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आज से आंरभ हुआ मंशा महादेव व्रत,विदेश में भी रहकर नियमित रूप से करते हैं मंशा महादेव व्रत पूजा...

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   धर्म : भगवान शिव की तरह इच्छाओं को पूर्ण करने वाला मंशा महादेव व्रत (Mansha Mahadev Vrat) 20 अगस्त रविवार से आंरभ हो गया है।  अति प्राचीन माताजी मन्दिर पर मंशा महादेव सहित अनेको शिवालयों में रविवार से शुरू हुए इस व्रत को लेकर बड़ी संख्या में व्रतधारी जुटते दिखाई दिये। 

   वही अति प्राचीन माताजी मन्दिर से जुड़े विदेश में कुमार परिवार,तो हरियाणा के भिवानी से सुमन शर्मा और उषा परमार सहित 48 व्रतधारी  व जोधपुर से 5 व्रतधारी के द्वारा मंशा महादेव व्रत किया जा रहा है। भले ही कुमार परिवार सात समंदर पार अमेरिका डेलस में है,लेकिन यहां से जाने के बाद भी वे अपनी परंपरा को संजोए हुए है। विदेश में कुमार परिवार भारतीय संस्कार को जीवंत रख रहे है।

  यह व्रत कोई साधारण व्रत नहीं है। इसलिये व्रतधारियों बताए गए विधि अनुसार व्रत को करना होता है। व्रत के दौरान चार माह में आने वाले हर सोमवार को शिवलिंग की पूजा की जाती है।






 साथ अति प्राचीन पांच धाम एक मुकाम माताजी मन्दिर पर भारत देश के कई प्रान्तों सहित मध्यप्रदेश के कई नगरो में यह व्रत माताजी मंदिर से संकल्प लेकर किया जा रहा है और वही विदेश में भी भारत वासी मंशा महादेव भक्त मोबाइल पर संकल्प लेकर व्रत कर रहे है,भगवान शिव का यह व्रत श्रावण माह के शुक्लपक्ष की चतुर्थी से प्रारम्भ होकर कार्तिक माह के शुक्लपक्ष की चतुर्थी को पूर्ण होता है। इसमें जितने भी सोमवार आते है,उनमे कथा श्रवण करना और एक समय भोजन पाना 4 माह तक वृति को प्याज, लहसुन, गाजर, मूली, बैंगन, मद, दुसरे का झुठन, दूसरे के वस्त्रो का त्याग पृथ्वी या काष्ठ पर शयन किसी की निंदा नही करना,किसी प्राणी की हिंसा नही करना, असत्य का त्याग,  इन्द्रियों का निग्रह रखना ऐसा करने वाले तथा इन नियमो से रहने वाले वृति को अवश्य फल मिलता है। गुरु माता पिता व अतिथि व अपने बड़ो का सत्कार करना चाहिए। इस विधि से जो कोई इस व्रत को धारण करेगा उसके सब दुखो का निवारण होकर वह सब सुखो को प्राप्त करेगा।

     सोशल मीडिया के माध्यम से व्रतधारियों को बकायदा इसकी जानकारी माताजी मन्दिर से दी जा रही है। इसमे व्रतधारियों द्वारा तैयारी में जुटे हुए है। आपको बताते माताजी मन्दिर से बताई गई विधि के अनुसार 29 सामग्री व्रतधारी एकत्रित करने में जुटे है इसमे कंकु,अबीर,गुलाल,हल्दी,मेहन्दी,चावल,कपूर,लच्छा,अगरबत्ती,सुपारी छोटी 1,सुपारी बड़ी 2,चन्दर पावडर,जनेऊ जोड़ा 2,नारियल 1,खारक 2,बादाम 2,फूलमाला,खुल्ले फूल,बिल्व पत्र,द्रोप,पान लगा हुआ,पंचामृत,फल,भांग,लौंग इलायची,मिश्री चीरोंजी,घी की बत्ती,नन्दी सिक्का,डोरा 4 ग्रन्थी सामग्री है। इसके जब यह व्रत पूर्ण होता है उसमें होने वाला उद्यापन में आटा 2 कि.,घी 625 ग्रा.और गुड़ 500 ग्रा की आवश्यकता करनी होती है।

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