महाराष्ट्र के माणगांव नगर में आज आध्यात्मिक ऊर्जा और वैदिक परंपरा का दुर्लभ संगम देखने को मिला, जब पूज्य पूर्णगुरू श्री करौली शंकर महादेव जी (Shri Karauli Shankar Mahadev) के सान्निध्य में श्री करौली शंकर महादेव धाम महाराष्ट्र का भव्य उद्घाटन सम्पन्न हुआ। इस ऐतिहासिक क्षण में पूर्णगुरू पंडित श्री राधा रमण जी मिश्र,पूर्णगुरु गुरुमाता माँ कामरूप कामाख्या और माँ महाकाली जी – की प्राण प्रतिष्ठा विधिपूर्वक सम्पन्न की गई।
इस आयोजन में एक विशेष और गौरवपूर्ण क्षण तब आया जब वीरता और राष्ट्रभक्ति के प्रतीक छत्रपति शिवाजी महाराज की भव्य प्रतिमा का अनावरण किया गया, जिससे सभागार में उपस्थित जनमानस में ऐतिहासिक गौरव और चेतना का संचार हुआ।
शंकर सेना की भूमिका और सात दिवसीय आयोजन की झलक
कार्यक्रम का आयोजन शंकर सेना महाराष्ट्र के अध्यक्ष श्री उज्ज्वल चौधरी और उनकी समर्पित टीम द्वारा पूर्णिमा पर्व के अवसर पर किया गया था। यह सप्तदिवसीय महोत्सव आध्यात्म और संस्कृति का जीवंत संगम बन गया, जिसमें भारत के विभिन्न राज्यों से हजारों श्रद्धालुओं ने भाग लिया।
आज प्रसिद्ध कथा वाचक श्री स्वामी समाधान चैतन्य जी महाराज द्वारा दिव्य शिव कथा के आयोजनका तीसरा दिन था, जिसने भक्तों को भावविभोर कर दिया। इसी क्रम में, बाबा-माँ की दिव्य आरती और एक दिवसीय विशेष अनुष्ठान प्रक्रिया का आयोजन भी हुआ, जिसमें भाग लेने के लिए देश-विदेश से श्रद्धालु पहुंचे।
दीक्षा परंपरा और आत्मोत्थान की राह
इस सप्तदिवस पूर्णिमा कार्यक्रम में मंत्र दीक्षा, तंत्र क्रिया योग दीक्षा आयोजित है, जिसमें देश-विदेश से शिष्य भाग ले रहे हैं। पूर्णगुरू जी द्वारा प्रदत्त दीक्षा परंपरा वर्षों से लाखों लोगों के जीवन में बदलाव, शांति और उन्नति का कारण बनी है।
वैदिक विज्ञान और मानव कल्याण का वैश्विक विस्तार
स्मृति महाविज्ञान के प्रणेता और हरिद्वार स्थित मिश्री मठ के तृतीय मठाधीश – पूज्य पूर्ण गुरु श्री करौली शंकर महादेव जी – ने वैदिक ज्ञान और शिवतंत्र की प्राचीन विधाओं को आधुनिक जीवन के लिए एक वैज्ञानिक दृष्टिकोण में प्रस्तुत किया है। ‘पूर्ण चिकित्सा विज्ञान पद्धति’ के अंतर्गत स्मृति शुद्धि से मानव जाती को रोग मुक्ति, शोक मुक्ति एवं नशा मुक्ति का अनुभव संभव हो रहा है, जिससे हजारों लोगों को स्वास्थ्य और आत्मिक सुख की प्राप्ति हो रही है।
भविष्य की योजनाएं और एक नई दिशा
इस अवसर पर पूर्णगुरू जी ने कहा, “यह दरबार भक्तों के लिए एक सुरक्षा कवच है, जो उन्हें जीवन की जटिलताओं से लड़ने की शक्ति देता है।” उन्होंने यह भी घोषणा की कि आगामी महीनों में महाराष्ट्र में एक और भव्य आध्यात्मिक महासम्मेलन का आयोजन किया जाएगा।
श्री करौली शंकर महादेव धाम महारष्ट्र का यह उद्घाटन न केवल सनातन परंपरा की पुनर्स्थापना है, बल्कि यह भावी समाज व्यवस्था में एक आध्यात्मिक और वैदिक परिवर्तन की आधारशिला के रूप में भी देखा जा रहा है।
निष्कर्ष:
माणगांव में संपन्न हुआ यह आयोजन सनातन संस्कृति के गौरव, वैदिक विज्ञान के पुनरुत्थान और सामाजिक पुनर्जागरण का सशक्त प्रतीक बनकर उभरा है। यह न केवल वर्तमान पीढ़ी को दिशा देगा, बल्कि आने वाली पीढ़ियों के लिए भी एक स्थायी प्रेरणा का स्रोत सिद्ध होगा।