राजगढ़ (धार)। श्रावण पूर्णिमा के मान विधान के तहत सनातन धर्मावलंबियो ने आज गुरूवार को माताजी मंदिर के ज्योतिषाचार्य श्री पुरूषोत्तमजी भारद्वाज के सानिध्य में सरदारपुर स्थित माही नदी के तट पर को श्रावणी पर्व मनाया। हेमाद्रि संकल्प के साथ दष विध गण स्नान किया। इसमें भस्म, गोबर, मिट्टी, गो मूत्र, गो दुग्ध, दहि, हल्दी, कुष और मधु सहीत अन्य का लेपन कर सस्वर वेद मंत्रों के बीच पवित्र माही नदी के जल से स्नान करवाया गया। जिकसे बाद आसन ग्रहण कर गणपति पूजन, ऋषि पूजन, यज्ञोपवीत दान, यज्ञोपवीत संस्कार, यज्ञोपवीत धारण, हवन एवं रक्षा विधान किए गए। ज्योतिषाचार्य श्री पुरूषोत्तमजी भारद्वाज ने बताया कि श्रावणी उपाकर्म के तीन अंग है। इसमे प्रायश्चित पर संकल्प, संस्कार और स्वास्थ्य शामिल है। ऋषि पूजन व यज्ञोपवीत संस्कार आदि आत्म संयम संस्कार की श्रेणी में आते है। साथ ही सावित्री, ब्रम्हा, श्रद्धा, मेघा, प्रज्ञा, सदसस्पति, अनुमति, छंद व ऋषि को समर्पित हवन-यज्ञ में घृत आहुति के साथ वेद-वेदांग के स्वास्थ्य का श्रीगणेश होता है।