धर्म : मानव अपने दैनिक जीवन मे निरंतर पाप कार्य करता रहता है,प्रतिदिन उठने से लेकर सोने तक पाप क्रिया निरंतर गतिमान रहती है,वर्तमान समय मे आधुनिक सुख को प्राप्त करने की होड़ मे मनुष्य पाप कार्य करता रहता है,जानकर किये हुए पापो का भुगतान अवश्य ही करना पड़ता है,कर्म फ़ल निश्चित ही भोगना पड़ता है,लेकिन अनजाने में किये हुए पापो की आलोचना करने के लिए परमात्मा महावीर के द्वारा अनेको मार्ग बताये गये हैं,उन्ही मार्गो मे एक है होली चातुर्मास,वर्षभर मे तीन चौमासी पर्व आते है,चार माह में जाने अनजाने में किये हुए पापो की आलोचना करने के लिए होली चौमासी पख्खी पर्व आया है,आज अनेको श्रावक श्राविका बच्चो के द्वारा तप आराधना की गई है,तप आराधना से जीवन निर्मल होता है,उक्त प्रेरणादायी उद्बोधन स्थानक भवन पर आयोजित धर्मसभा मे रविवार को होली चातुर्मास पख्खी पर्व पर आचार्य भगवंत श्री विजयराज जी म.सा की शिष्या विदुषी महासती श्री वीणा जी म.सा ने ने व्यक्त किये,प्रवचन समाप्ति के पशचात आलोचना का पाठ किया गया।
गुरु सौभाग्य प्रकाश भक्त मंडल के प्रांतीय सदस्य हेमंत वागरेचा ने बताया की महासती श्री वीणा जी म.सा आदि ठाणा 3 का 10 दिन पुर्व राजगढ स्थानक भवन पर आगमन हुआ,महासती मंडल के प्रवचन प्रतिदिन प्रातः 9 बजे से 10 बजे तक स्थानक भवन चबुतरा चौक पर हो रहे है, श्री संघ के द्वारा महासती मंडल से होली चातुर्मास राजगढ नगर मे ही करने की विनती की गयी थी, महासती जी म.सा विनती को स्वीकार कर होली चातुर्मास राजगढ मे करने की स्वीकृत प्रदान की, होली चौमासी पर्व पर श्री संघ के द्वारा बेला तप (दो उपवास) की आराधना का आयोजन किया गया,जिसमे लगभग 25 श्रावक-श्राविका ने भाग लिया,बेला तप करने समस्त आराधको के पारणे का लाभ एक साधर्मिक बंधुवर के द्वारा लिया गया,बेला तप करने वाले सभी तपस्वी की प्रभावना तेजमल डोसी एवं विनोद कुमार वागरेचा परिवार के द्वारा वितरित की गई,शनिवार को दोपहर मे श्राविका बहनो के सामायिक जाप का आयोजन नरेन्द्र कुमार वागरेचा परिवार द्वारा किया गया, रविवार को होली चातुर्मास पर्व पर अनेको श्रावक- श्राविका बच्चो के द्वारा एकासन, आयम्बिल,उपवास,पौषध आदि तप की आराधना की गई,संध्या कालीन प्रतिकमण मे बड़ी संख्या मे समाजजन की उपस्थिति रही ।