बेस्ट आलेख। दुःख है, दुःख का कारण है, दुःख का निवारण है और एक ऐसी भी अवस्था है ( निर्वाण ) जंहा न दुःख है। दुःख विरहित अवस्था भी है। 2500 वर्ष पहले के यह वचन आज भी महत्वपूर्ण और मानवता को राह बताते है। बुद्ध का संदेश आज भी प्रासंगिक है। कोरोना का काल चल रहा है। आज के इस नए युग में भी बुद्ध के संदेश दुःख को दूर करने में कारगर सिद्ध होते है।
संसार दुखमय है - आज की बाहर की अवस्था तो यही है । बाहर से तो सारा संसार दुखमय लगता है। कोरोना ने छिन्न बिंन्न कर दिया है। लाॅकडाउन लगा हुआ है।
दुःख विरहित अवस्था - इस ब्रह्माण्ड में एक स्थान है जिसे दुःख विरहित बनाया जा सकता है। आकाश के नीचे, जमीन से थोड़ा ऊपर। हाँ, आपकी बुद्धि। आपकी बुद्धि को उठाकर उसे बुद्धत्व को प्राप्त किया जा सकता है।
समझ का मेडिटेशन- ध्यान रोज मरने और जीवंत होने का नाम है। आपकी सारी अवस्था का वाष्पीकरण करता है। ठीक वैसे ही जैसे सूरज नाली, नाले, तालाब को भांप के माध्यम से ले लेता है और भी शुद्ध करके वापस पृथ्वी को लौटा देता है। ध्यान कीजिये। यही रास्ता, यही मंजिल है।
विकारों का कोई सजा नही, विकार स्वयं सजा है- गुस्सा, ईर्ष्या, लालच, हिंसा ये अपने आप मे ही सजा है। इन सजा दे दूर रहिये। ये कर्म अपने आप में हल और फल है।
विचारो के प्रति जाग्रत रहे- कपिलवस्तु के सिद्धार्थ को ज्ञान लेने कोई रोक न सका, चार अलग अलग महल, पत्नी- पुत्र, महलों का सुख संसाधन तथा झूठ मुठ की मान्यताएं। सत्ताईस वर्षीय सिद्धार्थ सत्य की खोज मे निकल पड़ा।
भगवन बुद्ध के विचार सशक्त थे, क्लियर थे, वह जानते थे कि क्या चाहते है। जिस विचार पर उन्होंने बार बार विचार किया और उसे पा लिया। लॉ ऑफ अट्रैक्शन का जीवंत उदाहरण बने।
आखिरी संदेश- जब कोई भी सिद्धान्त काम न करे, कोई दवाई, नुस्खा, ईलाज तब " अप्प दीपो भवः " । यही वह आखरी की पंक्तियां थी जो बुद्ध का महान संदेश बनकर उभरा। अपना दीपक स्वयम बनो। सब सारे रास्ते बंद हो जाते है तो भी एक रास्ता खुला होता ही है।
अप्प दीपो भवः, कई बार नए रास्ते आते है, नई समस्या, नया माहौल, नए टूल ऐसे समय अपने आप को दीपक बनाओ। यही आपका मुख्य हथियार बनेगा।
दुख है, दुख का कारण है
दुख विरहित उन्मुक्त
अवस्था को प्राप्त कर
तू अपनी ख़ोज कर
तू बुद्ध बन
उसी स्वयं सत्य की
ख़ोज कर
अपनी सुन, अपने से कह
साक्षी भाव मे रह
साक्षी भाव मे सह
मौन धारण करके
कर्म को प्रकाश कर
तू स्वयं की ख़ोज कर
तू बुद्ध बन....
महात्मा बुद्ध कोई सिर्फ ध्यान की मूर्ति नही, उपदेश नही बल्कि मानवीय जीवन का हिस्सा है। उनके विचारों को समझे, इम्प्लीमेंट करे और जल्द ही उनके विचारों पर मास्टरी हासिल करें। तभी मनुष्य के जीवन का कल्याण होगा, तभी वह शांति और सत्य को प्राप्त होगा।