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श्रद्धा के बिना धर्म का होना असंभव है = पूज्य श्री दिलीप मुनिजी म.सा

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  राजगढ़(धार)। आज के आधुनिक भारत मे धर्म के तथ्य को समझाने के लिए विज्ञान का सहारा लेना पड़ रहा है ये बड़े दुर्भाग्य का विषय है, परमात्मा के द्वारा स्थापित धर्म एवं सिद्वांत जो आज के मानव जीवन मे सटिक तोर पर दिखाई देते है, वे बाते जो परमात्मा के द्वारा हजारो वर्ष पहले ही बतलाई गयी थी, आज का आधुनिक विज्ञान उन्हे अब बता रहा है, परंतु विंडबना देखिए की आज के मनुष्य को परमात्मा की वाणी से ज्यादा विज्ञान पर अधिक विश्वास है, धर्म को समझने ओर उसे अपने आचरण मे लाने के लिए श्रद्घा का होना अनिवार्य है, यदि श्रद्धा नही है तो धर्म पर विश्वास नही हो सकता है,जीस प्रकार एक बिमार व्यकति अपने डाक्टर पर ये विश्वास रखता है की मे उनके ईलाज से ठीक हो जाऊगा, जीस प्रकार नन्हे बालक को ये विश्वास होता है की उसे अपने माता-पिता के संरक्षण मे पुर्ण रुप से सुरक्षा प्राप्त होगी,माता-पिता उस बालक का कुछ भी अहित नही होने देगे,उसी प्रकार परमात्मा भगवान महावीर के द्वारा स्थापित धर्म एवं सिद्वांत पर की गई श्रद्धा आप सभी को पाप कार्य नही करने से बचाने का कार्य करती है,आप सभी को परमात्मा के द्वारा कही गई वाणी पर ये पुर्ण रुप से विश्वास रखना होगा की प्रभु ने जो मोक्ष प्राप्ति का मार्ग बताया है वो सत्य है, उस मार्ग पर चल कर ही मोक्ष की मंजिल को प्राप्त किया जा सकता है, ओर ये सब बिना श्रद्धा के संभव नही है, उक्त प्रेरणादायी प्रवचन शुक्रवार को स्थानक भवन पर आयोजित धर्मसभा मे पूज्य तपस्वीराज श्री दिलीप मुनिजी म.सा ने व्यक्त किये, धर्मसभा को युवा संत पूज्य श्री गिरीश मुनिजी म.सा के द्वारा संबोधित करते हुए तप, त्याग, प्रत्याख्यान के महत्व ओर उनसे होने वाले लाभ के बारे मे विस्तृत रुप से समझाया गया, गुरु सौभाग्य प्रकाश भक्त मंडल के प्रांतीय सदस्य हेमंत वागरेचा ने बताया की श्री संघ के विशेष आग्रह पर रविवार को पूज्य युवा संत श्री गिरीश मुनिजी म.सा के द्वारा प्रातः 7.45 बजे से 8.45 बजे तक 1घंटे के लिए जैन धर्म संस्कार शिविर का आयोजन स्थानक भवन चबुतरा चौक पर होगा, शिविर मे 12 वर्ष से अधिक उम्र के सभी श्रावक श्राविका बच्चे आदि भाग ले सकते है।

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