BREAKING NEWS
latest
Times of Malwa Digital Services
Promote your brand with positive, impactful stories. No accusations, no crime news—only inspiring and constructive content through Google Articles.
📞 9893711820   |   📧 akshayindianews@gmail.com

आचार्य ऋषभचन्द्रसूरीश्वरजी म.सा. के महापुण्योत्सव का द्वितीय दिन,प्रभु अभिषेक, भक्तामर महापूजन,आंगी-भक्ति हुई,ज्ञान सहित कष्ट देखना ही तप है: मुनि पीयुषचन्द्रविजय



  राजगढ़ (धार) । दादा गुरुदेव श्रीमद्विजय राजेन्द्रसूरीश्वरजी म.सा. की पाट परम्परा के अष्टम पट्टधर गच्छाधिपति आचार्यदेवेश श्रीमद्विजय ऋषभचन्द्रसूरीश्वरजी म.सा. का महापुण्योत्सव 11 से 18 सितम्बर तक श्री आदिनाथ राजेन्द्र जैन श्वे. पेढ़ी ट्रस्ट के तत्वाधान में मुनिराज श्री पीयूषचन्द्रविजयजी म.सा., मुनिराज वैराग्ययशविजयजी म.सा., मुनिराज श्री जिनचन्द्रविजयजी म.सा., मुनिराज श्री जनकचन्द्रविजयजी म.सा. एवं साध्वी श्री सद्गुणाश्रीजी म.सा., साध्वी श्री संघवणश्रीजी म.सा., साध्वी श्री विमलयशाश्रीजी म.सा. आदि ठाणा की निश्रा में चल रहा है ।

 महापुण्योत्सव के द्वितीय दिन कु. दक्षिता पारसमलजी मोदी द्वारा 9 उपवास एवं कु. दीया पुखराजजी मेहता द्वारा 16 उपवास की तपस्या की अनुमोदना करते हुए धर्मसभा में मुनिराज श्री पीयुषचन्द्रविजयजी म.सा. ने कहा कि इन दोनों पुण्य आत्माओं ने आत्म कल्याणकारी कार्य किया है, तप के माध्यम से स्वयं की आत्मा पर लगे निकाचित कर्मो का क्षय करने के लिये कठिन तपस्या इतनी कम उम्र में की है । कर्म निर्जरा के साथ शाश्वत सुख की प्राप्ति का प्रयास किया है । तपस्या करने से भावना जागृत होती है और भावना से त्याग का जन्म होता है । कष्ट को ज्ञान सहित देखना ही तप है । त्याग होना चाहिये । अपनी इच्छाओं का दमन करके कु. दीया मेहता ने 16 उपवास और कु. दक्षिता मोदी 9 उपवास तपस्या की है । आज इन दोनों तपस्वीयों का पारणा है । मुनिश्री ने कहा कि आचार्यदेवेश श्रीमद्विजय ऋषभचन्द्रसूरीश्वरजी म.सा. ने कहा कि दादा गुरुदेव के परम उपासक थे और आप सभी गुरुभक्तों पर अपना अपार स्नेह लुटाते थे इसी कारण आप जैन ही नहीं जैनेत्तर लोगों में प्रसिद्ध हुए । इस अवसर पर साध्वी श्री तत्वलोचनाश्री जी ने कहा कि हमें जैन धर्म में जन्म मिला है पर हम अभी तक जैनत्व को प्राप्त नहीं कर पाये है । जन्म मिलने के बाद भी यदि हम जैन धर्म के सिद्धान्तों को जीवन में अंगीकार नहीं कर पाये तो हमारा यह जन्म ही बर्बाद हो जायेगा । आधुनिक युग में ऐसे तपस्वी जिनशासन की शौभा बढ़ाते है । तप से ही कर्मो की निर्जरा होती है इन दोनों तपस्वीयों की बहुत बहुत अनुमोदना करते है ।

श्री आदिनाथ राजेन्द्र जैन श्वे. पेढ़ी ट्रस्ट श्री मोहनखेड़ा महातीर्थ की ओर से कु. दीया मेहता, कु. दक्षिता मोदी का बहुमान झाबुआ निवासी 12 उपवास की तपस्वी श्रीमती उषाकिरण सुभाषजी कोठारी, राजेन्द्र खजांची, सेवन्तीलाल मोदी, बसंतीलाल मेहता, शरद पगारिया, नरेन्द्र भण्डारी आदि ने किया । पुण्योत्सव के अवसर पर जिन मंदिर में प्रातः प्रभुजी एवं दादा गुरुदेव के अभिषेक, दोपहर में श्री भक्तामर महापूजन एवं प्रभु की अंगरचना का लाभ बांसवाड़ा निवासी श्री पी.सी. जैन परिवार द्वारा लिया गया । जिन मंदिर, गुरु समाधि मंदिर एवं आचार्य ऋषभचन्द्रसूरीश्वरजी म.सा. के समाधि स्थल पर विद्युत सज्जा की गयी है ।


« PREV
NEXT »