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श्री राजेंद्रसूरी साख सहकारी संस्था मर्यादित का संचालक मंडल बहाल,कार्यभार संभालने के बाद अध्यक्ष सुरेश तातेड़ बोले : संस्था ने हितों में काम किया है,इसी का प्रमाण है आज बोर्ड बहाल हुआ और पुनः हमे अवसर मिला....



  राजगढ़(धार)। श्री राजेंद्रसूरी साख सहकारी संस्था मर्यादित का संचालक मंडल बहाल होने के बाद विधिवत रूप से अध्यक्ष सुरेश तातेड़ ने कार्यभार संभाल लिया है। इसके पूर्व तातेड़ ने वहां विराजित लक्ष्मी व सरस्वती माँ की प्रतिमा व दादा गुरुदेव राजेंद्रसूरी श्वरजी महाराज के चित्र पर पूजन अर्चन किया। उसके बाद कार्यभार ग्रहण किया। 

   अध्यक्ष सुरेश तातेड़ ने कहा कि  3 वर्ष की लड़ाई लड़ते हुए संचालक मंडल ने कार्यभार ग्रहण किया.श्रीमद विजय राजेंद्रसूरीश्वरजी महाराज के नाम से यह संस्था है। उनका आशीर्वाद भी है व उनका मन्दिर भी है,अनेको लोगो आरोप प्रत्यारोप लगाए लेकिन आज तक आरोप साबित नही कर पाए है। कोई भी ऋण बिना दस्तावेज के नही दिया है। सहकारिता विभाग नोटिस कुर्की का जारी करती है तो कैसे बिना दस्तावेज के कुर्की हो रही है। सहकारिता का मूल सिद्धांत ही है कि परस्पर सहयोग करना है और सदस्यों को सहयोग करने के लिये ही ऋण दिया। इसी कारण संस्था निरन्तर प्रगति कर रही थी व सहकारिता संस्था के प्रावधानों में कार्य कर रहे थे आज इसका प्रमाण है आज बोर्ड बहाल हुआ है। 

  प्रेस क्लब राजगढ़ के संरक्षक अशोक भंडारी ने अध्यक्ष तातेड़ से कहा कि जल्द जमाकर्ताओं की राशि दिलवाने के प्रयास करे । वही संचालक मंडल के आज़ाद भंडारी ने कहा संस्था गुरुदेव के नाम की है इस नाते किसी का रुपया डूबने नही देगें।

  कार्यभार ग्रहण करने के पश्चात संचालक मंडल में रहे कांतिलाल भंडारी को श्रद्धांजलि अर्पित की गई।

  इस अवसर पर संचालक मंडल के कालूसिंह निनामा,विकास भंडारी,धमेंद्र बागड़िया सहित आबुली भाई बोहरा,विष्णु सोनगरा,दिनेश सतपुड़ा,रमेश वसुनिया,दिलीप भंडारी,उत्तम चंडालिया, कन्हैया व्यास,निलेश शर्मा,निमिश धारीवाल व संस्था में कार्यरत अधिकारी व कर्मचारी सहित नागरिक गण उपस्थित रहे।


  उल्लेखनीय हो जानकारी वर्ष 2019 में श्री राजेंद्रसूरी साख सहकारी संस्था मर्यादित राजगढ़ जिला धार के निरर्हित अध्यक्ष सुरेश तातेड़ द्वारा अपील लंबित थी जिसकी सुनवाई न्यायालय संयुक्त रजिस्टार (न्यायिक) सहकारी संस्थाए द्वारा की जाकर यह माना है संस्था पर उक्त कार्यवाही विधि के विपरीत की गई थी कि गई अपील में उस आदेश को निरस्त कर संपूर्ण संचालक मंडल को बहाल किया गया है। साथ ही मिली जानकारी के अनुसार आदेश में उल्लेख है कि मप्र सहकारी सोसायटी अधिनियम 1960 के प्रावधानों में कार्रवाई की जानी थी,वही रजिस्टार को सीधे कार्रवाई का अधिकार नही है। सीधे तौर यही भी कहा जा सकता है सुनवाई का मौका दिये बिना कि गई उक्त कार्यवाही प्राकृतिक न्याय के विरुद्ध हुई थी।

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