"वर्षों से, आप मेरे परिवार का एक हिस्सा रहे हैं"
"दिवाली आतंक के अंत का त्योहार है"
"जिस भारत का हम सम्मान करते हैं वह सिर्फ एक भौगोलिक क्षेत्र नहीं है बल्कि एक जीवंत भाव है, एक निरंतर चेतना है, एक अमर अस्तित्व है"
“आप सरहद पर ढाल बनकर खड़े हैं जबकि देश के भीतर भी दुश्मनों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जा रही है”
"मैं अपने सशस्त्र बलों की प्रशंसा करता हूं, जिन्होंने तय किया है कि 400 से अधिक रक्षा उपकरण अब विदेशों से नहीं खरीदे जाएंगे, और अब भारत में ही बनाए जाएंगे"
"हम देश की सैन्य शक्ति को नई चुनौतियों, नए तरीकों और राष्ट्रीय रक्षा की बदलती आवश्यकताओं के अनुसार तैयार कर रहे हैं"
सशस्त्र बलों के साथ दिवाली मनाने की अपनी परंपरा को कायम रखते हुए, प्रधानमंत्री ने यह दिवाली कारगिल में सशस्त्र बलों के साथ मनाई।
सबका प्रयास के मंत्र के साथ हम उन सभी पुरानी कमियों को तेजी से दूर कर रहे हैं।"
आधुनिक युद्ध में प्रौद्योगिकियों में हुई प्रगति पर प्रकाश डालते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि भविष्य के युद्धों का स्वरूप बदलने वाला है और इस नए युग में राष्ट्रीय रक्षा की आवश्यकताओं के अनुसार हम देश की सैन्य शक्ति को नई चुनौतियों, नए तरीकों और बदलते परिवेश के अनुरूप तैयार कर रहे हैं। सेना में बड़े सुधारों की आवश्यकता पर बोलते हुए, जिनकी आवश्यकता दशकों से महसूस की जा रही थी, प्रधानमंत्री ने आश्वासन दिया कि हर संभव कदम उठाए जा रहे हैं ताकि हर चुनौती के खिलाफ तेजी से कार्रवाई करने के लिए हमारे बलों का बेहतर तालमेल हो। उन्होंने कहा, “इसके लिए सीडीएस जैसा संस्थान बनाया गया है। सीमा पर आधुनिक बुनियादी ढांचे का एक नेटवर्क बनाया जा रहा है ताकि हमारे जवान अपनी ड्यूटी करने में अधिक सहज हों।” उन्होंने कहा कि देश में कई सैनिक स्कूल खोले जा रहे हैं।
आत्मनिर्भर भारत पर प्रकाश डालते हुए, प्रधानमंत्री ने कहा कि देश की सुरक्षा का सबसे महत्वपूर्ण पहलू भारतीय सेनाओं में आधुनिक स्वदेशी हथियारों का होना है। प्रधानमंत्री ने कहा कि रक्षा के तीनों वर्गों ने विदेशी हथियारों और प्रणालियों पर हमारी निर्भरता को कम करने का फैसला किया है और आत्मनिर्भर होने का संकल्प लिया है। उन्होंने कहा, "मैं अपनी सभी तीन सेनाओं की सराहना करता हूं, जिन्होंने तय किया है कि 400 से अधिक रक्षा उपकरण अब विदेशों से नहीं खरीदे जाएंगे, और अब भारत में ही बनाए जाएंगे।” स्वदेशी हथियारों के इस्तेमाल से होने वाले फायदों की ओर इशारा करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि जब भारत के जवान देश में बने हथियारों से लड़ेंगे तो उनका विश्वास चरम पर होगा और उनके हमले में दुश्मन के मनोबल को कुचलने के लिए एक सरप्राइज एलिमेंट होगा। प्रधानमंत्री ने प्रचंड-हल्के लड़ाकू हेलीकॉप्टर, तेजस लड़ाकू जेट और विशाल विमान वाहक विक्रांत का उदाहरण दिया, और अरिहंत, पृथ्वी, आकाश, त्रिशूल, पिनाक और अर्जुन के रूप में भारत की मिसाइल ताकत पर भी प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि आज भारत अपनी मिसाइल रक्षा प्रणाली को मजबूत करते हुए रक्षा उपकरणों का निर्यातक बन गया है, और ड्रोन जैसी आधुनिक और प्रभावी तकनीक पर भी तेजी से काम कर रहा है।
श्री मोदी ने कहा, "हम उन परंपराओं का पालन करते हैं जहां युद्ध को अंतिम विकल्प माना जाता है।” उन्होंने कहा कि भारत हमेशा विश्व शांति के पक्ष में है। श्री मोदी ने कहा, "हम युद्ध के विरोधी हैं, लेकिन सामर्थ्य के बिना शांति संभव नहीं है।" उन्होंने कहा कि हमारी सेनाओं में क्षमता और रणनीति है, और अगर कोई हमारी ओर नजर उठा कर देखता है, तो हमारी सेनाएं भी दुश्मन को अपनी भाषा में मुंहतोड़ जवाब देना जानती हैं। गुलामी की मानसिकता को खत्म करने के लिए किए गए प्रयासों पर बोलते हुए, प्रधानमंत्री ने नए उद्घाटन किए गए कर्तव्य पथ का उदाहरण दिया और कहा कि यह नए भारत के नए विश्वास को बढ़ावा दे रहा है। उन्होंने कहा, "राष्ट्रीय युद्ध स्मारक हो या राष्ट्रीय पुलिस स्मारक, ये नए भारत के लिए एक नई पहचान बनाते हैं।” प्रधानमंत्री ने नए भारतीय नौसेना के ध्वज को भी याद किया और कहा, "अब शिवाजी की बहादुरी की प्रेरणा नौसेना ध्वज में जुड़ गई है।"
प्रधानमंत्री ने जोर देते हुए कहा कि आज पूरे विश्व की नजर भारत पर है, भारत और इसकी विकास क्षमता पर है। श्री मोदी ने कहा कि आजादी का अमृत काल भारत की इस सामर्थ्य का, ताकत का साक्षात साक्षी बनने वाला है। प्रधानमंत्री ने कहा, "इसमें आपकी भूमिका बहुत बड़ी है क्योंकि आप भारत के गौरव हैं।” उन्होंने भारतीय सशस्त्र बलों के जवानों को समर्पित एक कविता पढ़कर अपने संबोधन का समापन किया।