भारतीय शिक्षा जगत के प्रख्यात नाम और समाज सुधारक डॉ. अबिन सी. राज को अमेरिका की प्रतिष्ठित मैरीलैंड स्टेट यूनिवर्सिटी से इकोनॉमिक्स में डॉक्टरेट की उपाधि से सम्मानित किया गया है। उनकी शोध परियोजना ने शिक्षा नीतियों के छात्र प्रदर्शन और राष्ट्रीय विकास पर पड़ने वाले आर्थिक प्रभाव को गहराई से विश्लेषित किया, जिसे विशेषज्ञों ने शिक्षा अर्थशास्त्र के क्षेत्र में एक ‘क्रांतिकारी योगदान’ बताया है।
डॉ. अबिन का शोध कार्य यह दर्शाता है कि कैसे प्रभावी शिक्षा नीतियाँ किसी राष्ट्र की सामाजिक-आर्थिक प्रगति में निर्णायक भूमिका निभाती हैं। उन्होंने शिक्षा व्यवस्था, आर्थिक विकास और छात्र परिणामों के बीच गहरे संबंध को डेटा-संचालित दृष्टिकोण से प्रस्तुत किया है, जिससे नीति-निर्माण और संस्थागत सुधारों के लिए व्यावहारिक रणनीतियाँ सामने आई हैं।
पहले से ही शिक्षा और प्रबंधन के क्षेत्र में दो डॉक्टरेट डिग्रियों के धारक, डॉ. अबिन की यह तीसरी पीएच.डी उन्हें शिक्षा सुधार के क्षेत्र में एक बहु-आयामी विशेषज्ञ के रूप में स्थापित करती है। वे वर्तमान में वर्ल्ड ह्यूमन राइट्स प्रोटेक्शन कमीशन (WHRPC), नई दिल्ली के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष और SKDMS रेसिडेंशियल सेंटर स्कूल के एकेडमिक डायरेक्टर के रूप में कार्यरत हैं।
डॉ. अबिन न केवल एक शिक्षाविद् हैं, बल्कि एक प्रेरणादायी वक्ता, सर्टिफाइड टीचर ट्रेनर और UNESCO सर्टिफाइड इंटरनेशनल एजुकेटर भी हैं। वे Laa Education के संस्थापक व निदेशक हैं, जहाँ वे स्किल-बेस्ड लर्निंग, नवाचारपूर्ण शिक्षण विधियों और छात्र-केंद्रित पाठ्यक्रमों के माध्यम से शिक्षा में बदलाव ला रहे हैं।
उनकी सामाजिक प्रतिबद्धता भी उतनी ही प्रभावशाली है जितनी उनकी शैक्षणिक उपलब्धियाँ। उन्होंने महाराष्ट्र और अन्य राज्यों में वंचित व जनजातीय समुदायों के बच्चों को मुफ्त शिक्षा उपलब्ध कराने की पहल की है। इसके साथ ही वे अनेक सामाजिक कल्याण अभियानों जैसे रक्तदान शिविरों, कोविड-19 राहत कार्यों और सामुदायिक विकास योजनाओं का नेतृत्व भी कर चुके हैं।
मैरीलैंड स्टेट यूनिवर्सिटी से उनकी हालिया पीएच.डी उपाधि उनके शैक्षणिक समर्पण और नवाचार की प्रतिबद्धता को और मजबूती देती है। उनके शोध निष्कर्ष न केवल भारत बल्कि अन्य विकासशील देशों के लिए भी शिक्षा नीति में बदलाव और समावेशी विकास की दिशा में मार्गदर्शक साबित हो सकते हैं।
डॉ. अबिन का यह नया कीर्तिमान उन्हें एक ऐसे दूरदर्शी शिक्षाविद् के रूप में स्थापित करता है जो शिक्षा को सामाजिक न्याय, आर्थिक विकास और राष्ट्रीय समृद्धि का मूल स्तंभ मानते हैं। शिक्षा नीति और अर्थव्यवस्था के इस संगम को व्यावहारिक रूप देने वाले उनके प्रयास आने वाले समय में वैश्विक स्तर पर प्रभाव डाल सकते हैं।