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"सफलता की कहानी"- रमेशचन्द्र तथा कैलाशचन्द्र वर्मा दोनों भाईयों ने मत्स्य बीज उत्पादन से आर्थिक क्षेत्र में आत्मनिर्भर बने



 धार जिले के निमाड अंचल का ग्राम सुन्द्रेल जिले का सबसे बडे पशु बाजार के नाम से जाना जाता है और जिले की सबसे बडी आय वाली पंचायत है। यहॉं का मुख्य धंधा कृषि एवं सहायक व्यवसाय पशु पालन व उद्यानिकी फसले है। सुन्द्रैल के रहने वाले रमेशचंद्र वर्मा एवं कैलाश चंद्र वर्मा जाति कहार इन दो भाईयों का कहना है कि हम मत्स्य बीज उत्पादन का कार्य विगत 29 वर्षो से करते आ रहे है। शुरू में हमारे पास 7 बीघा जमीन थी। जिसमें मत्स्य विभाग धार के सहयोग से 2 लाख 1 हजार रूपये का ऋण लेकर मत्स्य बीज संवर्धन के लिये कच्ची नर्सरियों का निर्माण किया गया था। प्रक्षेत्र में कामनकार्प मछली का प्रजनन करवाये जाने लगा एवं मेजरकार्प, कतला, रोहू, मृगल का मत्स्यबीज स्पॉन कलकत्ता एवं हावडा से लाकर संवर्धन करके फ्राई बेचने का काम छोटे पैमाने पर किया जाने लगा। धीरे धीरे जो पैसा आने लगा उससे जमीन खरीदी गई। उसी जमीन में 40 पक्की नर्सरिया और हेचरी का निर्माण बैंक से 13 लाख रूपये का ऋण लेकर मत्स्य बीज उत्पादन का कार्य बडे पैमाने पर किया जाने लगा। नर्सरियों में पानी भरने के लिये नर्मदा नदी से पाईप लाईन डाली गई ताकि पर्याप्त पानी उपलब्ध हो सकें। कामनकार्प के साथ-साथ मेजरकार्प मछलियों का प्र्रजनन भी प्रारंभ किया जा कर मत्स्यबीज इंदौर संभाग के जिलों के अतिरिक्त महाराष्ट्र और राजस्थान के कुछ क्षेत्रों के मत्स्य पालकों को भी प्रदाय किया जा रहा है। जिससे वर्ष भर में 25 से 30 लाख रूपये की आय होने लगी। खुद के पास पशु संसाधन के रूप में लगभग 40 भैंस, गाय एवं बैल है। जिनका गोबर मत्स्य एवं मत्स्यबीज के फीड्रिंग के काम में लिया जा रहा है। दूध के साथ-साथ दही, छाछ और घी भी प्राप्त हो रहा है।
      वित्तीय वर्ष 2009-10 में हम दोनो भाईयों की पत्नियों के नाम से बैंक ऑफ इंडिया धामनोद द्वारा 75-75 लाख रूपये इस प्रकार कुल 1 करोड़ 50 लाख रूपये का बैंक ऋण लिया गया। जिससे 60 पक्की नर्सरिया, 8 इन्कुवेशन पुल और पानी के लिये 1 बडी टंकी का निर्माण किया गया है। वर्तमान में प्रक्षेत्र पर 106 पक्की नर्सरीयॉं है। प्रक्षेत्र में 4 बारहमासी कुआ एवं नर्मदा पाईप लाईन से पानी लिया जा रहा है। वर्ष 2010-11 से मत्स्य बीज स्पॉन का उत्पादन बृहद पैमाने पर प्रारंभ किया गया है। मत्स्य विभाग धार के द्वारा दोनों प्रक्षेत्रों के निमार्ण पर 1.20-1.20 लाख इस प्रकार कुल 2 लाख 40 हजार रूपये का अनुदान भी प्रदाय किया गया है। हमारें क्रेन्द्र से मत्स्य महासंघ के गॉंधीसागर, बाणसागर, इंदिरासागर, ओंकारेश्वर, मडीखेडा, कोलार, हलाली, बारना, भीमगढ एवं केरवा जलाशयों में फिंगरलिंग मत्स्य बीज की पूर्ति भी की जाती है। वर्तमान में हमारे पास 120 बीघा जमीन, 2 लग्जरी गाडीयॉ, 4 टैक्टर, 1 जे.सी.बी. मशीन है। मत्स्य बीज उत्पादन का कार्य प्रारंभ करने से पहले कच्चे मकान में रहते थे, लेकिन आज वे 1 से 1.50 करोड रूपये के बंगले में निवास करते है। प्रारंभ में बैंक से ऋण लेने में काफी मुश्किल का सामना करना पडा है क्योंकि बैंक मनेजर फिशरिज एक्टीविटी में जानकारी नही होना बताया गया, लेकिन बाद में जो ऋण लिया। उसमें बैंक प्रबंधक दक्षिण भारतीय होने के कारण फिशरिज में एक्सपर्ट थे। आसानी से मत्स्य बीज उत्पादन के लिए ऋण उपलब्ध कराया गया।
      वित्तीय वर्ष 2011-12 में राष्ट्रीय कृषि विकास योजनांतर्गत निजी क्षेत्र में संवर्धन जलक्षेत्र स्थापना के तहत संयुक्त रूप से 5.000 हेक्टेयर की स्थापना के लिए बैंक ऑफ इंडिया शाखा-धामनोद द्वारा 50 लाख रूपये का ऋण प्रकरण स्वीकृति उपरांत सहायक संचालक मत्स्योद्योग जिला धार से  25 लाख रूपये की आर्थिक सहायता उपलब्ध कराई गई। योजनांतर्गत 5.000 हेक्टेयर संवर्धन जलक्षेत्र का विकास करते हुये वर्ष 2011-12 में 7200.00 लाख स्पॉन मत्स्यबीज एवं 1235.00 लाख रूपये स्टे. फ्राय मत्स्यबीज का उत्पादन किया गया। जिसमें उत्तरोत्तर वृद्धि करते हुये वर्ष 2019-20 में 11050.00 लाख रूपये स्पॉन मत्स्यबीज एवं 3310.00 लाख स्टे. फ्राय मत्स्यबीज का उत्पादन किया गया, जो मध्यप्रदेश में निजी मत्स्य बीज उत्पादन के क्षेत्र मे सर्वाधिक होने के साथ पूरे प्रदेश के मत्स्य बीज उत्पादन का लगभग 23 प्रतिशत है।
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