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श्री मोहनखेड़ा महातीर्थ में आचार्यश्री की निश्रा में पर्युषण महापर्व प्रारम्भ....



  राजगढ़ (धार) म.प्र.। पर्युषण महापर्व के प्रथम दिन अष्टान्हिका प्रवचन देते हुये दादा गुरुदेव की पाट परम्परा के अष्टम पट्टधर वर्तमान गच्छाधिपति आचार्यदेवेश श्रीमद्विजय ऋषभचन्द्रसूरीश्वरजी म.सा. ने कहा कि पर्वतों में गिरीराज, तीर्थो में शत्रुंजय महातीर्थ, पर्वो में पर्वाधिराज पर्युषण पर्व का महत्व है । पर्युषण की आराधना हमारे लिये विशेष महत्वपूर्ण है । वर्तमान परिस्थितियों में हम शासन द्वारा दी गई गाईड लाईन के दायरे में रहकर पर्वाधिराज की आराधना कर रहे है । हमारे शास्त्रों में पर्युषण पर्व की विस्तृत व्याख्या की गई है । यह पर्व हमारे बुरे कर्मो को क्षय करने के लिये है । लोक कल्याण के हेतु से इन्द्र-इन्द्राणी, देवी-देवता आदि नन्दीश्वर दीप में जाकर प्रभु की भक्ति व महिमा करते है । पर्व के दिनों में सभी श्रावक-श्राविका मन से संयमी बने । अपनी पंचेन्द्रीयों को संयम में ढालने का प्रयास करें । पर्व के दिनों में जिव्हा के रस का त्याग करके व्रत आदि नियमों का पालन करें । संभव हो सके वहां तक मौन साधना करने का प्रयास करें । ह्रदय में लेश मात्र भी क्लेश रहा तो पर्व की साधना आराधना का फल पूर्ण प्राप्त नहीं हो पायेगा ।
इस अवसर पर कार्यदक्ष मुनिराज श्री पीयूषचन्द्रविजयजी म.सा. ने कहा कि जैन शास्त्रों में भक्ति का मार्ग तप मार्ग की अपेक्षा बहुत सरल है । हर व्यक्ति सहजता से भक्ति मार्ग में जुड़ सकता है तप मार्ग में व्यक्ति को प्रबल पूण्योदय से ही सफलता मिलती है । चातुर्मास के प्रारम्भ होने के 42 वें दिन से पर्युषण महापर्व प्रारम्भ होते है और 50 वें दिन संवत्सरी महापर्व आता है । पर्व के दिनों में हम थोड़ी सी भी धर्म क्रिया कर लेगें तो हमारे पापों का प्रक्षालन हो जायेगा और हमें कई गुणा लाभ भी प्राप्त होगा । मुनिश्री ने अष्टान्हिका प्रवचन में श्रावक के कर्तव्यों का विस्तार से उल्लेख किया ।
पर्युषण महापर्व के प्रथम दिन अष्टान्हिका प्रवचन पोथी श्री भरतकुमार लेहरचंद भाई थराद परिवार ने व्होरायी । प्रथम ज्ञान पुजा श्री शांतिलाल खेमचंदलालजी व्होरा, द्वितीय ज्ञान पुजा श्रीमती ज्योत्सना बेन नरेशभाई थराद, तृतीय ज्ञान पुजा श्री राणमल मुलचंदजी सोना प्लास्टीक धुम्बड़िया, चतुर्थ ज्ञान पुजा श्रीमती झबीबेन मुलचंद भाई अहमदाबाद, पांचवी ज्ञान पुजा श्री हंसमुखलाल मफतलाल व्होरा सूरत वालों ने की । ज्ञान की अष्टप्रकारी पुजा श्री ओटमलजी साकलचंदजी बागरा वालों ने की । गहुंली श्रीमती शारदा आनन्दकुमारजी परमार सुमेरपुर वालों ने की । 
आचार्यश्री ने बताया कि पर्युषण महापर्व के आठों दिन प्रवचन का लाईव प्रसारण श्री मोहनखेड़ा तीर्थ व ऋषभ चिन्तन की फेसबुक पर किया जा रहा है ।



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