सरदारपुर(धार)। विधायक प्रताप ग्रेवाल ने गरीब आदिवासी मजदूरो की समस्या को दृष्टिगत रखते हुए देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को पत्र लिखकर गुजरात सहित अन्य राज्यो मे कोरोना लॉकडाउन के कारण फंसे गरीब आदिवासी मजदूरो को मध्यप्रदेश सरकार द्वारा कोटा (राजस्थान) की तर्ज पर बसो के माध्यम से उनके घर लाए जाने की मांग की है। पत्र मे बताया गया है कि विगत दिवस राजस्थान के कोटा से कई विद्यार्थियो को बस द्वारा अपने-अपने घर पहुॅचाया गया है, हम सभी आपकी इस पहल को स्वागत करते है। लेकिन देश के अन्य राज्य विशेषकर गुजरात मे धार, झाबुआ, अलिराजपुर, बडवानी, खरगौन सहित अन्य स्थानो के हजारो गरीब आदिवासी मजदूर लॉकडाउन के पहले से ही गुजरात मे है। उक्त मजदूरो की वहॉ पर भोजन सहित अन्य पर्याप्त व्यवस्था नही हो पा रही है, सभी मजदूर आपकी ओर आशाभरी निगाहो से देख रहे है। वर्तमान मे गरीब आदिवासी मजदूरो का परिवार बट चुका है किसी के बच्चे घर पर है तो दुसरी और उनके माता-पिता गुजरात या अन्य राज्य मे है। जब कोटा (राजस्थान) से लॉकडाउन के समय विद्यार्थियो को लाया जा सकता है तो फिर गरीब आदिवासी मजदूरो को क्यो नही लाया जा सकता है, उनका क्या कसूर है। हर गरीब मजदूर अपने घर पर आना चाहता है इसलिए गरीब आदिवासी मजदूरो को भी मध्यप्रदेश सरकार द्वारा बसो के माध्यम से उनके घर लाया जाए और मध्यप्रदेश की सीमा पर ही उनका परीक्षण किया जाए।
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विधायक प्रताप ग्रेवाल ने प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर गुजरात मे फंसे गरीब आदिवासी मजदूरो को बसो के माध्यम से उनके घर लाने की मांग की
विधायक प्रताप ग्रेवाल ने प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर गुजरात मे फंसे गरीब आदिवासी मजदूरो को बसो के माध्यम से उनके घर लाने की मांग की
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सरदारपुर(धार)। विधायक प्रताप ग्रेवाल ने गरीब आदिवासी मजदूरो की समस्या को दृष्टिगत रखते हुए देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को पत्र लिखकर गुजरात सहित अन्य राज्यो मे कोरोना लॉकडाउन के कारण फंसे गरीब आदिवासी मजदूरो को मध्यप्रदेश सरकार द्वारा कोटा (राजस्थान) की तर्ज पर बसो के माध्यम से उनके घर लाए जाने की मांग की है। पत्र मे बताया गया है कि विगत दिवस राजस्थान के कोटा से कई विद्यार्थियो को बस द्वारा अपने-अपने घर पहुॅचाया गया है, हम सभी आपकी इस पहल को स्वागत करते है। लेकिन देश के अन्य राज्य विशेषकर गुजरात मे धार, झाबुआ, अलिराजपुर, बडवानी, खरगौन सहित अन्य स्थानो के हजारो गरीब आदिवासी मजदूर लॉकडाउन के पहले से ही गुजरात मे है। उक्त मजदूरो की वहॉ पर भोजन सहित अन्य पर्याप्त व्यवस्था नही हो पा रही है, सभी मजदूर आपकी ओर आशाभरी निगाहो से देख रहे है। वर्तमान मे गरीब आदिवासी मजदूरो का परिवार बट चुका है किसी के बच्चे घर पर है तो दुसरी और उनके माता-पिता गुजरात या अन्य राज्य मे है। जब कोटा (राजस्थान) से लॉकडाउन के समय विद्यार्थियो को लाया जा सकता है तो फिर गरीब आदिवासी मजदूरो को क्यो नही लाया जा सकता है, उनका क्या कसूर है। हर गरीब मजदूर अपने घर पर आना चाहता है इसलिए गरीब आदिवासी मजदूरो को भी मध्यप्रदेश सरकार द्वारा बसो के माध्यम से उनके घर लाया जाए और मध्यप्रदेश की सीमा पर ही उनका परीक्षण किया जाए।
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