानों को सिंचाई के लिए 10 घन्टे बिजली देने के समय के संबंध में निर्णय लेने का अधिकार जिला योजना समिति को दिया गया है। 
  सरकार ने खराब ट्रांसफार्मर को बदलने के लिए पात्रता नियमों में परिवर्तन कर पहले के 40 प्रतिशत के स्थान पर 10 प्रतिशत बकाया पर ट्रांसफार्मर बदलने की नीति लागू की है। 


गलत देयकों के निराकरण के लिए समिति गठित
 बिजली उपभोक्ताओं की गलत देयकों से संबंधित शिकायतों के निराकरण के लिए विद्युत वितरण केन्द्रवार समिति का गठन किया गया है। कुल 1210 समितियाँ गठित की गई हैं। समितियों द्वारा अब तक 49 हजार से अधिक शिकायतों का निराकरण किया जा चुका है। 


डायल 100 की तर्ज पर कॉल सेन्टर 1912
  विद्युत संबंधी समस्याओं के निराकरण के लिए डायल 100 की तर्ज पर कॉल सेन्टर 1912 स्थापित किया गया है। जनवरी 2019 से अब तक इसमें प्राप्त 31 लाख 65 हजार 727 शिकायतों का निराकरण किया जा चुका है। शिकायतों के निराकरण के बाद उपभोक्ताओं से फीडबेक भी लिया जाता है।


विद्युत दुर्घटना में पशु हानि पर आर्थिक सहायता
 विद्युत दुर्घटना में जनहानि के साथ ही पशु हानि होने पर भी राजस्व पुस्तक परिपत्र के प्रावधानों को लागू किया गया है। पिछले 10 माह में 88 प्रकरणों में 20 लाख 85 हजार रूपये की आर्थिक सहायता पशु मालिकों को दी गई है। बिजली कंपनियों में आऊट सोर्सिंग कर्मचारियों की समस्याओं के निराकरण के लिए समिति का गठन किया गया है। 


विद्युत उपलब्धता के लिए प्रयास
   प्रदेश के कुल एक करोड़ 58 लाख विद्युत उपभोक्ताओं में से एक करोड़ 17 लाख घरेलू, 29 लाख कृषि और 12 लाख अन्य उपभोक्ता है। वर्तमान में विभिन्न स्त्रोतों से 20 हजार 502 मेगावॉट की विद्युत उपलब्धता है। इसी उपलब्धता के कारण 5 जनवरी 2019 को 14 हजार 89 मेगावॉट विद्युत मांग की पूर्ति की गई, जो प्रदेश के अब तक के इतिहास में सर्वाधिक है। प्रदेश में दिसम्बर 2018 से अक्टूबर 2019 की अवधि में 69219 मिलियन यूनिट विद्युत आपूर्ति की गई, जो पूर्व वर्ष की इसी अवधि से 6.4 प्रतिशत अधिक है। 
   इस वित्तीय वर्ष में विद्युत उपलब्ध क्षमता में 2137 मेगावॉट की वृद्धि का लक्ष्य है। भविष्य में भी प्रदेश विद्युत के क्षेत्र में आत्म-निर्भर बना रहे, इसके लिए सतपुड़ा ताप विद्युत गृह,सारणी जिला बैतूल एवं अमरकंटक ताप विद्युत गृह चचाई जिला अनुपपूर में 600 मेगावॉट की एक-एक इकाई की स्थापना की जायेगी। सतपुड़ा और अमरकंटक विस्तार इकाइयों के लिए वर्ष 2019-20 के बजट में प्रावधान किया गया है। इसके अतिरिक्त निजी क्षेत्र में 2640 मेगावॉट की उत्पादन इकाइयों की स्थापना के भी प्रयास किये जा रहे हैं। उर्जा स्टोरेज के लिए एक्सप्रेशन ऑफ इंट्रेस्ट (EOI) जारी की गई है। 


विद्युत प्रणाली सुदृढ़ीकरण के प्रयास
  विद्युत कंपनियों द्वारा विद्युत प्रणाली के सुदृढ़ीकरण के अंतर्गत विद्युत उपलब्धता क्षमता में 1682 मेगावॉट की वृद्धि की गई। श्री सिंगाजी ताप विद्युत परियोजना खण्डवा के द्वितीय चरण में 660 मेगावॉट उत्पादन संयत्र की इकाई क्रमांक चार को 50 माह 28 दिन के रिकार्ड समय में क्रियाशील किया गया, जो प्रदेश के पावर सेक्टर में एक कीर्तिमान है। तेरह नए अति उच्च दाब केन्द्र और 24 वर्तमान अति उच्च दाब उप केन्द्रों पर अतिरिक्त ट्रांसफार्मर स्थापित किए गए। प्रदेश में 1827 अति उच्च दाब लाइनों का निर्माण, 2354 एमबीए अति उच्च दाब ट्रांसफार्मरों में वृद्धि, 185 33/11 केव्ही उप केन्द्रों की स्थापना, 407 पॉवर ट्रांसफार्मर, 1953 किलोमीटर 33 केव्ही लाइन, 43793 किलोमीटर 11 केव्ही लाइन एवं 20518 एलटी लाइन का निर्माण और एक लाख 19 हजार 29 वितरण ट्रांसफार्मर की स्थापना की गई है। जनवरी 2019 से अक्टूबर 2019 तक 59 हजार 914 खराब ट्रांसफार्मर बदले गये। पात्र खराब ट्रांसफार्मर 3 दिन में बदलने की व्यवस्था की गई है। 


नवाचार
  तीनों विद्युत वितरण कंपनियों से प्रतिभाशाली युवा इंजीनियरों के तकनीकी एवं वाणिज्यिक मामलों के दो दल गठित किए गए हैं, जो शोध और नवाचार को बढ़ावा देने के लिए अनुशंसाएं देंगे। संधारण कार्य के लिए शटडाउन की पूर्व सूचना दिए जाने की व्यवस्था लागू की गयी है। जन-प्रतिनिधियों एवं जिला प्रशासन के अधिकारियों को दूरभाष एवं एप के माध्यम से सूचित किया जा रहा है। उपभोक्ताओं को समाचार-पत्र एवं यदि उनके मोबाईल नंबर पंजीकृत हैं, तो एसएमएस द्वारा पूर्व सूचना दी जाने की व्यवस्था की गई है। प्रदेश के बड़े शहरों में अति उच्च दाब गैस इन्सुलेटेड उपकेन्द्र बनाने का निर्णय लिया गया है। वितरण कंपनियों में आर.एण्ड.डी.सेल स्थापित किया गया है, जो तकनीकी समस्या एवं नवाचार इत्यादि पर सुझाव देगा। 


पहली बार एक माह में 217 करोड़ राजस्व संग्रह
  मध्यप्रदेश के पावर सेक्टर के इतिहास में नवंबर 2019 का माह मील का पत्थर है। नवंबर में राजस्व संग्रह  2017 करोड़  रुपये हुआ है, जो नवंबर 2018 की तुलना में 413 करोड़ अधिक है। इस प्रकार लगभग 26 प्रतिशत अधिक राजस्व मिला है, जो अब तक का प्रदेश का एक माह का सर्वाधिक राजस्व संग्रह है। 
  गौरतलब है कि  वर्ष 2018 में जुलाई से नवंबर की तुलना इस वर्ष 2019  से की जाए तो इन महीनों में 1687 करोड़ का अधिक राजस्व संग्रह हुआ है। इसी प्रकार प्रति यूनिट नगद  राजस्व वसूली गत वर्ष 2 रुपये 34 पैसे की तुलना में इस वर्ष नवंबर में  4 रुपये 14 पैसे हो गई है। यह गत वर्ष के इसी माह से 77 प्रतिशत अधिक है। 
   नवंबर में पूर्व क्षेत्र कंपनी द्वारा  31.71 प्रतिशत, मध्य क्षेत्र कंपनी द्वारा 20.38 प्रतिशत और पश्चिम क्षेत्र कंपनी द्वारा 25.63 प्रतिशत अधिक राजस्व संग्रह किया गया। यह कंपनी गठन के बाद किसी एक माह में सर्वाधिक राजस्व संग्रह है। 


पुरस्कार
  सौभाग्य योजना में शत-प्रतिशत घरों में विद्युतीकरण देश में सबसे पहले पूरा करने पर भारत सरकार द्वारा फरवरी 2019 में दो भिन्न-भिन्न श्रेणियों में पश्चिम एवं मध्य क्षेत्र विद्युत कंपनी को 100-100 करोड़ और 50-50 लाख रूपये के पृथक-पृथक नगद पुरस्कार से सम्मानित किया गया।

« PREV
NEXT »