राजगढ़ (धार)/दसई (म.प्र.) । आचार्यश्री ऋषभचन्द्रसूरीश्वरजी म.सा. ने दसई नगर के नगरवासियों को आशीर्वाद प्रदान करते हुये कहा कि सर्व विरती, सर्व भय हर, ऋण मुक्ति, भव्य मुक्ति देने वाली संयम साधना जिसे पाना बहुत कठिन होता है । जिसके जीवन में संयम तप होता है उस आत्मा को देवता भी नमन करते है । इस संयम साधना के साथ वैराग्य के बहुत निमित्त बनते है । संसार में जो आया है उसे जाना तय है जन्म हुआ मृत्यु निश्चित है । जन्म मृत्यु के लिये, शरीर रोगों को धारण करने के लिये, जवानी बुढ़ापे को स्वीकार करने के लिये आती है । वैराग्य होने के कही कारण होते है । मोह गर्भित वैराग्य, दुःख गर्भित वैराग्य, ज्ञान गर्भित वैराग्य साथ ही कुछ लोगों को चंद घण्टों के लिये श्मशान में मसाणीया वैराग्य उत्पन्न हो जाता है पर यह वैराग्य क्षणिक होता है । व्यक्ति श्मशान से बाहर होते ही संसारी चकाचोंध मंे उलझकर अपने संसारी काम काजो में व्यस्त हो जाता है । भगवान महावीर के बताये हुये मार्ग पर अग्रसर होना ही सच्चा ज्ञान गर्भित वैराग्य माना गया है । संसारी सम्बंध थोड़े समय के लिये होते है व्यक्ति जब सुख के पल जीता है तब संसारी लोग उसके हाल चाल जानने चल आते है । उसकी रिश्ते दारी व अपना सम्बंध जोड़ने का प्रयास करते है पर जब व्यक्ति दुखी होता है । तब संसारी लोग उससे कन्नी काटने लगते है और उस समय प्रभु का मार्ग व्यक्ति को याद आता है और यही धर्म का मार्ग व्यक्ति को अपनी आखरी मंजिल मोक्ष तक पहुंचाने मंे सहायक होता है । भाई अजय पिछले कई वर्षो से मेरे आस-पास घुमता रहा । परेशान भी रहा पर मेने कभी इसे दीक्षा लेने हेतु प्रेरित नहीं किया । मैं जानता था की यह बालक जरुर एक ना एक दिन दीक्षा लेगा 12 वर्षो के पश्चात् अचानक इसके मन में दीक्षा लेने के भाव उत्पन्न हुये अपने परिवार के साथ इसने श्री मोहनखेड़ा महातीर्थ में इसने दीक्षा प्रदान करने की विनती इन्दौर में की । हमने भी इसे स्वीकार कर दीक्षा की अनुमति व दीक्षा का मुहूर्त 15 जनवरी 2020 का प्रदान कर दिया ।
मंगलवार को अशोककुमारजी राजमलजी नाहर परिवार के कुलदीपक अजय नाहर के दीक्षा वर्षीदान वरघोड़े के निमित्त दादा गुरुदेव की पाट परम्परा के अष्टम पट्टधर श्री मोहनखेड़ा तीर्थ विकास प्रेरक वर्तमान गच्छाधिपति आचार्यदेवेश श्रीमद्विजय ऋषभचन्द्रसूरीश्वरजी म.सा., मुनिराज श्री जिनचन्द्रविजयजी म.सा., मुनिराज श्री जीतचन्द्रविजयजी म.सा., मुनिराज श्री जनकचन्द्रविजयजी म.सा. आदि ठाणा का मंगलमय प्रवेश दसई नगर की पावन पुण्यधरा पर हुआ ।
मुमुक्षु अजय नाहर ने अपने नगर वासीयों को प्रथम बार सम्बोधित करते हुये कहा कि मेरे गुरु ही मेरे भगवान है । मेरे गुरु ने मेरे दुख सुख में हमेशा मेरा साथ दिया है और यही मेरे जीवन की नैया पार लगाने में सक्षम है । जब मैं शिखर जी की यात्रा कर रहा था मुझे विश्वास नहीं था की मैं यह यात्रा कर पाउंगा पर गुरु की महती कृपा और आशीर्वाद से मैंने बिना डोली के पैदल यात्रा की और मुझे बिलकुल भी थकान महसुस ना हुई । मैंने एक भाई और मां को छोड़ा है मुनि जिनचन्द्रविजयजी भाई के रुप में मिले है जगत की सभी जननी माता मेरी माता बन गयी है । अब मेरी मां को मेरी चिंता करने की जरुरत नहीं है ।
नवकारसी के पश्चात् नगर के मुख्य द्वार बस स्टेण्ड से पहले दीक्षा के वर्षीदान का वरघोड़ा एवं आचार्यश्री की मंगलप्रवेश यात्रा विशाल चल समारोह के साथ प्रारम्भ हुई । नगर वासीयों में मुमुक्षु अजय नाहर की दीक्षा को लेकर अपार हर्ष के साथ आंखों में अश्रु की धारा भी चल रही है साथ ही युवतियां रंग बिरंगी पोषाखों में नृत्य करती नजर आयी । महिलाऐं सिर पर कलश धारण करके चल रही थी । मुमुक्षु जीप बग्गी में सवार होकर नृत्य करते हुये अपने दोनों हाथों से रुपये, वस्त्र व संसारिक समानों को वर्षीदान के रुप में अपार जन सैलाब में बाटते नजर आये । यह चल समारोह नगर के मुख्य मार्गो से होता हुआ मुमुक्षु के अभिनन्दन व विदाई समारोह स्थल पर पहुंचा । आचार्यश्री ने मंगलाचरण का श्रवण करवाकर कार्यक्रम को गति प्रदान की । पधारे हुये अतिथियों ने प्रभु एवं दादा गुरुदेव के चित्र पर माल्यार्पण कर दीप प्रज्जवलित किया ।
कार्यक्रम में सरदारपुर विधायक श्री प्रताप ग्रेवाल, नवीन बानिया, श्री आदिनाथ राजेन्द्र जैन श्वे. पेढ़ी ट्रस्ट की ओर से महाप्रबंधक अर्जुनप्रसाद मेहता, सहप्रबंधक प्रीतेश जैन सहित स्टाफ एवं राजगढ़ श्रीसंघ की और से नरेन्द्र भण्डारी पार्षद, दिलीप भण्डारी सहित बड़ी संख्या में संघ के कई वरिष्ठ समाज सेवी उपस्थित थे । संगीतमय प्रस्तुति हेमन्त वेदमुथा ने दी ।
कार्यक्रम में मुमुक्षु अजय नाहर को विजय मुहूर्त में विजय तिलक संगीता बेन सुभाषजी कांतिलालजी करनावट लीमड़ी (मौसी परिवार) ने किया । माला, तिलक, अभिनन्दन पत्र भेट कर बहुमान सकल जैन श्रीसंघ दसई ने किया साथ ही महिला व बालिका परिषद की और से भी मुमुक्षु का बहुमान अभिनन्दन पत्र से किया गया । स्वागत भाषण सुभाष जी मण्डलेचा ने दिया । स्वागत गीत की प्रस्तुति नेहा मुस्कान पावेचा ने दी । संयम पथ की विदाई के अवसर पर विदाई गीत की प्रस्तुति युक्ता मण्डलेचा द्वारा दी गई । कार्यक्रम की पूर्णाहुति के अवसर पर स्वामीवात्सल्य का लाभ मण्डलेचा परिवार की और से लिया गया ।