(प्रो डॉ दिनेश गुप्ता- आनंदश्री,अध्यात्मिक व्याख्याता एवं माइन्डसेट गुरू मुम्बई)
लेख: समय के साथ साथ इंसान का विश्वास और ज्ञान बदलता गया। बचपन मे जो ज्ञान और विश्वास था वह पूरी तरह से अलग था। जबकि आज का ज्ञान विश्वास बचपन के ज्ञान और विश्वास से अलग है। समय बदलता है और साथ साथ विश्वास भी बदलता है।
पहले विश्वास था कि पृथ्वी गोल नही सीधी है। धीरे धीरे समय के साथ यह बदलता गया। विज्ञान जितनी गहराई में गया, पुराना विश्वास टूटता गया।
आज की स्थिति ऐसे ही है। कोरोना को लेकर जो विश्वास और मान्यता है वही असली समस्या है। धीरे धीरे विज्ञान सतह की दूसरी बाजू देख रहा है। अपने विश्वास के परे जाकर नई विधि, मान्यता , प्रयोग कर रहा है।
कुछ दिन जंहा 4 लाख से अधिक संक्रमित मिल रहे थे वंही आज 2 लाख के करीब आंकड़े आ गए है। अमेरिका को यही आंकड़े लाने के लिए 6 महीने का वक्त लगा था।
डॉक्टर, नर्स, वैज्ञानिक, फार्मासिस्ट, आयुर्वेदाचार्य सभी को चाहिए कि नए मानसिकता और समस्या के दूसरे हिस्से से सोचे शायद राह आसान हो जाएगी। इतनी जल्दी आंकड़ो का कम होना शायद इसी नई मानसिकता, नए प्रयोग का नतीजा है।
समय बदल रहा है, फिर से सब नार्मल होने की राह में है। बहुत ही जल्द पूरा भारत वर्ष वेक्सीनेशन हो जाएगा और इंसानियत इस अदृश्य शत्रु पर विजयी प्राप्त करेगा।