भूमिगत के बाद भी ओवरहेड टावर पर वन विभाग की चुप्पी क्यों?
मोहन सरकार की प्रतिबद्धता पर प्रश्नचिह्न लगाते वन विभाग के अधिकारी!
सरदारपुर, धार। खरमोर अभयारण्य में 220 केवी ट्रांसमिशन लाइन को भूमिगत करने की अनुमति दी गई थी, लेकिन प्रशासनिक गलती के कारण इसे ओवरहेड कर दिया गया। राष्ट्रीय वन्यजीव बोर्ड की 80वीं बैठक में स्पष्ट निर्देश दिए गए थे कि अभयारण्य क्षेत्र में लाइन भूमिगत होगी, लेकिन मध्यप्रदेश वन विभाग की एक त्रुटि के चलते आदेश की प्रतिलिपि में "ओवरहेड" शब्द जुड़ गया, जिससे किसानों और प्रशासन में भ्रम की स्थिति बन गई।
बताया जा रहा है कि किसानों का आरोप है कि बिना उनकी सहमति के निजी एजेंसी ने उनके खेतों में चूना डालकर जबरन निर्माण कार्य शुरू कर दिया। कुछ किसानों का यह भी कहना है कि एजेंसी ने उन्हें गुमराह कर वन विभाग का गलत आदेश दिखाया और सहमति लेने की कोशिश की।
बुधवार को मौके पर पहुंचे वन विभाग के अधिकारियों ने पंचनामा तैयार किया और ओवरहेड लाइन के टावरों की तस्वीरें व वीडियो रिकॉर्ड किए। वन विभाग के डिप्टी रेंजर अमन सिंह टेगौर और वनरक्षक रमेश मेड़ा ने निरीक्षण किया और बताया कि आगे की कार्रवाई वरिष्ठ अधिकारियों के निर्देशानुसार होगी।
अब सवाल यह उठता है कि जब प्रशासनिक गलती स्पष्ट हो चुकी है, तो वन विभाग ने इसे सुधारने के लिए ठोस कदम क्यों नहीं उठाए? किसानों की शिकायतों के बावजूद ओवरहेड निर्माण को रोका क्यों नहीं गया?
सूत्रों के अनुसार, यदि इस गलती को जल्द दुरुस्त नहीं किया गया और भूमिगत ट्रांसमिशन लाइन की अनुमति के अनुसार कार्यवाही नहीं हुई, तो किसान उच्च न्यायालय और राष्ट्रीय हरित अधिकरण (NGT) का रुख कर सकते हैं।