राजगढ/धार । श्री शत्रुंजयावतार प्रभु श्री आदिनाथ भगवान व दादा गुरुदेव श्रीमद्विजय राजेन्द्रसूरीश्वरजी म.सा. की प्रसिद्ध पुण्यभूति पर श्री आदिनाथ राजेन्द्र जैन श्वे. पेढ़ी ट्रस्ट के तत्वाधान में दादा गुरुदेव श्रीमद्विजय राजेन्द्रसूरीश्वरजी म.सा. की पाट परम्परा के अष्ठम पट्टधर गच्छाधिपति आचार्यदेवेश श्रीमद्विजय ऋषभचन्द्रसूरीश्वरजी म.सा. के पट्टालंकार मालवकेसरी नवम गच्छाधिपति आचार्यदेवेश श्रीमद्विजय हितेशचन्द्रसूरीश्वरजी म.सा., मुनिराज श्री दिव्यचन्द्रविजयजी म.सा. मुनिराज श्री रुपेन्द्रविजयजी म.सा., मुनिराज श्री वैराग्ययशविजयजी म.सा., मुनिराज श्री जीतचन्द्रविजयजी म.सा. एवं वरिष्ठ तपस्वी साध्वी श्री किरणप्रभाश्रीजी म.सा. आदि ठाणा का भीनमाल नगर में आचार्य पद आरोहण के पश्चात् प्रथम बार श्री मोहनखेड़ा महातीर्थ पर आगमन हुआ । इस अवसर पर सम्पूर्ण मालवाचंल, मारवाड़, गुजरात, महाराष्ट्र आदि विभिन्न महानगरों एवं मध्यप्रदेश कई श्रीसंघों के प्रतिनिधि विशेष रुप से उपस्थित रहे । आचार्यश्री आचार्य पद आरोहण के पश्चात् सम्पूर्ण मालवाचंल में जिन शासन की प्रभावना करते हुए बुधवार को राजगढ़ नगर में प्रवेश हुआ आज गुरुवार को श्री मोहनखेड़ा महातीर्थ के गुरुकुल परिसर में मनावर निवासी श्री रमेशचन्द्रजी खटोड व श्रीमती पुखराज खटोड द्वारा आयोजित नास्ता नवकारसी के पश्चात् आपका विशाल चल समारोह श्री मोहनखेड़ा महातीर्थ पर पहुंचा ।
चल समारोह में सभी राजगढ़ नगर के महिला मण्डलों की महिलाऐं अपनी परम्परागत वेशभूषा में चल रही थी श्री आदिनाथ राजेन्द्र जैन श्वे. पेढ़ी ट्रस्ट के महामंत्री फतेहलाल कोठारी, मेनेजिंग ट्रस्टी सुजानमल सेठ, कोषाध्यक्ष हुकमीचंदजी वागरेचा, शांतीलाल सियाणा, कमलचंद लुणिया, मांगीलाल पावेचा, बाबुलाल खिमेसरा, शांतीलाल दैयाप, मेघराज जैन, संजय सराफ, मांगीलाल रामाणी, आनन्दीलाल अम्बोर, कमलेश पांचसौवोरा, बाबुलाल डोडियागांधी, भेरुलाल गादिया, पुष्पराज बोहरा, जयंतीलाल कंकुचैपड़ा, पारसमल बालगोता व सरोड़ पालीताणा ट्रस्ट मण्डल के ट्रस्टीगणों एवं तीर्थ के महाप्रबंधक अर्जुन प्रसाद मेहता, सहप्रबंधक प्रीतेश जैन सहित सम्पूर्ण पेढ़ी स्टाफ, राजगढ़ नगर के कई वरिष्ठ समाजसेवीगणों ने आचार्यश्री के मंगल प्रवेश पर आगवानी की ।
इस अवसर पर ट्रस्टी फतेहलाल कोठारी, सुजानमल सेठ, मेघराज जैन व मांगीलाल रामाणी ने धर्मसभा में उद्बोधन दिया ।
गच्छाधिपति आचार्यदेवेश श्रीमद्विजय हितेशचन्द्रसूरीश्वरजी म.सा. ने आचार्य पदवी के बाद श्री मोहनखेड़ा तीर्थ की पाटगादी से प्रथम धर्मसंदेश श्रावक-श्राविकाओं को देते हुऐ कहा कि तीर्थ भूमि एक ऐसी पुण्यभूति होती है जहां संसार में रहने वाले व धर्म क्षेत्र में धर्म देशना देने वाले साधु-साध्वी सहित जो भी जीव है उनके जीवन में मन वचन काया से जाने अनजाने कोई भी पाप होता है उसकी निर्जरा तीर्थ भूति स्पर्शना मात्र से हो जाती है । धर्म के क्षेत्र में मेरा एक ही संदेश रहेगा हम हमारे विचार कितने भी भिन्न क्यो ना हो पर दादा गुरुदेव के नाम पर हमें सभी को सारे मन मुठावों को दूर करते हुए एक छत के निचे आकर रहने का प्रयास करना है साथ ही आगामी 2027 में दादा गुरुदेव के जन्मजयंती के 200 वर्ष पूर्ण हो रहे है इस अवसर पर हमें एकता का परिचय देते हुए 200 वीं जन्म जयंती की योजना रुपरेखा इस प्रकार बनानी है कि उससे हमारी आने वाले कई पीढिया याद करती रहे । दादा गुरुदेव के नाम पर हम हमेशा एक बने रहे यही हमारा प्रयास रहेगा । पालीताणा में 14, 15, 16 जुन में राजेन्द्र भवन के नवनिर्मित धर्मशाला के निर्माता श्री बाबुलालजी धनराजजी डोडियागांधी के निवेदन पर आचार्यश्री ने मुहूर्त प्रदान किया साथ ही सरोड़ पालीताणा तीर्थ में नवनिर्मित तलहटी एवं आचार्य श्री रवीन्द्रसूरीश्वरजी म.सा., आचार्य श्री ऋषभचन्द्रसूरीश्वरजी म.सा. की प्रतिमा की प्रतिष्ठा हेतु सरोड़ ट्रस्ट मण्डल को 18, 19, 20 जुन का मुहूर्त प्रदान किया ।
स्मरण रहे आचार्यश्री वर्षीतप पारणा महोत्सव में निश्रा प्रदान करने हेतु एवं तीर्थ स्पर्शना हेतु श्री मोहनखेडा तीर्थ पर पधारे है । प्रवचन के पश्चात् स्वामिवात्सल्य का लाभ मनावर निवासी श्रीमती पुष्पा सुभाषचंदजी भण्डारी रत्नराज ज्वेलर्स द्वारा लिया गया । श्री आदिनाथ राजेन्द्र जैन श्वे. पेढ़ी ट्रस्ट की ओर से दोनों लाभार्थी परिवारों का बहुमान किया गया एवं आचार्यश्री को ट्रस्ट की और से काम्बली ओढा कर श्री मोहनखेड़ा महातीर्थ के पाट पर विराजित किया गया ।