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ऋषिकेश के परमार्थ निकेतन में ज्योतिषाचार्य श्री पुरुषोत्तमजी भारद्वाज के मुखारविंद से भागवत कथा का आयोजन,भाव-विभोर होकर झूमे श्रद्धालु,प्रकृति का संरक्षण सनातनी परंपरा - श्री भारद्वाज



   उत्तराखंड/ऋषिकेश । जब भगवान श्री कृष्ण को उंगली में लगी थी तब कोई पट्टी ढूंढ रहा था तो कोई वस्त्र लेने के लिए दौड़ा लेकिन द्रोपदी ने दौड़ नही लगाई। द्रोपदी ने अपनी साड़ी को थोड़ा सा फाड़ा और उसकी पट्टी बनाकर भगवान कृष्ण की उंगली पर बांध दी। भरी सभा मे जब द्रोपदी का चिर हरण हो रहा था तब उन्होंने श्री कृष्ण को आवाज लगाई और भगवान की महिमा देखों जितनी साड़ी खिंची उतनी चिखाती ही गई। साड़ी खींचते-खींचते बड़े से बड़ा बलशाली भी थक गया। इसलिए समय पर जो भी हो भगवान को देदो। भगवान को हम जरा भी देंगे तो वो समय पर इतना देगा कि खत्म नही होगा। श्री गोविंद को बहार की किसी चीज की आवश्यकता नही है। और सबसे ज्यादा कीमती चीज अपने पास कोई है तो वो है मन। अगर मन उसको दे दिया तो वो मन मोहन हो जाता है और मोहन से तो हर कोई लाड़ लड़ाता है। उक्त उद्गार पांच धाम एक मुकाम श्री माताजी मंदिर के ज्योतिषाचार्य श्री पुरुषोत्तमजी भारद्वाज ने ऋषिकेश धाम में गंगा किनारे स्थित परमार्थ निकेतन आश्रम में चल रही श्रीमद भागवत कथा के तीसरे दिन कथा वाचन करते हुए दीया। कथा का वाचन करते हुए श्री भारद्वाज ने कहा कि प्रकृति का संरक्षण सनातनी परंपरा है। और प्रकृति का संरक्षण ही परमात्मा का संरक्षण है। प्रकृति अगर नष्ट होगी तो परमात्मा को दुःख होगा। अपने शरीर की रक्षा करते-करते हम प्रकृति की रक्षा भी करे। और यह कार्य एक व्यक्ति का नही बल्कि हम सबका है। 





  

  ऋषिकेश के परमार्थ निकेतन में जारी श्रीमद भागवत कथा का श्रवण क्षेत्र से बड़ी संख्या में श्रद्धालु ऋषिकेश धाम पहुंचे है। श्री मद भागवत कथा में श्रद्धालुओ ने भाव-विभोर होकर नृत्य भी किया। वही मंगलवार को ज्योतिषाचार्य श्री पुरुषोत्तमजी भारद्वाज की प्रेरणा से सभी श्रद्धालुओ ने एकादशी का व्रत किया और प्रकृति के संरक्षण का संकल्प भी लिया। आयोजन के तहत बुधवार को कथा परिसर में भगवान श्री कृष्ण का भव्य रूप से जन्मोत्सव भी मनाया जाएगा।

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