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ज्योतिष दृष्टि- विश्वव्यापी कोरोना और भारत का भविष्य जानिए आचार्य ऋषभचंद्र सूरी से....



आज पूरे विश्व में कोरोना वायरस एक महामारी की तरह फैला हुआ है,लाखो करोडो लोग इस करोना संक्रमण से भयभीत है। सृष्टि में सर्जन और विनाश दोनों प्रकृति अपने आप में परिवर्तित करती रहती है। सन् 1720 में महामारी फ्लेग था, 1820 कालरा थी - 1920 स्पेनिश फ्लू थी और 2020 में कोविड 19 है। हर  वर्ष में कोई न कोई प्रकृतिजन्य रोगोत्पन होते हैं। 

विज्ञान और ज्योतिषीय चिन्तन विश्लेषण रिसर्च क्या कहता है "खत्म कोरोना"

जैन साहित्य में महान ज्योतिष विज्ञान के रचयिता हुए है आचार्य भद्रबाहु स्वामी की रचना भद्रबाहु संहिता में कहा गया है कि जब शुक्र सूर्य के साथ साथ चले असमय में उदय हो ते) विश्वव्यापी महामारी फैलती है और राजा प्रजा दोनो पीडित होते हैं।  25 मार्च भारतीय संवत्सर से लेकर 31 जुलाई 2020 तक शुक वृषभ राशि में उदय -अस्त-वक्री मार्गी 125 दिन शुक्र एक ही राशि में आगे पिछ रहेगा जो कि सामान्य रूप से 27-30 दिन ही किसी भी राशि में गोचर रहता है।






आने वाले समय में कोरोना संक्रमण भारत में 15 मई तक डरावने स्वरूप में रहेगा) - लेकिन मेरा ज्योतिष अनुमान है कि -30 अप्रैल से मई 15 तक आंधीतुफान,ओलावृष्टि और बरसात होती है तो यह रोग समाप्ति की दिशा में तेजी से आगे बढेगा और जनमानस आंकडों में राहत महसूस करेगा - जून 29 तक राहत के आंकड़े सुधरेंगे 31 जुलाई के बाद इस रोग से मरने वालों की संख्या में 10 प्रतिशत गिरावट आयेगी। भूकंप जैसी विपदायें भी विश्व के अनेक देश देखेंगे समुद्री तुफान सुनामी आदि से कष्ट होगा | 2300 वर्ष पूर्व उज्जैन में लिखी भद्रबाहु संहिता जैनाचार्य के अनुसार आगामी तीन वर्षों तक या महामारी शरद ग्रीष्म ऋतु में जनमानस का पीड़ित करती रह सकती है सावधानी सुरक्षा नियमों का पालन करके हम इससे बच सकते हैं। परमात्मा सब के रक्षक है परन्तु सावधानी प्राथमिकता है।

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