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भारत और नेपाल का रोटी बेटी का संबंध है, किसी की हैसियत नहीं जो इसे तोड़ सके | पूर्णगुरू श्री करौली शंकर महादेव

कुशीनगर, गोरखपुर क्षेत्र – उत्तर प्रदेश के कुशीनगर में शंकर सेना यूपी द्वारा आयोजित शिव महिमा कथा के अवसर पर पूर्णगुरु श्री करौली शंकर महादेव (Shree Karauli Shankar Mahadev) ने ऐतिहासिक घोषणाएँ कीं। इस तीन दिवसीय अनुष्ठान में हजारों श्रद्धालु शामिल हुए और श्री करौली शंकर महादेव के मुखारविंद से शिव तत्त्व, तंत्र विद्या, गुरु परंपरा और सनातन संस्कृति पर गहन प्रवचन सुना। इस दौरान नेपाल में विश्व सनातन महासम्मेलन के आयोजन की घोषणा की गई, जिससे सनातन धर्म के अनुयायियों में विशेष उत्साह देखने को मिला।


गोरखनाथ मठ में भव्य स्वागत

इस आयोजन से पूर्व, पूर्णगुरु श्री करौली शंकर महादेव ने शिवावतार महायोगी श्री गुरु गोरखनाथ के दर्शन किए जहां उन्होंने अपनी आगामी नेपाल यात्रा के लिए अनुमति मांगी तथा विश्व सनातन महासम्मेलन की सफलता की कामना की  । वहां उनका स्वागत मुख्य पुजारी श्री कमल नाथ जी व मंदिर के अन्य वरिष्ठ अधिकारी एवं संतों द्वारा किया गया। 


नेपाल में विश्व सनातन महासम्मेलन की घोषणा

शिव महिमा कथा के उपरांत, पूर्णगुरु श्री करौली शंकर महादेव ने नेपाल में होने वाले विश्व सनातन महासम्मेलन की घोषणा की। इस सम्मेलन में हिंदू जागरण मंच और अन्य आध्यात्मिक संस्थाओं की सहभागिता रहेगी। नेपालवासियों में इस आयोजन को लेकर विशेष जोश और उल्लास देखा जा रहा है।


गुरु परंपरा और भारत-नेपाल का आध्यात्मिक संबंध

कथा प्रवचन में, पूर्णगुरु श्री करौली शंकर महादेव ने भारत-नेपाल के गहरे सांस्कृतिक और आध्यात्मिक संबंधों पर प्रकाश डाला । उन्होंने कहा, "भारत और नेपाल का संबंध केवल भौगोलिक नहीं, बल्कि आत्मिक और आध्यात्मिक भी है। गुरु गोरखनाथ की परंपरा दोनों देशों को जोड़ती है। रोटी-बेटी का संबंध तोड़ना किसी के बस की बात नहीं है।"


शिव उपासना और आत्मज्ञान का संदेश

पूर्णगुरु जी ने अपने प्रवचन में कहा कि आत्मज्ञान के बिना जीवन अधूरा है। उन्होंने श्रद्धालुओं को संदेश दिया कि " स्वयं को समझे बिना न परिवार को समझा जा सकता है, न समाज को ।" सुख-दुख के चक्र पर चर्चा करते हुए उन्होंने बताया कि " स्थायी सुख का मार्ग केवल आत्मबोध और आध्यात्मिक साधना में है।"


संकल्प और प्रार्थना का परिणाम

कथा के दौरान पूर्णगुरु श्री करौली शंकर महादेव ने सभी श्रद्धालुओं को संकल्प करवाया। कथा में उपस्थित जितने भी लोग थे, उन्होंने संकल्प किया और श्री करौली शंकर महादेव के दरबार से प्रार्थना की कि उनके कष्ट दूर हों। इसके बाद उन्होंने महसूस किया कि उनके जीवन में व्याप्त कष्ट समाप्त हो गए हैं।

वृद्ध लोग जो चलने-फिरने में असमर्थ थे, वे सहजता से चलने लगे।

शराबी लोगों ने अनुभव किया कि उन्हें शराब पीने की इच्छा नहीं हो रही।

बच्चों में पढ़ाई के प्रति आकर्षण और आत्मविश्वास बढ़ गया।

संपूर्ण वातावरण गुरु गोरखनाथ और श्री करौली शंकर महादेव की कृपा से ऊर्जावान हो गया।

यह दिव्य अनुभव सभी श्रद्धालुओं के लिए अध्यात्मिक, शारीरिक, मानसिक रूप से प्रेरणादायक रहा।


बलि प्रथा पर कड़ा संदेश

पूर्णगुरु श्री करौली शंकर महादेव ने बलि प्रथा पर गंभीर चिंता व्यक्त की और इसे अमानवीय परंपरा करार दिया। उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा, "माँ किसी की हत्या नहीं चाहती, वह अपने सभी बच्चों को समान प्रेम करती है।" उन्होंने कामाख्या मंदिर सहित सभी स्थानों पर बलि प्रथा समाप्त करने के लिए कहा अन्यथा उस स्थान को भी  माँ का प्रकोप झेलना पड़ेगा ।


परिवार और समाज में संतुलन का महत्व

परिवार को समाज की सबसे मजबूत इकाई बताते हुए पूर्णगुरु जी ने कहा कि "अगर परिवार में प्रेम और सामंजस्य है, तो समाज में भी शांति बनी रहेगी। परिवार से सुंदर कोई स्थान नहीं।"


आगामी आयोजन: भागलपुर में भव्य दरबार समागम

कथा के समापन पर घोषणा की गई कि तीन और चार मई को बिहार के भागलपुर में एक भव्य दरबार समागम का आयोजन होगा। इस कार्यक्रम से जुड़ी जानकारी दरबार के यूट्यूब चैनल पर उपलब्ध कराई जाएगी।


निष्कर्ष

इस शिव महिमा कथा ने श्रद्धालुओं को आध्यात्मिक उन्नयन और आत्मचिंतन का अवसर प्रदान किया। कथा प्रवचन ने शिव भक्ति, गुरु परंपरा, आत्मज्ञान, पारिवारिक संतुलन और सनातन संस्कृति की व्यापकता को प्रभावशाली ढंग से उजागर किया। नेपाल में आगामी विश्व सनातन महासम्मेलन को लेकर भी श्रद्धालुओं में जबरदस्त उत्साह देखा जा रहा है।


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