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संसार में सभी स्वार्थ के सगे है: मुनि जीतचन्द्रविजय,कषायों से मुक्ति प्राप्त करने के लिये धर्म साधना जरुरी: साध्वी हर्षवर्धनाश्री

 





   राजगढ़ (धार) । श्री आदिनाथ राजेन्द्र जैन श्वे. पेढी ट्रस्ट श्री मोहनखेड़ा महातीर्थ के तत्वाधान में पर्वाधिराज पर्युषण महापर्व की आराधना चल रही है । दादा गुरुदेव श्रीमद्विजय राजेन्द्रसूरीश्वरजी म.सा. की पाट परम्परा के अष्ठम पट्टधर गच्छाधिपति आचार्यदेवेश श्रीमद्विजय ऋषभचन्द्रसूरीश्वरजी म.सा. के शिष्यरत्न मुनिराज जीतचन्द्रविजयजी म.सा. ने अष्ठान्हिका प्रवचन में कहा कि संसार में सभी स्वार्थ के रिश्ते निभाये जाते है जबतक व्यक्ति के पास धन-दौलत, मान-प्रतिष्ठा, पद होता है तबतक व्यक्ति की पुछ परख होती है । जैसे ही व्यक्ति के जीवन से पद-प्रतिष्ठा, और धन-दौलत, चला जाता है व्यक्ति उससे सम्बन्ध निभाना नहीं चाहता है फिर उस समय स्वयं की पत्नी, पूत्र-पूत्री, पूत्रवधु सब उस व्यक्ति से किनारा करने लग जाते है । इस लिए हम प्रभु की और अपना रुख करें ताकि हम धर्म आराधना, साधना के माध्यम से अपनी आत्मा का कल्याण कर सके । व्यक्ति सुबह से लेकर शाम तक धन कमाने के लिए दोड़ धूप करता है परिवार का पौषण करता है पर वही परिजन उसके बारे में कभी नहीं सोचते है । जितना समय धन कमाने में लगाते है उससे आधा समय भी यदि हम धर्म के क्षेत्र में लगाये तो हमारी आत्मा का कल्याण निश्चित है ।

वरिष्ठ साध्वी श्री संघवणश्रीजी म.सा. की सुशिष्या साध्वी श्री हर्षवर्धनश्रीजी म.सा. ने अष्ठान्हिका प्रवचन में कहा कि प्रभु ने हमें एक अच्छा मानव जीवन दिया है उसी के साथ एक अच्छा दिन भी दिया है जिसमें हमें प्रभु का धन्यवाद अर्पित करना चाहिए, हमने जीवन भर धन दौलत कमाया पर हम जब भी प्रभु के पास जाते है तब हमारे समाधि के भाव नहीं रहते है । मानव जीवन पाया है तो हर वक्त पूण्य कमाने के बारे में सोचना चाहिये, हमारी आत्मा पर अशुद्ध परमाणु चिपके हुए है इनको दूर करने के लिये ही हम चातुर्मास के दौरान पर्युषण महापर्व की आराधना करने श्री मोहनखेड़ा महातीर्थ पर आये है । हमारा प्रयास यह होना चाहिए कि हमारे दादा गुरुदेव व पाट परम्परा की दिव्य अनुभूतियां आचार्य भगवन्तों के शुद्ध परमाणुओं और उनकी दिव्य शक्तियों को धर्म आराधना के माध्यम से प्राप्त कर सके । जीवन से कषायांे को दूर करना है तो धर्म साधना करना नितान्त आवश्यक है ।








अष्ठान्हिका प्रवचन के पश्चात् कल्पसूत्र व्होराने का लाभ बागरा निवासी श्री ओटमलजी साकलचंदजी रमेशकुमारजी परिवार द्वारा लिया गया । लाभार्थी परिवार ने कल्प सूत्र पोथाजी को गाजते बाजते चल समारोह के साथ श्री आदिनाथ जिन मंदिर की तीन परिक्रमा करके मंदिरजी में रखा यहां पर रात्रि में कल्पसूत्र की भक्ति भावना का आयोजन भी किया गया । शनिवार को प्रातः 08ः00 बजे लाभार्थी परिवार के द्वारा चल समारोह के साथ कल्पसूत्र प्रवचन पाण्डाल में प्रवचन पीठिका पर विराजित मुनिराजश्री व्होराया जावेगा । कल्पसूत्र व्होराने के पश्चात् अष्टप्रकारी पूजा व पांच ज्ञान की पूजा के तुरन्त बाद कल्पसूत्र का वाचन प्रारम्भ होगा ।

तीर्थ में चातुर्मासार्थ विराजित मुनिराज श्री जीतचन्द्रविजयजी म.सा., वरिष्ठ साध्वी श्री किरणप्रभाश्रीजी म.सा., साध्वी श्री सद्गुणाश्रीजी म.सा., साध्वी श्री विमलयशाश्रीजी म.सा. आदि ठाणा की निश्रा में पर्युषण महापर्व का आयोजन श्री मोहनखेड़ा तीर्थ पर हो रहा है । इस अवसर पर तीर्थ के मेनेजिंग ट्रस्टी सुजानमल सेठ, ट्रस्टी शांतीलाल साकरिया, ट्रस्टी मेघराज जैन, वरिष्ठ समाजजन, ट्रस्ट के महाप्रबंधक अर्जुनप्रसाद मेहता, सहप्रबंधक प्रीतेश जैन एवं स्टाफगण उपस्थित थे ।


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