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जिद ..जज़्बे..जुनून का ही नाम है शिवराज सिंह चौहान: डॉ. नरोत्तम मिश्रा


   मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री और चौथी बार इस शीर्ष पद को संभाल कर इतिहास रच चुके शिवराज सिंह चौहान का 5 मार्च को जन्म दिन है। अमूमन में इस तरह के अवसरों पर केवल शुभ कामनाएं देने तक ही सीमित रहा हु। लेकिन इस बार मन है भावनाए व्यक्त करने का इसलिए में यह लेख एक मंत्री के नाते नही शिवराज जी के साथ लगभग 37 साल से साथ चल रहे एक सहयोगी ..मित्र के नाते लिख रहा हूँ। एक सूत्र वाक्य है परिश्रम की पराकाष्ठा ..जो सुनने में भी कई जगह आ जाता है लेकिन सच यह है कि इस वाक्य को जीवन मे उतारना बहुत ही बिरले लोगो के ही वश में होता है। इन्ही बिरले लोगो मे शामिल है शिवराज सिंह चौहान। इसके साथ ही जब किसी मे समाज के अंतिम व्यक्ति के चेहरे पर भी खुशियां लाने की जिद हो उनके लिए काम करने का.जज़्बा हो तो वह उस व्यक्ति को राजनीति में उस स्थान पर खड़ा कर देता है जहाँ आज तक बहुत कम ही लोग पहुंचे है।

   5 मार्च, 1959 को सीहोर जिले के नर्मदा किनारे स्थित एक छोटे से गांव जैत में मध्यमवर्गीय परिवार में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान का जन्म हुआ। माता-पिता के संस्कारों ने उन्हें सिखाया कि अपनी जड़ों से कभी जुदा मत होना। जीवन में कभी ऐसा कार्य नहीं करना कि लोग तुमसे घृणा करें। शायद यही सीख उन्होंने आत्मसात कर ली। यही कारण है कि समाज का कोई ऐसा वर्ग नही हो जिसकी चिंता उन्होंने नहीं की हो।किसान पुत्र होने के कारण निश्चित ही उन्होंने किसानों का जीवन संवारने के लिए सबसे ज्यादा प्रयास किये लेकिन ऐसा नही है कि दूसरे वर्ग को उन्होंने कम प्राथमिकता दी। महिला और बेटियो के लिए तो उन्होंने सच मे मामा बनकर ही काम किया। चाहे वह लाडली लक्ष्मी योजना हो या कन्यादान योजना या फिर बेटियो को शिक्षित करने की योजनाएं हो उन्होंने हमेशा यही चाहा की इस आधी आबादी को समान ओर सुरक्षा कैसे दी जा सके। किसानों के लिए शिवराज जी ने क्या किया यह तो किसी से छिपा नही है।आज अगर प्रदेश में किसान खुशहाल है तो उसके पीछे कारण भी शिवराज जी है। कहने का अर्थ यह है कि शिवराज जी ने सभी वर्गों की चिंता तो की ही उनके लिए रात दिन जी जान से जुटे रहे और आज भी जुटे है। एक स्वभाव जो अमूमन सभी राजनीति करने वालो में होता है और वह है जनता से सीधा सबन्ध रखना और उनसे लगाव रखना लेकिन शिवराज जी इस मामले में केवल दिल से सोचने वाले व्यक्तित्व है। उनके लिए प्रदेश ओर उसकी जनता मंदिर है और वह उसके पुजारी। वह यह सार्वजनिक बोलते ही नही है वह ऐसे नेता है जो उसे अपने चरित्र में भी उतार चुके है। आम सभा मे अगर इस देश ने किसी राजनेता को जनता के सामने घुटनो के बल बैठकर उनका अभिवादन करते देखा है तो वह शिवराज सिंह चौहान ही है।जनता से लगाव उन्हें जोखिम उठाने से भी पीछे नही हटने देती। पेटलावद की एक घटना याद आती है कि जब वहां विस्फोट से कई लोगो की जान चली गयी थी लोग बहुत गुस्से में थे और सड़कों पर उतर आए थे किसी की हिम्मत नही हो रही रही थी कि वहाँ जाकर मामले को संभाले। तब मुख्यमंत्री खुद वहां पहुंचे और सुरक्षा कर्मियों के रोकने के बाद भी वह उग्र भीड़ में घुस गए और बीच सड़क पर उनके साथ बैठ गए। थोड़ी देर बाद ही भीड़ शांत हो गयी। बाद में जब उनसे पूछा गया कि आप को डर नही लगा तो उनका एक ही जवाब था कि मेरी जनता से मुझे क्या डर यह सब तो मेरे ही है , ऐसे है हमारे मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान। लिखने और कहने को बहुत कुछ है लेकिन मैं बस इतना ही कहना चाहता हु कि शिवराज जी आज की राजनीति में एक ऐसे व्यक्तित्व है जिनके साथ काम करके उनके साथ चलकर अपने को गौरवान्वित महसूस किया जा सकता है।

डॉ. नरोत्तम मिश्रा

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