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Jamshedpur Literature Festival: लिटरेचर फेस्टिवल ने जमशेदपुर को दी नई पहचान, भव्य आगाज़ के साथ पहले दिन का कार्यक्रम संपन्न

 

देशभर से आए साहित्यकारों, कलाकारों और विचारकों की मौजूदगी में शुरू हुआ दो दिवसीय जमशेदपुर लिटरेचर फेस्टिवल 2025

जमशेदपुर। साहित्य, कला और विचारों के संवाद का एक सशक्त राष्ट्रीय मंच जमशेदपुर में साकार हो गया है। बिष्टुपुर स्थित रामाडा होटल में शनिवार को जमशेदपुर लिटरेचर फेस्टिवल 2025 का भव्य शुभारंभ हुआ। दो दिवसीय इस महोत्सव में देश के विभिन्न हिस्सों से आए साहित्यकारों, पत्रकारों, कलाकारों, प्रशासकों और विचारकों की उल्लेखनीय उपस्थिति ने आयोजन को विशेष बना दिया।

उद्घाटन सत्र में लेखक एवं पत्रकार सोपान जोशी, प्रसिद्ध चित्रकार मनीष पुष्कले, दिल्ली से आए डॉ. रंजन त्रिपाठी, आईएएस सौरभ तिवारी, अभिनेता राजेश जैस और फिल्म निर्देशक अभिषेक चौबे ने संयुक्त रूप से दीप प्रज्ज्वलन कर महोत्सव का उद्घाटन किया। इस अवसर पर वक्ताओं ने साहित्य की सामाजिक भूमिका, रचनात्मक स्वतंत्रता और संवाद की आवश्यकता पर अपने विचार रखे।

अभिनेता राजेश जैस ने नागपुरी भाषा में अपनी बात रखते हुए झारखंड की स्थानीय संस्कृति और भाषाओं के महत्व पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि ऐसे मंच न केवल साहित्य और सिनेमा को बढ़ावा देते हैं, बल्कि क्षेत्रीय भाषाओं को भी राष्ट्रीय पहचान दिलाने का काम करते हैं। झारखंड की सड़कों, हरियाली और जमशेदपुर की कॉस्मोपॉलिटन संस्कृति की सराहना करते हुए उन्होंने शहर को “अविभाजित बिहार का बंबई” बताया। मूल रूप से रांची निवासी राजेश जैस ने कहा कि झारखंड आना उन्हें अपने घर लौटने जैसा लगता है। अपनी ही बातों पर चुटकी लेते हुए जब उन्होंने कहा कि “फिर मैं यहीं क्यों नहीं रहता”, तो पूरा लॉन तालियों की गड़गड़ाहट से गूंज उठा।

होत्सव के दौरान कविता-पाठ, ग़ज़ल, व्यंग्य, पत्रकारिता संवाद, चित्रकला कार्यशालाएँ और साहित्य के विभिन्न आयामों पर केंद्रित सत्र आयोजित किए जा रहे हैं। देश के प्रतिष्ठित लेखकों और बुद्धिजीवियों के बीच होने वाले इन संवादों ने आयोजन को विचारों और अनुभवों का समृद्ध संगम बना दिया है।

इस आयोजन का उद्देश्य केवल साहित्य को प्रोत्साहन देना ही नहीं, बल्कि समाज, संस्कृति और कला के विविध दृष्टिकोणों को एक मंच पर लाकर एक सशक्त सांस्कृतिक वातावरण तैयार करना है। स्थानीय छात्र, शिक्षक और साहित्य प्रेमी इस महोत्सव के माध्यम से राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर के विद्वानों से सीधे संवाद का अवसर पा रहे हैं।

पहले दिन उद्घाटन सत्र के दौरान वाराणसी से आई कलाकार आकांक्षा सिंह सहित अन्य विशिष्ट अतिथियों को सम्मानित किया गया। इसके साथ ही निर्णायक मंडल के सदस्यों संपादक संजय मिश्र, भवानन्द झा, यू.एन. पाठक, गणेश मेहता, जयप्रकाश राय, ब्रजभूषण सिंह और उदित अग्रवाल को सम्मान पत्र और स्मृति चिन्ह प्रदान किए गए।

शाम के सत्र में ‘राहगीर’ नाम से लोकप्रिय गायक और कवि सुनील कुमार गुर्जर की प्रस्तुति ने माहौल को जीवंत कर दिया। गिटार के साथ कविता और गीतों की उनकी अनोखी शैली ने श्रोताओं को झूमने पर मजबूर कर दिया और कार्यक्रम में चार चाँद लगा दिए। फेस्टिवल में पहुंचे दर्शकों और साहित्य प्रेमियों का कहना है कि इस आयोजन से न केवल जमशेदपुर में साहित्यिक परंपरा को नई मजबूती मिलेगी, बल्कि शहर को सांस्कृतिक पर्यटन के मानचित्र पर भी एक नई पहचान मिलेगी। साहित्य, विचार और संस्कृति से सराबोर यह महोत्सव अपने पहले ही दिन लोगों को आकर्षित करने में सफल रहा और अगले दिन भी इसी उत्साह के साथ कार्यक्रम जारी रहेगा।

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