हरिद्वार स्थित श्री करौली शंकर महादेव (Karauli Shankar Mahadev) धाम में 17, 18 और 19 अक्टूबर 2024 तक त्रिदिवसीय महा सम्मेलन एवं दीक्षा कार्यक्रम का आयोजन किया जा रहा है। इस आध्यात्मिक समागम में हजारों भक्तों के शामिल होने की उम्मीद है।
श्री करौली शंकर महादेव (Shri Karauli Shankar Mahadev) जी ने पत्रकारों को संबोधित करते हुए बताया कि कैसे पूर्व जन्मों की नकारात्मक स्मृतियां या पितरों के अंतिम समय के कष्टों की याद व्यक्ति के वर्तमान जीवन में बीमारियों और परेशानियों का कारण बन सकती हैं। उन्होंने स्पष्ट किया कि रोगों का मूल कारण सूक्ष्म शरीर में होता है, जिसका प्रभाव स्थूल शरीर पर दिखाई देता है।
उन्होंने बताया कि करौली शंकर महादेव धाम पूर्ण गुरुओं का दरबार है, जहां शिव और शक्ति एक साथ विराजमान हैं। यहां की दिव्य उपस्थिति के कारण, भक्त एक ही दिन में वैदिक प्रक्रियाओं, प्रार्थना, संकल्प और ध्यान-साधना के माध्यम से इन नकारात्मक स्मृतियों को मिटा सकते हैं, जिससे वे रोगों और कष्टों से मुक्त हो जाते हैं।
श्री करौली शंकर महादेव जी ने कोरोना काल का उदाहरण देते हुए प्रकृति के साथ सामंजस्य बनाए रखने की महत्ता पर जोर दिया। उन्होंने सनातन धर्म को प्रकृति के रूप में परिभाषित किया, जिसमें सूर्य, चंद्रमा, जल, हवा, पहाड़, और पेड़-पौधे शामिल हैं। उनका संदेश था कि प्रकृति के अनुसार जीना ही सच्चा मानव और सनातन धर्म है।
इस त्रिदिवसीय महोत्सव में हवन, संकल्प और ध्यान-साधना जैसी गतिविधियां होंगी। इन प्रथाओं का उद्देश्य "रोग मुक्त, नशा मुक्त, भय मुक्त, ऋण मुक्त और शोक मुक्त मानव" का संकल्प पूरा करना है। भारत के विभिन्न राज्यों के साथ-साथ विदेशों से भी बड़ी संख्या में भक्तों के आने की उम्मीद है।
इस आयोजन के साथ, "आप धर्म की रक्षा करें, धर्म आपकी रक्षा करेगा" का संदेश गूंज रहा है, जो आध्यात्मिक परिवर्तन और आरोग्य की खोज में लगे लोगों को आमंत्रित कर रहा है।