स्टोरी : गुजरात के जूनागढ़ जिले के केशोद गांव के रहने वाले Harsukhbhai Govindbhai Dobariya तकरीबन 27 साल से निस्संदेह भाव से पक्षों की सेवा कर रहे हैं और उसके जरीये उनको "National Award for Bird Conservation" से भी नवाजा गया है।
जूनागढ़ के रहने वाले Alfez Bhatti ने उनके साथ इंटरव्यू किया तभी हरसुखभाई डोबरिया ने कहा कि बोहोत साल पहले उनका एक्सीडेंट हुआ था और उस दौरेन वह घर पर रहते थे, तब उनका एक दोस्त आया और उसने बाजरे के सिट्टे हरसुखभाई को दीये फिर उन्होंने जब लगाये तब 5-10 पक्षी आने लगे फिर ज्यादा रखे फिर ज्यादा पक्षी आने लगे फिर उन्होंने अपने घर को पक्षी घर बना लिया और उन्होंने अपनी छत पर पूरा स्ट्रक्चर बिठा लिया जहां भारी मात्रा में बाजरे के सिट्टे रख सके।
हरसुखभाई ने बताया कि मेरे पास 10 बीघा ज़मीन है और उसमें जितनी भी फसल उगती है, उसमें से जो खर्च निकलता है, उसी पैसे से मैं पक्षियों को खाना खिलाता हूँ। और जून महीने से धीरे-धीरे पक्षी आने लग जाते हैं उनके घर फिर पूरे मानसून में उनके घर हजारों की संख्या में Parakeets आते हैं और कई तरह के पक्षी आने लगते हैं और उनको खिलाने में हर साल 1.5 लाख से 1.80 लाख जितना खर्च होता है पर आज तक किसी के पास से भी फंड नहीं लिया गया।
हरसुखभाई आज उनकी 4 पीढी के साथ रह रहे हैं और उनके परिवार के सदस्य भी नियमित रूप से पक्षियों को खाना खिलाते हैं। हरसुखभाई के वहां अलग-अलग जगहों से लोग उन्हें मिलने और पक्षियों को देखने आते हैं, कई सारे स्कूल में विद्यार्थी आते हैं, कई सारे लोग उनको फंड देने का भी बोलते हैं पर उन्होंने एक भी रुपए का फंड लेने से इंकार ही कर दिया है। आज हम लोग किसी न किसी तरह से पर्यावरण को नष्ट करने लगे हैं पर 76 वर्षिय हरसुखभाई खेती करके और अपना खुदका "गोकुल गृह उद्योग" चलाकर इतने सालों से सेवाकिय प्रवृत्ति कर रहे हैं तो हमें ईस "असली हीरो" से प्रेरित होना चाहिए।