BREAKING NEWS
latest

ज्ञान पंचमी पर श्रुत ज्ञान की पूजा हुई,आचार्यश्री की मौन साधना की महामांगलिक 3 नवम्बर को




  इन्दौर (म.प्र.)। ज्ञान की मोलिकता समझना चाहिये । हमें किसी भी प्रकार की ज्ञान की आशातना नहीं करना चाहिये । ज्ञान पंचमी की आराधना करने से जीवन में ज्ञान की ज्योति प्रज्जवलित होती है । उक्त बात वर्तमान गच्छाधिपति आचार्य देवेश श्रीमद्विजय ऋषभचन्द्रसूरीश्वरजी म.सा. के आज्ञानुवर्ती ज्ञानप्रेमी मुनिराज श्री पुष्पेन्द्रविजयजी म.सा. ने कही और बताया कि ज्ञान की आराधना करने से स्मृति मजबूत बनती है । जिसके जीवन में प्रमाद होता है वह व्यक्ति जीवन में कभी भी ज्ञान की प्राप्ति नहीं कर सकता है । यदि अपने पास कुछ ज्ञान है उसको बाटते रहना चाहिये । बाटने से ज्ञान की वृद्धि होती है ज्ञान को कभी छुपाना नहीं चाहिये । जो भी व्यक्ति ज्ञान की आशातना करता है उसका दोष व्यक्ति को जरुर लगता है और उसका फल व्यक्ति को इस जन्म में भी और अगले जन्म में भी भुगतना पड़ता है । जो व्यक्ति ज्ञान को स्वीकार नहीं कर पाते है उनको ज्ञान पंचमी की आराधना अवश्य करनी चाहिये । ज्ञान पंचमी की आराधना के अवसर पर श्री साईंनाथ कालोनी स्थित गुरु राजेन्द्र जैन उपाश्रय में 45 आगमों का पूजन माॅ सरस्वती की प्रतिमा के साथ किया गया । श्रुत ज्ञान की आरती श्री दिनेश जी डुंगरवाल कुक्षी वालों ने उतारी । आरती से पूर्व मुनिश्री ने सभी आराधकों को ओम नमो नाणस्य मंत्र का जाप करवाया ।
          दादा गुरुदेव की पाट परम्परा के अष्टम पट्टधर वर्तमान गच्छाधिपति आचार्यदेवेश श्रीमद्विजय ऋषभचन्द्रसूरीश्वरजी म.सा. साईंनाथ कालोनी तिलक नगर स्थित गुरु राजेन्द्र उपाश्रय में चातुर्मासार्थ विराजित होकर विगत 13 अक्टूबर से सूरिमंत्र की 21 दिवसीय आराधना मौन साधना के साथ चल रही है । इस आराधना की पूर्णाहुति 3 नवम्बर को पूर्ण होगी । आचार्यश्री मौन साधना पूर्ण कर रविवार को प्रातः 10 बजे महामांगलिक का गुरु भक्तों को श्रवण करायेगें । इस अवसर पर कई सामाजिक, राजनैतिक हस्तियां एवं कई ट्रस्टमण्डलों के ट्रस्टीगण व पदाधिकारी उपस्थित होकर महामांगलिक का श्रवण करेगें ।


« PREV
NEXT »