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आचार्यश्री ऋषभचन्द्रसूरीश्वरजी ने कहा धर्म के मार्ग को विनम्रता से ही स्वीकार किया जा सकता है....





  राजगढ़ (धार)। आचार्यश्री ऋषभचन्द्रसूरीश्वरजी म.सा. ने राजगढ़ नगर के नगरवासियों को आशीर्वाद प्रदान करते हुये कहा कि धर्म को सभी जानते है पर धर्म को आचरण में लाना पड़ता है । धर्म का मूल विनय है जिसके जीवन में विनम्रता है वही व्यक्ति धर्म के मार्ग पर चलकर धर्म को आचरण में ला सकता है । साधु-साध्वी, श्रावक-श्राविका सभी के लिये मन में विनम्रता के भाव रखते हुये जीवन में चलना चाहिये । समय की कद्र करना चाहिये । समय परिवर्तन शील है और समय सभी के साथ न्याय करता है । यदि जीवन में सत्ता और धन दोनों मिल जाय उस समय व्यक्ति के ह्रदय में विनम्रता के भाव होना बहुत जरुरी है । अहंकार से व्यक्ति स्वयं को महान समझकर दूसरों को छोटा समझता है । अहंकार में व्यक्ति को अपना कद और अपने दायरे को कभी नहीं भुलना चाहिये ।




इस अवसर पर मुनिराज श्री जीतचन्द्रविजयजी म.सा. ने कहा कि प्रभु महावीर ने हमेशा अपने ह्रदय में करुणा भाव रखकर जीव मात्र के कल्याण की बात कही है । मन में दया और करुणा नहीं है तो फिर हमारे पास कुछ भी नहीं है । हमें आज जो भी मिला है वह सब हमारे पूर्व जन्म के पुण्य उदय की वजह से मिला है । हम दान भी देते है और सम्मान की अपेक्षा करते है । वह दान हमारे लिये निरर्थक साबित हो जाता है । दान जब भी दे दाये हाथ से दे तो बाये हाथ को भी पता नहीं चलना चाहिये । हम हमारे कर्मो के अनुसार हमारे भावी जीवन की योनि तय कर रहे है वर्तमान में हमारे साथ जो भी घटना घट रही है । वह सब हमारे पूर्व जन्म के कर्मो का नतीजा है । आज हमें जो भी सुविधा मिली है वह सब पूर्व जन्मों के कर्मो के आधार पर ही मिली है ।



बुधवार को गोपाल आईल मिल परिसर के बाहर से दादा गुरुदेव की पाट परम्परा के अष्टम पट्टधर श्री मोहनखेड़ा तीर्थ विकास प्रेरक वर्तमान गच्छाधिपति आचार्यदेवेश श्रीमद्विजय ऋषभचन्द्रसूरीश्वरजी म.सा., मुनिराज श्री जिनचन्द्रविजयजी म.सा., मुनिराज श्री जीतचन्द्रविजयजी म.सा., मुनिराज श्री जनकचन्द्रविजयजी म.सा. एवं साध्वी श्री किरणप्रभाश्री जी म.सा., साध्वी श्री संघवणश्री जी म.सा. आदि ठाणा का मंगलमय प्रवेश राजगढ़ नगर की पावन पुण्यधरा पर हुआ । यहां से विशाल चल समारोह श्री मोहन गार्डन की और गया । यहां आचार्यश्री ने श्री नाकोड़ा पाश्र्वनाथ जिन मंदिर एवं गुरु मंदिर के दर्शन वंदन किये । मोहन गार्डन परिसर में श्री संजयकुमार मांगीलालजी भण्डारी परिवार द्वारा नवकारसी का आयोजन किया था । लाभार्थी परिवार को आचार्यश्री ने आशीर्वाद प्रदान किया । चल समारोह नगर के प्रमुख मार्गो से होता हुआ राजेन्द्र भवन की धर्मसभा में परिवर्तित हुआ । स्मरण रहे आचार्यश्री के वरद हस्तों से महावीर जयंति के अवसर पर श्री महावीरजी की प्रतिष्ठा अंजनशलाका का 10 दिवसीय महोत्सव चातुर्मास से पूर्व सम्पन्न हुआ था । चल समारोह में आचार्यश्री के सम्मुख हर घर से अक्षत गहुंली की गई । 251 से अधिक विभिन्न महिला मण्डलों की महिलाऐं एक रंग की केसरीया वैश-भूषा में सिर पर कलश लिये चल रही थी । आचार्यश्री को प्रवचन पश्चात् राजगढ़ श्रीसंघ की और से कामली ओढ़ाई गई एवं मुमुक्षु श्री अजय नाहर का बहुमान किया गया ।
कार्यक्रम में राजगढ़ श्री संघ अध्यक्ष मणीलाल खजांची, चारथुई श्रीसंघ अध्यक्ष मनोहरलाल जैन, स्थानक श्रीसंघ से भेरुलाल वागरेचा, कांतिलाल सराफ, सेवन्तीलाल मोदी, विरेन्द्र सराफ, कैलाश जैन पिपलीवाला, संजय सराफ, डाॅ. अनोखीलाल जैन, संतोष चत्तर, प्रकाश पावेचा, दिलीप नाहर, बसन्तीलाल मेहता, प्रकाश मेहता, अशोक भण्डारी, सचीन सराफ, राजेन्द्र चण्डालिया, प्रकाश कावड़िया, ज्ञानेन्द्र भण्डारी, अनिल चत्तर, नरेन्द्र भण्डारी, अनिल खजांची, दिलीप भण्डारी, महेन्द्र भण्डारी, छोटुलाल मामा एवं श्री आदिनाथ राजेन्द्र जैन श्वे. पेढ़ी ट्रस्ट की और से महाप्रबंधक अर्जुनप्रसाद मेहता, सहप्रबंधक प्रीतेश जैन आदि विशेष रुप से उपस्थित थे ।

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