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तत्काल पवित्र बनाए वह तप - मुनि रजतचन्द्र विजय



 झाबुआ: संडे स्पेशल तप वंदनावली आयोजन में आचार्य श्री ऋषभचंद्र सूरीजी महाराजा के शिष्य मुनिराज श्री रजतचंद्र विजयजी महाराज साहब ने धर्मसभा को संबोधित करते हुए कहा व्यक्ति को जीवन के अंतिम समय में (मृत्यु के समय में ) समाधि का भाव प्राप्त हो इसलिए तप करने पर सभी शास्त्रों ने जोर दिया है। भगवान महावीर स्वामी के 14000 शिष्य में उत्कृष्ट तपस्वी धन्ना अणगार थे जो छठ के पारने में आयंबिल कर संयम आराधना करते थे। ऐसे सभी उत्कृष्ट तपस्वी को याद करके वंदना की गई। *त* यानी तत्काल और *प* यानी पवित्र जो तत्काल पवित्र बनाये वह तप है। आज डॉक्टर लोग भी तप करने के लिए प्रेरित करते हैं ताकि उनका शरीर सुरक्षित रहे ।

 "तीथंकर प्रभु की वाणी को उनके पश्चात शव्दो का स्वरूप प्रदान करने वाले गणधर प्रभु होते हे। इसलिये गणधर प्रभु विशिष्ट उपकारी होते हे आज जितने भी महत्व पूर्ण शास्त्र जिनवाणी के हे उनको इस रुप मे तैयार करने का श्रेय गणधर प्रभु को ही जाता हे "उपरोक्त प्रेरक उदबोधन रविवार को प्रभु महावीर स्वामी के गौतम स्वामीजी सहित 11गणधर  की अनुष्ठान मे आयोजित 33 दिवसीय वीर गणधर लब्धि तप के 50 तपस्वियों के तप के अनुमोदन हेतु आयोजित तप वंदनावली समारोह में पूज्य रजतचंद्र विजयजी म.सा.ने रविवार को स्थानीय श्री ऋषभदेव बावन जीनालय मे व्यक्त किये | उन्होने कहाँ की जो श्रावको श्राविकाए इस तप को अपने जीवन में करते उनके कर्म की नीर्जरा तो होती ही हे साथ मे विशिष्ट लब्धिया भी प्राप्त होती हे | 

कार्यक्रम की शुरुआत पूज्य मुनिश्री रजतचन्द्र विजयजी म.सा.के मंगलाचरण से हुई | इस अवसर पर मुनिश्री जीतचंद्र विजयजी ने सुंदर गीत प्रस्तुत किया।

इसके पश्चात वीर गणधर लब्धितप के 54 तपस्वीयों का संगीत के साथ सुसज्जित प्रवचन हॉल मे एक साथ आगमन हुआ | इसके पश्चात प्रभु गौतम स्वामी जी प्रतिमा स्थापित कर अक्षत श्री फल से गहुली लाभार्थी श्रीमती उषाबेन रमेश बाठिया परिवार ने की | इसके पश्चात समस्त तपस्वीयौ को लाभार्थी परिवार श्रीमती सज्जनबाई शान्तिलाल बाबेल परिवार ने एक एक रजत लब्धि कलश अर्पण किये | यह कलश चातुर्मास समिति ने प्रदाय किये | इसके पश्चात पंच परमेष्ठि निमित्त 5 कलश के लाभार्थी श्री सुभाष कोठारी , श्रीमती यश कुंवर जैन , श्रीमती संजु बेन लोढ़ा , श्री धर्मचंद्र मेहता और श्री सूर्या काठी परिवार को कलश प्रदान किये गये | इसके पश्चात 11गणधर प्रभु के कलश के लाभार्थी श्री राकेश मेहता, राजेन्द्र चोधरी, जितेंद्र भारत बाबेल,शशिकांत छाजेड , जयेश संघवी , (झाबुआ )विनोद मौन्नत (बोरी )राकेश पीपलोदकला , नाथूलाल जैन रतलाम , अजित राठौर , सुजानमल जैन नारायणगढ़ , और अजय मूथा को कलश प्रदान किये गये | इसके पश्चात सभी तपस्वियों और लाभार्थियों ने इन लब्धि कलश जिसमे विशिष्ट गणधर यंत्र रख कर पूज्य मुनिश्री द्वारा विशिष्ट मन्त्रोचार से स्थापित कर अष्ट प्रकारी पूजन हुआ | मुनिश्री ने कहाँ  लाभार्थियों को इस अभीमंत्रीत कलश को अपने घर मे शुध्द स्थान पर रखने से सुख सम्पदा शान्ति प्राप्त होगी | सम्पूर्ण कार्यक्रम का संचालन विधि  कारक हेमंत वेदमुथा मक्शी वालो ने किया | अंत मे प्रभु गौतम स्वामी जी , गुरु राजेंद्र सुरीश्वरजी और आचार्य श्री ऋषभचन्द्र सूरीश्वरजी की आरती श्री उषाकिरण सुभाष कोठारी परिवार ने उतारी | समाप्त | फोटो संलग्न |

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