राजगढ़(धार)। जैसा कहे वैसा करे वो कोशल्या जो सदा जग मे पुज्यनीय है, कुछ कहे ओर कुछ करे वो कैकयी जो सदैव निंदा की पात्र रही है, उसी प्रकार जो मनुष्य जो कहता है उसी के कहे के अनुसार कार्य करता है वो सदैव आदरणीय ओर सम्मानीय रहते हुए उच्च पद प्रतिष्ठा को प्राप्त करता है, हमारे आदर्श मालव केसरी श्री सौभाग्यमल जी म.सा, आचार्य भगवंत श्री उमेशमुनि जी म.सा का जीवन हमारे सामने झलकता है,उन महापुरुष की कथनी ओर करनी सदैव एक समान थी वो जो कहते थे वो ही करते थे, बड़ी से बड़ी समस्या का समाधान वो तुरन्त ही कर देते थे, ईसलिए आज भी हम उन महापुरुष के गुणगान करते है, काया से किया गया पाप मानव को पहली नरक का बंध कराता है लेकिन मन विचारो से की गई हिंसा सातवी नरक तक का बंध करवाती है, आप सभी सदैव अपने मन ओर विचार को सकारात्मक रखे, अपने उपर कभी भी नकारात्मकता को हावी नही होने दे, सकारात्मक सोच रखने वाला व्यक्ति सदैव सवस्थ ओर प्रसन्नता का जीवन जीता है,आप हमेशा मन के मालिक बन कर रहे सेवक बन कर नही। उक्त उदगार बुधवार को स्थानक भवन पर आयोजित प्रवचन सभा मे पुज्य महासती श्री संयमप्रभा जी म.सा ने फ़रमाये।
पुज्य महासती श्री सुग्या श्री जी म.सा ने प्रवचन सभा को संबोधित करते हुए कहा की भगवान महावीर ने साढे बारह वर्ष तक संयम ओर ध्यान साधना करके परम पद को प्राप्त किया, प्रभु ने अहिंसा धर्म का मार्ग बताया ओर सभी जीवो को मोक्ष पथ पर बढ़ने के लिए प्रेरणा प्रदान की, आप भी प्रभु के द्वारा प्ररुपित धर्म मार्ग का आचरण करे यही मुक्ती ओर प्रगति दिलाने वाले है।
प्रवचन सभा मे बड़ी संख्या मे सकल श्री संघ के श्रावक श्राविका की उपस्थिति रही। जानकारी गुरु सौभाग्य प्रकाश भक्त मंडल के प्रांतीय सदस्य हेमंत वागरेचा ने दी!