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आचार्य पदवी के 3 वर्षों बाद आचार्य ऋषभचन्द्र सूरि पाट पर विराजे,मोक्ष प्राप्ति के लिए सामायिक प्रतिक्रमण ही अमृत क्रिया है-आचार्य ऋषभचन्द्र सूरि



जावरा । दिनांक 3 दिसंबर 2019 । दादा गुरूदेव के पाट परम्परा के अष्टम पटधर वर्तमान गच्छाधिपति श्रीमोहनखेडा तीर्थ विकास प्रेरक मानव सेवा के मसीहा, आचार्यदेवेश श्रीमद्विजय ऋषभचन्द्रसूरीश्वरजी म.सा. आदि ठाणा का  आज मंगलवार को ऐतिहासिक मंगलमय प्रवेश, आचार्य पाट गादी पर विराजित होने के लिए हुआ ।
आचार्यश्री का सामैया सहित विशाल चल समारोह पहाडिया रोड स्थित चार बंगला लुक्कड परिवार के निवास से प्रारंभ हुआ जो नगर के प्रमुख मार्गों से होता हुआ पिपली बाजार स्थित आचार्य पाट परम्परा की गादी स्थल पर पहुंचा। इस चल समारोह में आगामी 15 जनवरी 2020 को श्री मोहनखेडा महातीर्थ में होने वाली दीक्षा के मुमुक्षु अजय नाहर का वर्षीदान का वरघोडा भी निकाला गया। जिसमें मुमुक्षु ने अपने दोनों हाथों से दिल खोलकर वर्षीदान किया। स्मरण रहे आज से तीन वर्ष पूर्व आचार्यश्री को जावरा श्रीसंघ के द्वारा आचार्य पद प्राप्त होने से पूर्व श्रीसंघ ने काम्बली ओढाकर आचार्य पद ग्रहण करने के लिए विनती की थी। यहां पर दादा गुरूदेव श्रीमद्विजय राजेन्द्रसूरीश्वरजी म.सा. की पाट परम्परा के सात आचार्य पूर्व में इस पाट पर विराजित  होकर धर्मदेशणा जैन समाज को दे चुके हैं।



आचार्यश्री ने पाट पर विराजित होकर अपने धर्म संदेश में कहा कि धर्म उत्कृष्ट मंगल है ऐसे धर्म को धारण करने वाले व्यक्ति को देवता भी नमन करते हैं। 150 वर्षों बाद 151वे वर्ष में मुझे इस पाट पर बैठने का सौभाग्य प्राप्त हुआ है। गुरूदेव की असीम कृपा है साधु साध्वी श्रावक-श्राविकाओं को मेरे प्रति निष्टा बनी हुई है तभी मैं पाट गादी पर बैठने के लायक बना हॅू। आचार्य श्री ने कहा कि इस पाट गादी से मुझे उर्जा मिलेगी। मैं शरीर से पीडित जरूर हॅंू पर मन से पीडित नहीं हॅंू। जीवन हमेशा परिवर्तनशील है समय सबके साथ न्याय करता है व्यक्ति को कभी भी विपरित परिस्थिति में नहीं घबराना चाहिए। मेरे जीवन में भी कई विपरित परिस्थितियां आई थी पर दादा गुरूदेव की कृपा से मुझे समय-समय पर समाधान मिला है मेरे द्वारा शताब्दी महोत्सव में सभी आचार्य, भगवंत एवं साधु साध्वी को एक मंच पर लाने का प्रयास किया गया उसमें मुझे सफलता मिली। उसकी मीटिंग भी जावरा दादावाडी मंे आचार्य हेमेन्द्रसूरीश्वरजी की निश्रा में हुईथी। हमारे श्रावकों का मन एक है, सभी श्रावक श्राविका दादा गुरूदेव राजेन्द्रसूरीश्वरजी म.सा. के प्रति निष्ठावान है। हमने सभी आचार्यों को विनती की थी सभी ने स्वीकार भी किया एवं हमने सामूहिक चातुर्मास भी श्री मोहनखेडा महातीर्थ में संवत्सरी प्रतिक्रमण के साथ किया। वह शताब्दी महोत्सव पूरे देश में विख्यात भी हुआ। जावरा की पाटगादी पर क्रियोद्धार दिवस का 150वां वर्ष मनाने की मेरी बहुत भावना थी पर अनुकूल परिस्थियां नहीं बन पाई इस वजह से मैं नहीं आ पाया और हमने श्री मोहनखेडी महातीर्थ में 150वें वर्ष पर दादा गुरूदेव को तपांजली अर्पित करने के उद्देश्य से 800 से अधिक वर्षीतप की आराधना करवाकर दादा गुरूदेव को तपांजली अर्पित की। जिसमें हमारे मुनि भगवंत साध्वी वृन्द एवं समाज के श्रावक श्राविकाओं ने वर्षीतप की आराधना की।मोक्ष प्राप्ति के लिए देव की जरूरत नहीं होती है ं। मोक्ष प्राप्ति के लिए सामायिक प्रतिक्रमण ही अमृत क्रिया है। पाट गादी पर जावरा श्रीसंघ का बहुत योगदान है।  आचार्य श्री ने घोषणा करते हुए कहा कि जावरा नगर में महिलाआंे को पर्यूषण पर्व में प्रतिक्रमण करने में बहुत दिक्कत होती है इसके लिए जावरा श्रीसंघ बायो का उपाश्रय जब भी बनाएगा उसमें श्री मोहनखेडा महातीर्थ की ओर से एक करोड आठ लाख रू. का सहयोग प्रदान किया जाएगा । वरिष्ठ साध्वी श्री संघवणश्रीजी म.सा. ने अपने संयम काल में खूब सेवा की है उन्हें उनको हमारे पूर्वाचार्यों ने सेवाभावी की पदवी से अलंकृत किया था ने आज साध्वीश्री को शासन ज्योति पद से अलंकृत करता हॅंू। दादावाडी मंदिर को भी 50 वर्ष पूर्ण हो चुके हैं मेरीयह भावना है कि 2023 तक इसका भी पूर्ण नवीनीकरण करने की प्रेरणा देता हॅंू। जावरा संघ एकता व भव्यता के लिए जाना जाता है। इस अवसर पर बांसवाडा, मंदसौर, इन्दौर, राजगढ, नागदा, नीमच, रतलाम, खाचरौद, झााबुआ, बदनावर, नागदा जं, बडनगर, सहित 50 से अधिक श्रीसंघों की उपस्थिति रही।
कार्यक्रम मंे आचार्य श्री ऋषभचन्द्र सूरीश्वर म.सा. को प्रथम बार पाट पर विराजित होने के पश्चात् प्रथम गुरूचरण पूजा का लाभ जावरा निवासी मेघराजजी चम्पालालजी लोढा पूर्व राज्यसभा सांसद को प्राप्त हुआ। आचार्य श्री को सकल जैन श्रीसंघ जावरा की ओर से काम्बली ओढाई गई।  तत्पश्चात् बांसवाडा निवासी चन्दूलाल दलीचंद सेठिया परिवार द्वारा काम्बली ओढाई गई। श्री आदिनाथ राजेन्द्र जैन श्वेतांबर पेढी ट्रस्ट श्री मोहनखेडा तीर्थ की ओर से ट्रस्टी बाबुलाल खेमसरा, मेघराज जैन, संजय सर्राफ, आनंदीलाल अम्बोर, तीर्थ के प्रबंधक प्रितेश जैन आदि ने ट्रस्ट की ओर से काम्बली ओढाई। राजगढ श्रीसंघ से दिलीप भंडारी, नरेन्द्र भंडारी पार्षद, दिलीप नाहर, सुनील बाफना आदि ने आचार्यश्री को काम्बली ओढाई। इस अवसर पर जावरा श्रींसंघ अध्यक्ष ज्ञानचंद चोपडा, कोषाध्यक्ष विनोद बरमेचा, राजमल लुककड, कन्हैयालाल संघवी, धर्मचन्द्र चपडोद, पदम नाहटा, कमल नाहटा, देवेन्द्र मूणत, प्रकाष चैरडिया, प्रकाश संघवी काकू, माणक चपडेाद, भंवर आंचलिया, राजेश वरमेचा भगवान, राकेश पोखरना, सुभाष डुंगरवाल, अनिल चोपडा, पारस ओस्तवाल, सुशील कोचटृटा, अभय सुराणा, पुखराज कोचट्टा, सुनील कोठारी, अनिल कोठारी, पवन पाटनी, पवन कलशधर, प्रदीप चैधरी, संजय तलेसरा, अनीसओरा, विभोर जैन, अर्पित तलेसरा, महावीर चैरडिया, अंकित लुक्कड आदि उपस्थित थे ।

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