विदेह नन्दिनी वैदेही जैसा कि इस पुस्तक का नाम है, उसी प्रकार इस किताब को सीता, जनकपुर और मिथिला नगरी को ध्यान में रखकर द ड्रास्टिक चेंज पब्लिकेशन के संस्थापक सुभाष झा एवं अंजलि झा द्वारा लिखी गई है। क्योंकि दोनों लेखक बिहार राज्य के मिथिला क्षेत्र से ताल्लुक रखते हैं इसलिए इस क्षेत्र के भोगौलिक एवं सांस्कृतिक विरासत को ध्यान में रखकर यह कहानी रची गई है। यह किताब विभिन्न पहलुओं को ध्यान में रखकर काफ़ी कम शब्दों में पूरे मिथिला का इतिहास का वर्णन एवं यहां के विभिन्न पर्यटन स्थलों एवं यहां के आचार विचार, वेषभूषा रीति-रिवाजों, भाषा, मैथिली पहचान, खान पान सभ्यता एवं संस्कृति को केंद्रित कर लिखने का प्रयास किया गया है। मिथिला प्राचीन काल से ही भारत देश का एक अभिन्न अंग रहा है। त्रेता युग एवं रामायण काल से ही इस क्षेत्र का भारत के इतिहास में महत्वपूर्ण योगदान रहा है। और सीता जन्म, राम विवाह हमारे पौराणिक कथाओं में बहुत ही महत्वपूर्ण योगदान दिया है, जिसे कई युगों तक भुलाया नहीं जा सकता है। लेकिन इतिहास के पन्नों में दर्ज यह क्षेत्र आजकल के युवाओं के लिए उतना दिलचस्प नहीं रह गया। क्योंकि घर से दूर रहते हुए उन्हें यहां की उपलब्धियों के बारे में नहीं पता है, जिसके वज़ह से अपने सभ्यता और संस्कृति से उनका लगाव कम होता चला जा रहा है। मिथिला के युवाओं को पुनः जगाने के लिए और अपने संस्कृति से लगाव रखने को ध्यान में रखकर यह किताब लिखी गई है।
सबसे खास बात यह है कि इस किताब का आवरण पृष्ठ भी यहां के प्रसिद्ध मधुबनी पेंटिंग से बनाई गई है। इस मधुबनी पेंटिंग को कुंदन कुमार राय जो एक कलाकार एवं युथ मोटीवेटर हैं, उनके द्वारा बनाया गया है। आशा है यह किताब सभी पाठक गण को पसंद आएगी। और जल्द ही लेखक इस किताब के दूसरे भाग को आप सब के समझ प्रस्तुत करेंगे।