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बाघ सहित सभी वन्यजीवों के बेहतर संरक्षण और प्रबंधन का आदर्श केन्द्र बना मध्यप्रदेश : मुख्यमंत्री डॉ. यादव




 प्रधानमंत्री श्री मोदी की दूरदर्शी सोच को क्रियान्वित कर प्रदेश में हुआ चीतों का सफल पुनर्स्थापन
उज्जैन और जबलपुर में जू (चिड़ियाघर) और वन्य जीव रेस्क्यू सेंटर किए जाएंगे विकसित
मुख्यमंत्री ने वन्यजीवों के परिवहन के लिए किया वाहनों का लोकार्पण
हाथी मानव संघर्ष को कम करने के लिए विकसित ऐप "गजरक्षक" किया लांच
मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने अंतर्राष्ट्रीय बाघ दिवस पर राज्य स्तरीय कार्यक्रम का किया शुभारंभ

   भोपाल : मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा है कि मध्यप्रदेश को टाईगर स्टेट का गौरव प्राप्त है, हमारे राज्य में 9 टाईगर रिजर्व हैं। बाघ सहित सभी वन्यजीवों की संख्या निरंतर बढ़ रही है और इनके संरक्षण और उनके बेहतर प्रबंधन के आदर्श केन्द्र के रूप में मध्यप्रदेश की पहचान बनी है। वन्यजीव संरक्षण के लिए स्थानीय समुदाय की सहभागिता को भी प्रोत्साहित किया जा रहा है। राज्य सरकार के इन प्रयासों से पारिस्थितिकी तंत्र के मजबूत होने के साथ प्रदेश में पर्यटन गतिविधियों को भी प्रोत्साहन मिलेगा। मुख्यमंत्री डॉ. यादव मंगलवार को कुशाभाऊ ठाकरे कन्वेंशन सेंटर भोपाल में ‘अंतर्राष्ट्रीय बाघ दिवस’ के अवसर पर राज्य स्तरीय कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे।

 मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने दीप प्रज्ज्वलित कर अंतर्राष्ट्रीय बाघ दिवस के राज्य स्तरीय कार्यक्रम का शुभारंभ किया और प्रदेशवासियों को नागपंचमी की बधाई दी। इस दौरान मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने वन्यजीवों के परिवहन के लिए तीन वन्यजीव वाहन, तीन वन्य जीव चिकित्सा वाहन और दो डॉग स्क्वायड रेस्क्यू वाहनों का लोकार्पण किया। उन्होंने वन्यजीव परिवहन के लिए वाहनों में उपलब्ध सुविधाओं की जानकारी भी प्राप्त की।

वनकर्मियों के अथक प्रयासों से प्रदेश वन क्षेत्र और वन्यजीवों से हो रहा समृद्ध

मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि वनकर्मियों के अथक प्रयासों से प्रदेश में वन क्षेत्र समृद्ध हो रहा है और वन्यजीवों की संख्या भी बढ़ रही है। मध्यप्रदेश बाघ और मनुष्य के एक साथ रहने के उदाहरण के रूप में उभर रहा है। प्रधानमंत्री श्री मोदी की दूरदर्शी सोच को क्रियान्वित करते हुए प्रदेश चीतों के पुनर्स्थापन में भी सफल रहा है। राज्य में रातापानी को आठवें टाईगर अभ्यारण्य का दर्जा मिला है। राज्य सरकार ने उज्जैन और जबलपुर में जू (चिड़ियाघर) और वन्यजीव रेस्क्यू सेंटर विकसित करने की योजना बनाई है। यह केवल पारंपरिक जू नही होंगे, बल्कि वन्यजीवों के संरक्षण एवं पुनर्वास के लिये समर्पित “वन्यजीव रेस्क्यू सेंटर” के रूप में विकसित किये जायेंगे। 

मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि पूरी दुनिया में जितने बाघ हैं, उससे ज्यादा बाघ हमारे देश के अंदर है। देश में अगर सबसे बड़ा कोई राज्य बाघ को अपने राज्य के अंदर गौरव से रखता है तो वह राज्य मध्यप्रदेश है। डॉ. विष्णु श्रीधर वाकणकर रातापानी और माधव नेशनल पार्क - दोनों टाइगर अभयारण्य हमारे द्वारा बनाए गए हैं। उन्होंने कहा कि मेरी अपनी ओर से राज्य के गौरव के लिये आप सबको बधाई देता हूँ। टाइगर रिजर्व के पास के बफर जोन में भी टाइगर सफारी प्रारंभ करेंगे।

मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने किया वन्यजीव संरक्षण पर केंद्रित प्रदर्शनी का किया शुभारंभ

मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने वन्यजीव संरक्षण संबंधी गतिविधियों पर केंद्रित प्रदर्शनी का शुभारंभ कर अवलोकन किया। प्रदर्शनी में अपने उत्पाद प्रदर्शित करने प्रदेश के जनजातीय क्षेत्रों से आयीं बहनों ने मुख्यमंत्री डॉ. यादव को राखी बांधी। पेंच टाइगर रिजर्व द्वारा बाघ संरक्षण और प्रबंधन में सामुदायिक सहभागिता को प्रोत्साहित करने के लिए चलाए जा रहे "बाघ देव" अभियान के कार्यक्रम स्थल पर बने स्टॉल पर पहुंच कर मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने प्रदेश में बाघों की संख्या में वृद्धि की मनोकामना करते हुए सांचे से बाघ की प्रतिकृति निर्मित की।

मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने पेंच-बाघ और तितलियां सहित कई पुस्तकों का विमोचन किया

मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने राज्य वन्यजीव योजना 2023-2043 के हिंदी संस्करण, चीता निश्चेतन तथा प्रबंधन पर विकसित मैन्युअल, भविष्य में वन्य जीव प्रबंधन संबंधी कार्यशाला के निष्कर्षो पर विकसित रिपोर्ट, पेंच टाइगर रिजर्व द्वारा विकसित पुस्तक तथा गिद्ध गणना रिपोर्ट का विमोचन भी किया। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व द्वारा हाथियों के चिन्हांकन के लिए विकसित डोजियर और डाक विभाग द्वारा अंतर्राष्ट्रीय बाघ दिवस पर प्रकाशित विशेष आवरण तथा जंगली उल्लू प्रजाति पर केंद्रित पोस्टर का विमोचन भी किया गया। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने हाथी मानव संघर्ष को कम करने के लिए विकसित ऐप "गजरक्षक" लांच किया।

चीता पुनर्वास पर केंद्रित फिल्म "अबोड़ ऑफ चीताज़" का टीजर रिलीज

मुख्यमंत्री डॉ. यादव की उपस्थिति में विभिन्न वृत्तचित्रों के टीजर जारी किए गए। इसके अंतर्गत पेंच टाइगर रिजर्व द्वारा "स्थानीय समुदाय की सहभागिता से बाघ प्रबंधन" पर विकसित फिल्म, कान्हा टाइगर रिजर्व द्वारा विकसित फिल्म "मृत्युंजय", सतपुड़ा टाइगर रिजर्व पर केंद्रित फिल्म "सतपुड़ा कल आज और कल" तथा चीता पुनर्वास पर केंद्रित फिल्म "अबोड़ ऑफ चीताज़" के टीजर रिलीज किए गए।

वन्यजीव संरक्षण में उत्कृष्ट कार्य करने वाले वनकर्मी और संस्थाएं हुईं सम्मानित

मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने वन्यजीव संरक्षण में उत्कृष्ट कार्यों के लिए पुरस्कार प्रदान किए। इसके अंतर्गत अंतर्राष्ट्रीय बाघ तस्कर को सजा दिलाने तथा इंटरपोल द्वारा प्रशंसा प्राप्त अपराध अन्वेषण दल के सदस्यों को सम्मानित किया गया। साऊथ अफ्रीका से लाए गए चीतों के कुशल प्रबंधन-संवर्धन और संरक्षण के लिए सक्रिय वन्यजीव प्रबंधन दल के सदस्यों का भी सम्मान हुआ। प्रदेश में वन्य जीवों के स्वास्थ्य, अनुश्रवण और उपचार में महत्वपूर्ण योगदान देने के साथ चीतों के स्वास्थ्य और उपचार में सहयोग के लिए स्कूल ऑफ वाईल्ड लाईफ फॉरेंसिक एंड हेल्थ जबलपुर की संचालक श्रीमती शोभा जावरे का सम्मान किया गया। इस क्रम में बाघ पुनर्वास में योगदान के लिए वन क्षेत्रपाल माधव टाईगर रिजर्व सुश्री शुभी जैन, ग्राम विस्थापन में सराहनीय योगदान के लिए संजय टाईगर रिजर्व के वन क्षेत्रपाल श्री महावीर सिंह पांडे, बाघ अनुश्रवण एवं गौर पुनर्स्थापन में योगदान के लिए सतपुड़ा टाईगर रिजर्व के श्री मणिराम महावत, चीते की सतत् निगरानी और सुरक्षा में योगदान के लिए वन मंडल मंदसौर के वन पाल श्री दिनेश सिंह कुशवाह को सम्मानित किया गया। वन्यजीवन रेस्क्यू श्रेणी के अंतर्गत सतना के वनरक्षक श्री रामसुरेश वर्मा और पन्ना टाईगर रिजर्व के वनरक्षक श्री रामपाल प्रजापति सम्मानित हुए। ग्राम विकास और वन्यजीव द्वंद को कम करने में योगदान के लिए पेंच टाईगर रिजर्व की मिर्चीबाड़ी ईको विकास समिति, वन्य जीवन सुरक्षा और उनके स्थानांतरण कार्य में योगदान के लिए कान्हा टाईगर रिजर्व के महावत श्री गुलाब सिंह उईके और ग्रामीण विकास तथा पर्यटक सुविधा उपलब्ध कराने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने के‍ लिए पेंच टाईगर रिजर्व के सुरक्षा श्रमिक श्री हृदय मसकोले को सम्मानित किया गया।

वन्यजीवों के संरक्षण के लिए प्रदेश में हो रहे हैं नवाचार - वन राज्यमंत्री श्री अहिरवार

वन एवं पर्यावरण राज्यमंत्री श्री दिलीप सिंह अहिरवार ने कहा कि वन्य जीव संरक्षण में भारत को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर उपलब्धि दिलाने में प्रदेश के सतपुड़ा टाइगर रिजर्व का महत्वपूर्ण योगदान रहा है। विश्व में मध्यप्रदेश टाईगर स्टेट के रूप में पहचान बना चुका है। मध्यप्रदेश बाघ, चीता, गिद्ध, भेड़िया की संख्या में प्रथम स्थान पर है। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के मार्गदर्शन में गिद्ध की गणना हुई, अन्य वन्यजीवों के संरक्षण के लिए प्रदेश में नवाचार किए जा रहे हैं। कार्यक्रम में विधायक श्री रामेश्वर शर्मा, नगर निगम अध्यक्ष श्री किशन सूर्यवंशी, श्री रवींद्र यति, अपर मुख्य सचिव वन श्री अशोक बर्णवाल, प्रधान मुख्य वन संरक्षक एवं वन बल प्रमुख श्री असीम श्रीवास्तव, वन सुरक्षा समितियों, ईको विकास समिति, ग्राम वन समिति के सदस्य और वन विभाग के अधिकारी-कर्मचारी उपस्थित थे।

Ahiraavan, पौराणिक कथाओं पर आधारित एक अनोखी Horror Dramedy फिल्म, जल्द आएगी बड़े पर्दे पर



Ansuman Singh Film Creation (ASFC) पेश कर रहा है ‘Ahiraavan’, एक Mythological Horror Dramedy जो भारतीय सिनेमा में नई सोच और नए डर का आगाज़ करेगी।

भारतीय सिनेमा (Indian Cinema) इन दिनों Bold और Experimental विषयों को अपनाने की ओर बढ़ रहा है, और उसी राह पर एक बड़ा कदम है Ahiraavan — एक ऐसी हिंदी फीचर फिल्म (Hindi Feature Film) जो पौराणिकता, हॉरर (Horror), और डार्क कॉमेडी (Dark Comedy) को अनोखे अंदाज़ में एक साथ जोड़ती है।

Ahiraavan की कहानी रावण के गुमनाम और रहस्यमयी भाई अहिरावण के इर्द-गिर्द घूमती है, जिसे आज तक बहुत कम लोगों ने जाना है। इस बार यह किरदार बड़े पर्दे पर एक नई चेतावनी बनकर उभरेगा, जो न सिर्फ प्राचीन समय से जुड़े रहस्यों को सामने लाएगा बल्कि आज के समाज की छुपी सच्चाइयों से भी टकराएगा।

इस फिल्म का निर्देशन (Directed by) कर रहे हैं राजेश आर. नायर, और निर्माता (Producers) हैं अंसुमान सिंह और समीर आफताब। सह-निर्माता (Co-Producer) हैं प्रीति शुक्ला, जबकि मैड्ज़ मूवीज़ और निहाल सुर्वे जुड़े हैं एसोसिएट प्रोड्यूसर (Associate Producers) के रूप में।

फिल्म की पटकथा (Written by) प्राणनाथ और राजेश आर. नायर द्वारा लिखी गई है, जबकि इसकी मूल परिकल्पना (Conceptualised by) अंसुमान सिंह ने की है।

कहानी में जब पुरानी शक्तियाँ (Ancient Powers) दोबारा लौटने लगती हैं, तो उनका सामना करने के लिए उभरते हैं श्री पंचमुखी हनुमान — शक्ति, भक्ति और विनाश के प्रतीक।

फिल्म का सेटअप भारतीय ग्रामीण क्षेत्र (Indian Heartland) में है, जहां दबे हुए रहस्य, भूली हुई रस्में और अधूरी कथाएं धीरे-धीरे सामने आती हैं। Ahiraavan डर (Terror) को केवल राक्षसों में नहीं, बल्कि इंसान के भीतर छिपे अंधकार में भी खोजती है।

इस फिल्म में हॉरर और डार्क ह्यूमर (Dark Humor) का अद्भुत मेल है, जो दर्शकों को डराने के साथ-साथ गहराई से सोचने पर भी मजबूर करेगा।

कास्टिंग (Casting) की कमान संभाली है यश नागरकोटी की टीम Castink ने, जो ऑथेंटिक और टैलेंटेड कलाकारों को चुनने के लिए जानी जाती है। फिल्म के कलाकारों की आधिकारिक घोषणा (Official Cast Announcement) जल्द की जाएगी।

क्यों देखें Ahiraavan?

  • पहली बार स्क्रीन पर नजर आएगा Ahiraavan, एक अनदेखा पौराणिक किरदार

  • पौराणिकता और हॉरर का डार्क, सजीव मिश्रण

  • पंचमुखी हनुमान और अहिरावण के बीच दिव्यता और अंधकार की टक्कर

  • एक भावनात्मक, दार्शनिक और मनोरंजक सिनेमाई अनुभव

Ahiraavan सिर्फ एक फिल्म नहीं, एक सवाल है:
क्या हमारे राक्षस वाकई खत्म हो गए हैं? या बस सही समय का इंतजार कर रहे हैं… लौटने के लिए?

The Dark Has Risen. The Divine Must Answer.

🎬 Ahiraavan – Coming Soon.
लेटेस्ट अपडेट्स और कास्ट अनवील (Cast Reveal) के लिए जुड़े रहें।

सकल पंच गवली समाज ने नागपंचमी पर मातृशक्ति द्वारा पारंपरिक पवित्र जवारे की शुरुआत की




 

   राजगढ़ (धार)। सकल पंच गवली समाज राजगढ़ की मातृशक्ति व बहनों-बेटियों ने नागपंचमी के पावन अवसर पर समाज की परंपरा अनुसार नगर में 'जवारे बाया' की अनूठी शुरुआत की। बैंड-बाजे के साथ नगर से दूर जाकर पवित्र माटी और जवारे की टोकरी शहर के चौरासी चौक लाई गई, जहां मंगल गीतों के साथ इस अनुष्ठान का शुभारंभ हुआ।

  कार्यक्रम में बहनों-बेटियों ने - “1. बाया हे जावरा, छोरियां पूजे भुजरिया 2. म्हारा हरिया जवारा ओ राज 3.थाली भरकर लायी गेहूं की 4. ऊंचे मगरे को महारा हरिया जावरा 5. जवारा बाया बाई देखो सखिया, हषोइ बेटियों को मनपसंद वर मिले ऐसी कामना करेंगी” - जैसे मंगल गीत गाए। 11 दिन तक घर-घर की मातृशक्ति द्वारा सुबह-शाम जवारे की पूजा व भजन होंगे। रक्षाबंधन के अगले दिन धर्म यात्रा निकाली जाएगी, जो नगर के प्रमुख मार्गों से होती हुई माही तट, सरदारपुर पर सम्पन्न होगी। समाज की इस श्रद्धा और संस्कृति ने पूरे नगर को भक्ति और उमंग से सरोबार कर दिया।

Nitin Yadav — एक युवा विधि छात्र, लेखक और भारत के सामाजिक सुधारक




Nitin Yadav : एक साधारण सपना रखने वाला युवा — सबके लिए न्याय

हर किशोर अन्याय के बारे में नहीं सोचता। उस उम्र में ज़्यादातर लोग ये तय कर रहे होते हैं कि कौन सा कॉलेज जॉइन करें या कौन-सा नया फोन लें। लेकिन नितिन यादव? वो कुछ और ही हैं।

उनका जन्म 21 नवम्बर 2005 को दिल्ली में हुआ। न किसी अमीर परिवार में, न किसी राजनीतिक कनेक्शन के साथ। एक साधारण घर में जन्मा एक साधारण लड़का — लेकिन उसके भीतर एक असाधारण न्याय की समझ थी। बचपन से ही उन्होंने देखा कि कैसे कुछ लोगों को हर चीज़ आसानी से मिलती है और कुछ लोग केवल अपनी आवाज़ सुनाने के लिए ही संघर्ष करते हैं।

ये भावना कि "ये सही नहीं है", उनके साथ बनी रही।

क़ानून क्यों चुना?

नितिन ने क़ानून इसलिए नहीं चुना कि उन्हें नाम या पैसा कमाना था। उन्होंने इसे इसलिए चुना क्योंकि वो लोगों की मदद करना चाहते हैं — सीधा और साफ़।
आज वो BALLB की पढ़ाई कर रहे हैं, लेकिन वो सिर्फ किताबों तक सीमित नहीं हैं। वो अदालतों में, इंटर्नशिप में, वहाँ मौजूद रहते हैं जहाँ असली न्याय दिखता है — और जहाँ वो अक्सर टूटता भी है।

और जब भी वो किसी को अपने अधिकारों को लेकर भ्रमित या बेबस देखते हैं, तो उनका विश्वास और गहरा होता है:

"क़ानून लोगों की रक्षा करने के लिए है — उन्हें डराने या उलझाने के लिए नहीं।"

न कोई हीरो, न कोई नेता — बस एक इंसान जिसे फर्क पड़ता है

अगर आप उनसे पूछेंगे, तो शायद वो खुद को कोई नेता या सुधारक नहीं कहेंगे। बस हल्की सी मुस्कान देंगे। लेकिन उनसे जुड़ने वाले हर इंसान को पता है कि वो असाधारण हैं।

किसी को शिकायत कैसे दर्ज करनी है ये समझाना हो, या संविधान की असली भावना को सरल भाषा में समझाना — वो हर दिन, बिना कैमरे, बिना दिखावे के ये काम कर रहे हैं।

बड़े सपने, ज़मीन से जुड़े कदम

उन्हें प्रेरणा कहाँ से मिलती है? बराबरी, न्याय और सबकी गरिमा जैसे विचारों से — खासकर उनके लिए जिनकी कोई बात नहीं करता: दिहाड़ी मजदूर, गरीब छात्र, छोटे शहरों की महिलाएँ, और वो लोग जो सोचते हैं कि क़ानून उनके लिए नहीं है।

उनका मानना है कि बदलाव के लिए कोई पद नहीं चाहिए — नियत चाहिए।

"अगर कोई खुद को बेबस महसूस करता है, तो मैं उसे याद दिलाना चाहता हूँ — संविधान ने उन्हें ताक़त दी है। बस उन्हें उसका सही इस्तेमाल करना आना चाहिए।"

असली। ईमानदार। लगातार।

नितिन कोई परिपूर्ण इंसान नहीं हैं। वो भी सीख रहे हैं, जूझ रहे हैं, किताबों और ज़मीनी अनुभवों के बीच संतुलन बना रहे हैं — लेकिन हर दिन हाज़िर हैं।

और शायद यही उनकी कहानी को ताक़त देती है।
वो कोई हेडलाइन नहीं हैं। कोई प्रचार नहीं हैं।
वो बस एक युवा हैं — जो हर दिन, हर बातचीत से चीज़ों को बेहतर बनाने की कोशिश कर रहे हैं।

और जानिए नितिन यादव के बारे में

मां माही शबरी कावड़ यात्रा में 10 हजार से अधिक ग्रामीणों ने उठाई कावड़,बोल-बम के जयकारों के साथ निकली यात्रा,जगह-जगह हुआ स्वागत




 

  धर्मसभा में मुख्य वक्ता नागर ने कहा- मतांतरण करवाने वालो को कावड़ यात्रा ने दिखा दिया हिंदू हम सब एक हैं

 राजगढ़ (धार)। श्रावण माह के तीसरे सोमवार 28 जुलाई को मां माही शबरी कावड़ यात्रा का ऐतिहासिक आयोजन संपन्न हुआ। यात्रा में 116 गांव के 10 हजार से अधिक कावड़ यात्री शामिल हुए।  गगन भेदी जयघोष के साथ निकली कावड़ यात्रा में आस्था, उमंग और सामाजिक समरसता का अद्भुत नजारा देखने को मिला। कावड़ यात्रा का जगह-जगह विभिन्न धार्मिक, सामाजिक व राजनीतिक संस्थाओं द्वारा स्वागत कर अल्पहार करवाया गया।

सोमवार प्रातः करीब 9 बजे 116 गांवो के ग्रामीण प्राचीन नरसिंह देवला धाम पहुंचे। यहां पवित्र मां माही का जलभकर कावड़ यात्रा प्रारंभ हुई। यात्रा नरसिह देवला धाम से भानगढ़ रोड़ से राजगढ़, राजगढ़ से माही तट सरदारपुर होते हुए यात्रा झिरणेश्वर महादेव धाम पहुंची। जहां कावड़ यात्रियों ने भगवान झिरणेश्वर महादेव का जलाभिषेक किया।

राजगढ़ में हुआ धर्मसभा का आयोजन -

   डीजे की धुन पर कावड़ यात्री नाचते झूमते हुए निकले। यात्रा के राजगढ़ पहुँचने पर कृषि उपज मंडी प्रांगण में धर्मसभा का आयोजन हुआ। धर्मसभा में श्री श्री 1008 महंत डॉ. नरसिंह दास जी महाराज, मुख्य व्यक्ता रुपसिंह नागर मालवा प्रांत जनजाति कार्य प्रमुख तथा यात्रा संयोजक लोकेंद्र जाट बोदली मंचासीन रहें। कावड़ यात्रा को सम्बोधित करते हुए महंत डॉ. नरसिंहदास जी महाराज ने कहा कि कावड़ हमारे कंधे पर है यानी हमारे मां बाप हमारे कंधे पर हैं। हमें हमारे परिवार के साथ मिलकर रहना ही हमारी संस्कृति हैं। वही मुख्य वक्ता रूपसिंह नागर ने कावड़ यात्रियों को संबोधित करते हुए कहा कि सारे भेदों को कावड़ यात्रा ने मिटा दिया हैं। जो लोग हमें जाती के नाम पर बाट कर धर्मांतरण करवाने का काम करते हैं, उन्हें इस वृहर मां माही शबरी कावड़ यात्रा ने दिखा दिया हैं कि हम सब हिन्दू एक हैं। मतांतरण करवाने वाली ताकते कितना भी जोर लगा ले पर हमें अपने धर्म, अपनी परम्पराओं और अपनी संस्कृति को नहीं छोड़ना हैं। उन्होंने कावड़ यात्रा में शामिल हजारों मातृशक्तियो से आवाह्न किया कि अपने बच्चों को अच्छे संस्कार दे ताकि वे किसी के बहकावे में ना आए और धर्म ध्वजा थामते हुए अपनी सनातन संस्कृति का नेतृत्व करें।

बारिश होने के बावजूद भी पहुँचे कावड़ यात्री -
   
 सोमवार सुबह हुई बारिश के बाद भी कावड़ यात्रा को लेकर ग्रामीण क्षेत्रों में जबरजस्त उत्साह देखा गया। ग्रामीण क्षेत्र से चार पहिया वाहनों से ग्रामीण नरसिह देवला पहुंचे तथा कावड़ उठाकर झिरणेश्वर धाम तक पहुंचे। कावड़ यात्रा के स्वागत के लिए विभिन्न सामाजिक व धार्मिक संस्थाओ ने जगह-जगह स्वागत कर जल, फल व खिचड़ी की व्यवस्था की। वही यात्रा के समापन पर झिरणेश्वर धाम में हिंदू समाज के सहयोग से भोजन प्रसादी का आयोजन हुआ। जिसमें प्रत्येक कावड़ यात्री ने भोजन प्रसादी ग्रहण की।

राजगढ़ सहित अंचल में शुरू हुआ मंशा महादेव व्रत, शिवालयों में उमड़ा भक्तों का सैलाब




 

  राजगढ़ : आज 28 जुलाई, सोमवार से राजगढ़ और आसपास के क्षेत्रों में भगवान शिव की कृपा प्राप्त करने के लिए मंशा महादेव व्रत का आरंभ हो गया है। यह व्रत अत्यंत कठिन माना जाता है और इसमें विशेष विधि तथा संयम का पालन किया जाता है। व्रतधारी चार माह तक हर सोमवार शिवलिंग की पूजा करते हैं और कई नियमों का पालन करते हैं।

  इस व्रत के दौरान व्रतधारी एक समय ही भोजन करते हैं और प्याज-लहसुन, गाजर-मूली, मद्य, झूठा भोजन, पर-वस्त्र के उपयोग से बचते हैं। साथ ही, उन्हें जमीन या काष्ठ पर सोना होता है और निंदा, हिंसा व असत्य से दूर रहना पड़ता है।

   राजगढ़ के शिवालयों में सुबह से ही व्रतधारियों की भारी भीड़ देखी गई। जानकारी के अनुसार, पाँच धाम एक मुकाम माताजी मंदिर पर देश-विदेश से आए भक्तों ने भी संकल्प लिया। मंदिर में ज्योतिषाचार्य परम पूज्य श्री पुरुषोत्तम जी भारद्वाज द्वारा मंशा महादेव व्रत का आरंभ संकल्प विधि, व्रत पूजन के पश्चात करवाया गया, जिसके बाद महाआरती और महाप्रसादी का वितरण किया गया।

  यह व्रत श्रावण शुक्ल चतुर्थी से शुरू होकर कार्तिक शुक्ल चतुर्थी तक चलता है। ऐसी मान्यता है कि जो भक्त इस व्रत को पूरे नियम, श्रद्धा और साधना के साथ करते हैं, भगवान शिव उनकी सभी इच्छाएं पूर्ण करते हैं और उन्हें सुख-समृद्धि प्रदान करते हैं।

अंतर्राष्ट्रीय बाघ दिवस 29 जुलाई पर विशेष "मध्यप्रदेश में बाघ की दहाड़ बरकरार"




   

 अंतर्राष्ट्रीय बाघ दिवस मध्यप्रदेश के लिये विशेष महत्व रखता है। बाघों के अस्तित्व और संरक्षण के लिये प्रदेश में जो कार्य हुए है, उसके परिणाम स्वरूप आज अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर सबसे अधिक बाघ मध्यप्रदेश में है, यह न सिर्फ मध्यप्रदेश बल्कि भारत के लिये भी गर्व की बात है। वर्ष 2022 में हुई बाघ गणना में भारत में करीब 3682 बाघ की पुष्टि हुई, जिसमें सर्वाधिक 785 बाघ मध्यप्रदेश में होना पाये गये।

 मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव की संवेदनशील पहल के परिणाम स्वरूप बाघों की संख्या में वृद्धि के लिये निरंतर प्रयास हो रहे हैं। बाघ रहवास वाले क्षेत्रों के सक्रिय प्रबंधन के फलस्वरूप बाघों की संख्या में भी लगातार वृद्धि हो रही है। मध्यप्रदेश के कॉरिडोर उत्तर एवं दक्षिण भारत के बाघ रिजर्व से आपस में जुड़े हुए हैं। प्रदेश में बाघों की संख्या बढ़ाने में राष्ट्रीय उद्यानों के बेहतर प्रबंधन की मुख्य भूमिका है। राज्य शासन द्वारा जंगल से लगे गांवों का विस्थापन किया जाकर बहुत बड़ा भूभाग जैविक दवाब से मुक्त कराया गया है। संरक्षित क्षेत्रों से गांव के विस्थापन के फलस्वरूप वन्य प्राणियों के रहवास क्षेत्र का विस्तार हुआ है। कान्हा, पेंच और कूनो पालपुर के कोर क्षेत्र से सभी गांवों को विस्थापित किया जा चुका है। सतपुड़ा टाइगर रिजर्व का 90 प्रतिशत से अधिक कोर क्षेत्र भी जैविक दबाव से मुक्त हो चुका है। विस्थापन के बाद घांस विशेषज्ञों की मदद लेकर स्थानीय प्रजातियों के घास के मैदान विकसित किये गये हैं, जिससे शाकाहारी वन्य प्राणियों के लिये वर्षभर चारा उपलब्ध होता है। संरक्षित क्षेत्रों में रहवास विकास कार्यक्रम चलाया जाकर सक्रिय प्रबंधन से विगत वर्षों में अधिक चीतल की संख्या वाले क्षेत्र से कम संख्या वाले चीतल विहीन क्षेत्रों में सफलता से चीतलों को स्थानांतरित किया गया है। इस पहल से चीतल, जो कि बाघों का मुख्य भोजन है, उनकी संख्या में वृद्धि हुई है और पूरे भूभाग में चीतल की उपस्थिति पहले से अधिक हुई है।

राष्ट्रीय उद्यानों के प्रबंधन में मध्यप्रदेश शीर्ष पर

  मध्यप्रदेश ने टाइगर राज्य का दर्जा हासिल करने के साथ ही राष्ट्रीय उद्यानों और संरक्षित क्षेत्र के प्रभावी प्रबंधन में भी देश में शीर्ष स्थान प्राप्त किया है। सतपुड़ा टाइगर रिजर्व को यूनेस्को की विश्व धरोहर की संभावित सूची में शामिल किया गया है। केन्द्र सरकार द्वारा जारी टाइगर रिजर्व के प्रबंधन की प्रभावशीलता मूल्यांकन रिपोर्ट के अनुसार पेंच टाइगर रिजर्व ने देश में सर्वोच्च रेंक प्राप्त की है। बांधवगढ़, कान्हा, संजय और सतपुड़ा टाइगर रिजर्व को सर्वश्रेष्ठ प्रबंधन वाले रिजर्व माना गया है। इन राष्ट्रीय उद्यानों में अनुपम प्रबंधन योजनाओं और नवाचारी तरीकों को अपनाया गया है।

बाघों के सरंक्षण की पहल

  राज्य सरकार बाघों के संरक्षण के लिये कई पहल कर रही है जिनमें वन्य जीव अभयारणों का संरक्षण और प्रबंधन, बाघों की निगरानी के लिये आधुनिक तकनीकों का उपयोग और स्थानीय समुदायों को रोजगार प्रदान करना शामिल है। मध्यप्रदेश में 9 टाइगर रिजर्व हैं, जिसमें (कान्हा किसली, बांधवगढ़, पेंच, पन्ना बुंदेलखंड, सतपुड़ा नर्मदापुरम, संजय दुबरी सीधी, नौरादेही, माधव नेशनल पार्क और डॉ. विष्णु वाकणकर टाइगर रिजर्व (रातापानी) शामिल हैं।मध्यप्रदेश के बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व में सबसे अधिक बाघ हैं। यह रिजर्व मध्यप्रदेश का सबसे प्रसिद्ध टाइगर रिजर्व है।

मध्यप्रदेश के टाइगर रिजर्व में विदेशी पर्यटकों की संख्या में बढ़ोत्तरी

  वन्य जीव पर्यटन में मध्यप्रदेश विशेष आकर्षण का केन्द्र बनकर उभरा है। टाइगर रिजर्व में देशी और विदेशी पर्यटकों की संख्या में लगातार बढ़ोत्तरी हो रही है। प्रदेश के टाइगर रिजर्व में वर्ष 2024-25 में 32 हजार 528, कान्हा टाइगर रिजर्व में 23 हजार 59, पन्ना टाइगर रिजर्व में 15 हजार 201, पेंच टाइगर रिजर्व में 13 हजार 127 और सतपुड़ा टाइगर रिजर्व में 10 हजार 38 विदेशी पर्यटक की उपस्थिति रही। जबकि वर्ष 2023-24 में विदेशी पर्यटकों की संख्या बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व में 25 हजार 894, कान्हा टाइगर रिजर्व में 18 हजार 179, पन्ना टाइगर रिजर्व में 12 हजार 538, पेंच टाइगर रिजर्व में 9 हजार 856 और सतपुड़ा टाइगर रिजर्व में 6 हजार 876 थी।

  मध्यपदेश टाइगर रिजर्व में 5 वर्ष में भारतीय पर्यटकों की संख्या 7 लाख 38 हजार 637 और विदेशी पर्यटकों की संख्या 85 हजार 742 रही। इस प्रकार कुल 8 लाख 24 हजार 379 पर्यटकों की संख्या रही। 5 वर्षों में टाइगर रिजर्व की लगभग 61 करोड़ 22 लाख रूपये की आय हुई है।

बाघों का सर्वश्रेष्ठ आवास क्षेत्र ‘कान्हा टाइगर रिजर्व’

  भारतीय वन्यजीव संस्थान देहरादून द्वारा जारी रिपोर्ट के अनुसार मध्यप्रदेश के कान्हा टाइगर रिजर्व को बाघों का सर्वश्रेष्ठ आवास क्षेत्र घोषित किया गया है। रिपोर्ट के अनुसार कान्हा टाइगर रिजर्व में शाकाहारी वन्य प्राणियों की संख्या देश में सबसे अधिक है, जिनमें चीतल, सांभर, गौर, जंगली सुअर, बार्किंग डियर, नीलगाय और हॉग डियर जैसे शाकाहारी जीवों की बहुतायत है, जो बाघों के लिए भोजन का एक महत्वपूर्ण स्रोत है। बाघों के निवास के लिये कान्हा रिजर्व में घास के मैदान, जंगल और नदियां शामिल हैं, जो बाघों के लिए संख्या रहवास उपयुक्त हैं। कान्हा टाइगर रिजर्व में सक्रिय आवास प्रबंधन प्रथाओं को लागू किया गया है, जैसे चरागाहों का रखरखाव, जल संसाधन विकास और आक्रामक पौधों को हटाना। कान्हा में गांवों को कोर क्षेत्र से स्थानांतरित कर दिया गया है, जिससे मानवीय हस्तक्षेप कम हो गया है और वन्यजीवों को स्वतंत्र रूप से घूमने की अनुमति मिलती है। कान्हा टाइगर रिजर्व में वन्यजीवों की निगरानी के लिए M-STriPES मोबाइल ऐप का उपयोग किया जाता है और वन कर्मियों को नियमित प्रशिक्षण प्रदान किया जाता है।

  कान्हा टाइगर रिजर्व प्रदेश के मंडला जिले में स्थित है इसका कुल क्षेत्रफल 2074 वर्ग किलोमीटर है जिसमें 917.43 वर्ग किलोमीटर कोर क्षेत्र और 1134 वर्ग किलोमीटर में बफर जोन शामिल है। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कान्हा टाइगर रिजर्व को बाघों का सर्वश्रेष्ठ आवास घोषित किये जाने पर वन अमले को बधाई दी थी। उन्होंने कहा कि अन्य रिजर्व भी इस दिशा में सकारात्मक पहल करें।

मध्यप्रदेश में बाघों के संरक्षण में नवाचार

  मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव की पहल पर मध्यप्रदेश में बाघों के संरक्षण के लिये कई नवाचार किये जा रहे हैं। जीन टेस्टिंग - मध्यप्रदेश में बाघों की जीन टेस्टिंग करने की योजना है, जिससे उनकी सटीक पहचान की जा सकेगी। गुजरात के बनतारा जू और रेस्क्यू सेंटर की तर्ज पर उज्जैन और जबलपुर में रेस्क्यू सेंटर बनाये जा रहे हैं।

  ड्रोन स्क्वाड – पन्ना टाइगर रिजर्व में वन्यजीव संरक्षण में अत्याधुनिक तकनीकी का इस्तेमाल करते हुए ‘ड्रोन स्क्वाड’ का संचालन शुरू किया गया है। इससे वन्यजीवों की खोज, उनके बचाव, जंगल में आग का पता लगाने और मानव-पशु संघर्ष को रोकने में मदद मिलेगी।

  विस्थापन और रहवास विकास – मध्यप्रदेश में बाघों के संरक्षण के लिये 200 गांवों को विस्थापित किया गया है और रहवास विकास कार्यक्रम चलाया जा रहा है। इससे बाघों के आवास क्षेत्र का विस्तार हुआ है और उनकी संख्या में भी वृद्धि हो रही है। टाइगर रिजर्व के‍ विस्तार के साथ इन नवाचारों के परिणामस्वरूप मध्यप्रदेश में बाघों की संख्या में वृद्धि हुई है और यह देश में सबसे अधिक बाघों वाला राज्य बन गया है।

मध्यप्रदेश में वन्‍य जीव अपराध नियंत्रण की पहल

  मध्यप्रदेश में वन्यजीव अपराध नियंत्रण इकाई का गठन किया गया है, जो वन्यजीवों के शिकार और अवैध व्यापार को रोकने के लिए काम करती है। पुलिस और वन विभाग की संयुक्त कार्रवाई से शिकारियों को पकड़ने और उनके खिलाफ कार्रवाई करने में मदद मिल रही है। ग्राम वन प्रबंधन समितियों को वन्यजीव संरक्षण में शामिल किया गया है, जो शिकार को रोकने में मदद करती हैं। वन विभाग द्वारा जागरूकता अभियान चलाया जा रहा है, जिससे लोगों को वन्यजीवों के महत्व और उनके संरक्षण के बारे में जागरूक हो सके। मध्यप्रदेश में वन्यजीव संरक्षण में आधुनिक तकनीक का उपयोग किया जा रहा है, जैसे कि ड्रोन और कैमरा ट्रैप, जिससे शिकारियों की निगरानी की जा सके। वन विभाग ने वन्यजीव अपराधियों की सूची तैयार की है, जिससे उनके खिलाफ कार्रवाई करने में मदद मिल सके। मध्यप्रदेश वन विभाग ने अंतर्राष्ट्रीय संगठनों के साथ सहयोग कर रहा है, जिससे वन्यजीव संरक्षण में मदद मिल सके। इन गतिविधियों के परिणामस्वरूप मध्यप्रदेश में शिकार की घटनाओं में कमी आई है और वन्यजीवों की संख्या में वृद्धि हुई है।

"कब हुई बाघ दिवस मनाने की शुरूआत

  अंतर्राष्ट्रीय बाघ दिवस मनाने का निर्णय 29 जुलाई 2010 में सेंट पीटर्सबर्ग (रूस) बाघ सम्मेलन में लिया गया था। इस सम्मेलन में बाघ की आबादी वाले 13 देशों ने वादा किया था कि वर्ष 2022 तक बाघों की आबादी दोगुनी कर देंगे। मध्यप्रदेश बाघों के प्रबंधन में निरंतरता और उत्तरोत्तर सुधार करने में अग्रणी है। बाघ संरक्षण न केवल जैव विविधता के लिये महत्वपूर्ण है बल्कि यह पारिस्थितिकी के संतुलन को भी बनाये रखता है।

के.के. जोशी