आज 4 दिसंबर की रात आसमान में एक बेहद ख़ास खगोलीय नज़ारा दिखाई देने वाला है। दिसंबर महीने की पूर्णिमा को “कोल्ड मून” कहा जाता है और इस बार यह एक सुपरमून के रूप में चमकेगी। सुपरमून तब होता है जब चाँद पृथ्वी के थोड़ा और करीब आकर पूर्ण आकार में दिखाई देता है, जिसकी वजह से यह साधारण पूर्णिमा की तुलना में ज़्यादा बड़ा और अधिक उज्ज्वल नज़र आता है। वैज्ञानिकों के अनुसार यह साल 2025 का आख़िरी सुपरमून है और इसे चाँद के उगते समय सबसे खूबसूरत तरीक़े से देखा जा सकता है। अगर आकाश साफ़ हो और शहर की रोशनी कम हो, तो यह दृश्य और भी प्रभावशाली होगा। रात के पहले हिस्से में खुले स्थानों से देखने की सलाह दी जाती है, क्योंकि वहां बड़े भवनों या पेड़ों की कोई बाधा नहीं होती।
दिसंबर की इस पूर्णिमा को “कोल्ड मून” (Cold Moon) इसलिए भी कहा जाता है क्योंकि इस महीने सर्दियाँ अपने चरम की ओर बढ़ रही होती हैं और रातें काफी लंबी हो जाती हैं। वैज्ञानिक रूप से देखा जाए तो इस चंद्र घटना का मानव जीवन, स्वास्थ्य या भाग्य पर कोई प्रमाणित प्रभाव नहीं पड़ता। लेकिन दुनिया में कुछ लोग जो सचमुच करोड़ों में एक कहे जा सकते हैं लाल या अधिक चमकीले चाँद को बेहद शुभ संकेत मानते हैं। उनके अनुसार यह सकारात्मक ऊर्जा, नए अवसर और जीवन में अच्छे बदलाव का प्रतीक होता है। वहीं कुछ मान्यताओं में अनजाने भय के कारण ऐसे चाँद को अशुभ भी कहा गया है, लेकिन यह सिर्फ़ परंपराओं और विश्वासों तक ही सीमित है। वास्तविकता यह है कि सुपरमून का प्रभाव मनुष्य की भावनाओं पर पड़ सकता है जैसे आसमान देखकर शांति महसूस होना, लेकिन किसी भी घटना या जीवन-परिवर्तन का कारण बनना वैज्ञानिक रूप से सिद्ध नहीं है।



